हल्द्वानी: आशियाँ छीन जाने के खौफ से सिसक रही 4 हजार 365 घरो में रहने वाली इंसानियत, कल करेगी सुप्रीम कोर्ट सुनवाई, बयान देने के लिए अब जागी सियासत
शाहीन बनारसी
हल्द्वानी हाईकोर्ट के एक हुक्म जिसमे कथित रूप से रेलवे के ज़मींन पर बसी पक्की बस्ती को तोड़ कर ज़मींन खाली करवाने को लेकर अब सियासत ने अपने लबो को आज़ादी दिया है। बेशक आपका पसंदीदा अख़बार और जंग का मैदान बने आपके टीवी चैनल्स इसको आपके सामने बतौर एक बड़ी खबर न पेश करे। मगर एक बड़ी खबर तो ये है ही जो आपके नजरो में शायद दुरी के वजह से दूर रह गई है। मगर खबर तो बेशक बड़ी है।
50-60 हजार की आबादी वाले इस इलाके में 80 फीसद रिहाइश मुस्लिम समुदाय की है और 20 फीसद हिन्दू समुदाय की है। पुरे जिस इलाके को खाली करवाने का हुक्म आया है उसके तहत 10 जनवरी 2023 को 4 हजार 365 मकानों को तोडा जायेगा। ये पक्की आबादी के मकान इस हल्द्वानी के इंद्रानगर, बनभुलपूरा इलाके में है। ऐसा नही कि सिर्फ इंसान को ही बेघर होना पड़ेगा। इस पुरे सीमांकन की ज़द में आये इलाके में मस्जिद भी है और मंदिर भी। स्कूल भी है और इंटर कालेज भी है। बेघर तो इनको भी इस आदेश के तहत होना है।
अदालत के हुक्म आने के बाद स्थानीय प्रशासन ने पूरी तैयारी कर लिया है। पेशोपेश में इंसानियत सिसक रही है कि आखिर ऐसा कैसे हो गया। 6-7 दशक से अधिक वक्त से ये बस्ती यहाँ है। पादुका पूजन में व्यस्त कलमकारी उस बस्ती को दिखा रही है जो कच्ची झोपड़ीनुमा बस्ती है। मगर जब बीते 28 दिसंबर को प्रशासन और रेलवे की तरफ से अतिक्रमण हटाने के अभियान से पहले पिलर बंदी की गई, तो हज़ारों महिला, बच्चे और बुजुर्ग सड़कों पर उतर आए। पीड़ितों ने सरकार से मांग किया कि कार्यवाही को रोककर हाई कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर की जाए।
मगर प्रशासन अब अदालत के इस कार्यवाही को आगे बढ़ाना चाहता है। मामले में स्थानीय कांग्रेस विधायक द्वारा क्षेत्र की जनता के जानिब से सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है जहा कल 5 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट में स्थानीय जनता का पक्ष रखने के लिए सुप्रीम कोर्ट के मशहूर अधिवक्ता और कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद रखेगे। दूसरी तरफ आईजी ने इस कार्यवाही के क्रिन्यवयन हेतु 14 कंपनी पैरामिलिट्री फ़ोर्स और 5 कंपनी आरएऍफ़ की मांग किया है। वही सियासत ने भी अपने लबो को आज़ादी दिया है और मामले में बसपा सुप्रीमो मायावती ने कहा है कि उत्तराखण्ड स्टेट के हल्द्वानी में बर्फीले मौसम में ही अतिक्रमण हटाने के नाम पर हजारों गरीब व मुस्लिम परिवारों को उजाड़ने का अमानवीय कार्य अति-दुःखद। सरकार का काम लोगों को बसाना है, न कि उजाड़ना। सरकार इस मामले में जरूर सकारात्मक कदम उठाये, बीएसपी की यह मांग है।
दुसरे तरफ स्थानीय नागरिको की उम्मीदे सुप्रीम कोर्ट के तरफ नम आँखों के साथ देख रही है। एक, दो या दस, बीस नही बल्कि 4365 घरो को ज़मीदोज़ किया जाना है। इलाके में 50-60 हजार आवाम बेघर होने के कगार पर है। स्थानीय जनता अपना विरोध प्रदर्शन कर रही है। इज्तिमाई दुआ हो रही है। महिलाए और पुरुष दोनों सडको पर है। बच्चो ने स्कूल तक जाना छोड़ दिया है। सबकी आँखों में महज़ नमी है। उनकी आखिरी उम्मीद सुप्रीम कोर्ट के तरफ है। कल सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई होनी है।