जनसमस्या और शहर-ए-बनारस: साहब ये खम्भा झुक के सलामी नही दे रहा है, बल्कि कोई दिन गिर पड़ेगा
ईदुल अमीन
वाराणसी: शहर बनारस अपने पाँव पसारता हुआ अब ग्रामीण इलाकों तक पहुच चूका है, मगर बनारस की जनसमस्या है कि खत्म होने का नाम ही नही ले रही है। कही पानी की दिक्कत तो कही सीवर की समस्या, कही टूटे चौके तो कही गड्ढायुक्त सड़के। सब मिला कर देखे तो समस्याओं से जूझता बनारस तस्वीरो में बड़ा ही खुबसुरत नज़र आता है। मगर हकीकी ज़मींन पर नगर निगम जन समस्याओं के समाधान में थोडा उदासीन तो ज़रूर है। कल से शुरू हुई हमारी इस सीरिज़ को पढ़कर कई पाठको ने हमको फोन किया और अपनी समस्याए और तस्वीरे उपलब्ध करवाया। यह इस बात को साबित करता है कि जनसमस्याये यहाँ मुह बाए खडी हुई है।
इसी कड़ी में हमको पितृकुंड जिसको अमूमन बोल चाल की भाषा में पितरकुंडा इलाका कहा जाता है से एक सुधि पाठक ने समस्या फोन पर बताया कि इलाके में पोखरे के पास स्थित काबूतर मार्केट के पीछे एक खम्भा है। बिजली का खम्भा आधा झुका हुआ है और कभी भी गिर सकता है जिससे कोई बड़ा हादसा हो सकता है। हमने इस जनसमस्य को अपनी आँखों से मौके अपर जाकर देखा तो देख कर हम खुद अचंभित रह गये कि अपनी लापरवाही के लिए अक्सर चर्चा का केंद्र रहने वाले बिजली विभाग आखिर ऐसा लापरवाह कैसे हो सकता है कि कई जान खतरे में डाले रहे।
मौके पर देखने से ऐसा लगता है कि जैसे बिजली विभाग का यह खम्भा झुक कर सलामी दे रहा है। मगर यह केवल एक मुगालता ही है कि खम्भा झुक कर सलामी दे रहा है। असल में खम्भा खड़े खड़े थक गया है और उसकी कमर झुक गई है। ऐसी ही हाल रही तो कभी भी धडाम से गिर सकता है। जिसके गिरने पर होने वाली जान माल के हानि का अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है। इलाके के रहने वालो ने बताया कि अक्सर ही इसके सम्बन्ध में हम लोग लिखित और मौखिक शिकायत करते रहते है। मगर हम लोगो को विभाग से केवल आश्वासन मिलता है। आश्वासन के बल पर विभाग हमको टाल देता है। जनप्रतिनिधि भी हमारी शिकायत को लेकर कितना गम्भीर है इसको आप इस झुके हुवे खम्बे को देख कर समझ सकते है।
क्या कहते है जनप्रतिनिधि
इस सम्बन्ध में हमने स्थानीय पार्षद पूर्णमासी गुप्ता से बात करने का प्रयास किया। काफी मशक्कत के बाद गुप्ता जी के फोन पर हमारी बात हुई तो उन्होंने बताया कि स्थिति हमारी जानकारी में नही है और उधर के जेई और अन्य बिजली विभाग के अधिकारियो का नंबर नही है। कोई भी विभाग में कम्प्लेन कर दे तो खम्भा सही हो जायेगा। अब समझने की बात ये है कि जहा जनप्रतिनिधि को ही समस्या का मूल नही मालूम है तो वहा आखिर किस तरीके से समस्या का समाधान हो सकता है?