देखे कैसे आपको झूठ परोस रहे है आपके पसंदीदा: “पठान” फ़िल्म के विरोध पर दीपिका का रोता हुआ वीडियो है कई साल पुराना, जाने उस वायरल वीडियो की असली हकीकत क्या है
शाहीन बनारसी
डेस्क: आज कल झूठ को इस तरीके से आपके पसंदीदा लोग आपके सामने परोस रहे है जैसे लगता है कि वही असली सच है। एक वीडियो गेम के वीडियो क्लिप को जंग कर वीडियो दिखा कर आपको किस तरीके से झूठ परोसा गया आप भूल चुके होंगे। कैसे 2 हज़ार की नोट में माइक्रो चिप क़ा दावा करते हुवे आपके सामने झूठ परोसा गया उसको भी आप भूल चुके होंगे।
दरअसल हम भूलते रहते है कि झूठ की सेज हमारे सामने कई बार ऐसे ही सजा दिया गया और हम सच मान बैठे। बाद में अहसास हुआ अरे यह तो एक बड़ा झूठ था। फिर वही कुछ दिनों बाद हम फिर ऐसे ही किसी झूठ को लेकर सच मान बैठते है और हमारे सामने झूठ का एक और पिटारा पेश हो जाता है। अब आप ताज़ा मामला पठान फिल्म से जुड़े एक वीडियो का ही ले ले, जिसको हफ्ते भर से आपके सामने परोसा गया है और हम उसको सच मान बैठे है।
इन दिनों दीपिका पादुकोण का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसमें वो रोते हुए अपने बारे में बात करते दिख रही हैं। वीडियो के साथ दावा किया जा रहा है कि दीपिका रो रही है। उनकी आने वाली फिल्म पठान को बॉयकॉट करने वालों ने इस हद तक भावुक कर दिया है कि वो सुबह उठने से भी डरती हैं। इस तरीके के दावो के साथ हमारे सामने एक झूठ है और हम झूठ को लेकर सच मान बैठे है। जबकि हकीकत ये है कि दीपिका पादुकोण का ये वीडियो 4 साल पुराना है, जिसमें वो अवसाद से अपनी लड़ाई के बारे में बात कर रही हैं। ये वीडियो दीपिका के लिव लव लाफ फाउंडेशन के ऑफिशियल यूट्यूब हैंडल पर अपलोड किया गया था। इस फाउंडेशन का उद्देश्य मानसिक स्वास्थ्य को लेकर जागरूकता पैदा करना है।
खबरिया साईट द क्विंट हिंदीने बड़ी ही खूबसूरती के साथ अपनी रिपोर्ट में इस सच का खुलासा करते हुवे लिखा है कि “हमने इस सच का पता लगाने के लिए बहुत ज्यादा मशक्कत नही किया। हमने वीडियो वेरिफिकेशन टूल InVID का इस्तेमाल कर कीफ्रेम निकाले। और उनमें से कुछ पर रिवर्स इमेज सर्च किया। सर्च रिजल्ट में जाकर देखने पर हमें LLLF के ऑफिशियल यूट्यूब हैंडल पर दीपिका का एक वीडियो मिला। वीडियो में उन्होंने वही कपड़े पहने हुए थे जो वायरल वीडियो में हैं। ये वीडियो 10 अक्टूबर 2018 में अपलोड किया गया था। इस वीडियो में एक्ट्रेस इस बारे में बता रही थीं कि कैसे उन्होंने अवसाद से जूझकर उसका सामना किया।” अब आप सोचे एक सप्ताह से ऊपर गुज़र रहे है। आपको एक झूठ के सहारे उस झूठ को ही सच मानने की निगाह दे दिया गया।