उफ़ ये नफरत: गुजरात के बड़ोदरा में घर के अन्दर क्रिसमस अभिनन्दन मना रहे लोगो की घर में घुस कर किया पिटाई, सांता क्लाज़ बने युवक और एक महिला सहित 4 घायल, अज्ञात के खिलाफ पुलिस ने मामला किया दर्ज
यश कुमार
वड़ोदरा: कबीर दास का एक दोहा है कि “कोस कोस पर पानी बदले, तीन कोस पर बानी।” बचपन में हम इस दोहे का तात्पर्य अपने शिक्षको से समझते आये है कि हमारा प्यारा मुल्क हर संस्कृति को अपने में समाहित किये हुवे है। हम सभी धर्मो के त्यौहार एक साथ मनाते और खुशियों को बटोरते तथा बाटते है। मगर कुछ ऐसे भी लोग समाज में है जिनको इन सबसे कोई मतलब नही और अपनी नफरती सोच को ही वह आगे बढ़ाते है। इसमें हिंसक हो जाना उनके लिए कोई बड़ी बात नही होती है।
ऐसा ही हुआ कुछ गुजरात के वडोदरा शहर स्थित मकरपुरा की एक रिहायशी कॉलोनी में बीते मंगलवार यानी 20 दिसंबर को। खबरों के रफ़्तार की धुंध में गायब हुई इस खबर को आज तक ने प्रमुखता से उठाया है। खबर में बताया गया है कि मकरपुरा की अवधूत सोसाइटी में एक युवक पर हमला हुआ। हमले में सांता क्लाज़ बने युवक को मारपीट कर घायल कर दिया गया। बताया जा रहा है कि इस सोसाइटी में क्रिसमस समारोह होना है। यहां समारोह से पहले सांता क्लॉज के वेश में एक व्यक्ति और महिला समेत चार लोग पहुंचे थे। इन पर कुछ युवकों ने यह कहते हुए हमला कर दिया कि यह हमारा क्षेत्र है। हमले में सांता क्लॉज बने व्यक्ति के हाथ में गंभीर चोटें आई हैं। उन्हें इलाज के लिए एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
वड़ोदरा के मकरापुर थानेदार के अनुसार पुलिस ने इस मामले में अज्ञात हमलावरों के खिलाफ शिकायत दर्ज कर लिया है और मामले की जाँच चल रही है। खबरों के अनुसार जानकारी के अनुसार, सांता क्लॉज के वेश में शशिकांत डाभी नाम का शख्स मकरपुरा क्षेत्र के अवधूत सोसाइटी में रहने वाले एक ईसाई परिवार के घर क्रिसमस की बधाई देने पंहुचा था। शशिकांत के साथ बताया जा रहा है कि इसाई समुदाय के कुछ नेता भी अभिनन्दन करने पहुचे थे। वह लोग खुशिया घर के अन्दर बैठ कर एक दुसरे से बाट रहे थे कि तभी कुछ लोग उस घर के अन्दर घुस गए। ज़बरदस्ती चल रहा अभिनन्दन कार्यक्रम रोक दिया। सांता क्लाज़ बने युवक की पिटाई किया गया और सांता वाले कपडे उसके उतरवा लिए गए।
इस हमले में आरोप है कि धमकी दिया गया कि यह हम लोगो का इलाका है। यहाँ ऐसे कार्यक्रम आयोजित नही होंगे। मारपीट में महिला सहित कुल 4 लोग ज़ख़्मी हो गए है। पुलिस अभी हमलावरों की तलाश कर रही है। अब आप क्या कहेगे इसको। इसको दिमाग में बैठी फितूरी नफरत कहेगे या फिर शायद मानसिक कमजोरी। जो भी नाम दे मगर सभ्य समाज में हिंसा की कोई जगह नही है यह पढ़ते पढ़ते उम्र गुज़र रही है।