जमाखोरी और कालाबाजारी का तर्क देते हुवे भाजपा सांसद ने किया सदन में सरकार से 2 हजार की नोट बंद करने की मांग
आदिल अहमद
नई दिल्ली: बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री और भाजपा सांसद सुशील कुमार मोदी ने उच्च सदन राज्य सभा में शून्यकाल के दौरान मुद्दा उठाते हुवे कहा कि ‘बाजार में गुलाबी रंग के 2 हजार रुपये के नोटों का दर्शन दुर्लभ हो गया है। एटीएम से नहीं निकल रहा है और अफवाह है कि यह अब वैध नहीं रहा।’ उन्होंने कहा कि इन नोटों का आपराधिक गतिविधियों व अवैध व्यापार में बड़े पैमाने पर इस्तेमाल हो रहा है, लिहाजा सरकार को इसे चरणबद्ध तरीके से बंद कर देना चाहिए।
सदन में उन्होंने सरकार से इस बारे में स्थिति स्पष्ट करने की मांग किया और कहा कि सरकार इन परिस्थितियों में वर्त्तमान स्थिति को स्पष्ट करे। ज्ञात हो कि नकली नोट, काला धन, भ्रष्टाचार और आतंकवाद को नियंत्रित करने की बात कहते हुए केंद्र की मोदी सरकार ने 8 नवंबर, 2016 को नोटबंदी की घोषणा की थी। इसके तहत 500 और 1 हज़ार के नोटों को अवैध घोषित कर चलन से बाहर कर दिया गया था। सरकार ने कुछ दिनों के बाद उनके स्थान पर 500 रुपये और 2 हजार रुपये के नए नोट जारी किए थे।
सुशील कुमार मोदी ने दावा किया कि 2016 में 500 रुपये और 1 हजार रुपये के पुराने नोटों को तेज गति से बदलने के लिए आरबीआई द्वारा 2 हजार रुपये के नोट पेश किए गए थे। प्रचलन से जुड़ी कई चुनौतियों के कारण पिछले तीन वर्ष से भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने 2 हजार रुपये के नोटों की छपाई बंद कर दी है और बड़ी संख्या में 2 हजार रुपये के नकली नोट जब्त भी किए जा रहे हैं।
आज प्रश्नकाल के दौरान सुशील मोदी ने कहा कि 2 हजार रुपये के नोटों की जमाखोरी और कालाबाजारी के मामले सामने आ रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘बड़े पैमाने पर लोगों ने 2 हजार के नोटों की जमाखोरी कर रखी है। केवल अवैध व्यापार में इसका इस्तेमाल हो रहा है। कुछ जगहों पर यह ब्लैक में भी मिल रहा है और प्रीमियम पर बिक रहा है।’ उन्होंने कहा कि मादक पदार्थों, मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवाद के वित्तपोषण में सहित कई अपराधों में इन नोटों का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल होता है। सुशील कुमार मोदी ने कहा कि दुनिया की सभी आधुनिक अर्थव्यवस्थाओं में बड़े नोटों का प्रचलन बंद हो गया है। अमेरिका में अधिकतम 100 डॉलर है और वहां भी 1 हजार डॉलर के नोट नहीं हैं। चीन में 100 युआन, कनाडा में सीएडी 100 और यूरोपीय संघ में 200 यूरो अधिकमत हैं। केवल पाकिस्तान और श्रीलंका जैसे देशों में 5 हजार के नोट हैं, जबकि इंडोनेशिया में एक लाख मूल्य तक के नोट प्रचलन में हैं।