लोहता: पौढ़े यादव का मतस्य पालन हेतु बने पोखरे ने लील ली एक और ज़िन्दगी, इससे पहले भी हो चुकी है इसी पोखरे पर ऐसी घटना, महज़ 2 साल के शादीशुदा ज़िन्दगी में विधवा हुई शकील की पत्नी

तारिक आज़मी संग मो0 सलीम

वाराणसी: वाराणसी के लोहता थाना क्षेत्र स्थित चन्दापुर में मतस्य पालन हेतु बने पौढ़े यादव के पोखरे ने एक और ज़िन्दगी को अकाल की काल के गाल में समां दिया। असुरक्षित रूप से बने इस पोखरे में पाँव फिसलने से शकील उर्फ़ राजा (24) की आज दोपहर में मौत हो गई। पुलिस ने गोताखोरों की मदद से शव को काफी मशक्कत के बाद बाहर निकलवाया।

मिली जानकारी के अनुसार चन्दापुर गाँव में पौढ़े यादव का एक पोखरा है। पोखरे में सुरक्षा के कोई भी उपाय नही किये गए है। चर्चाओं के अनुसार पौढ़े यादव इस पोखरे में प्रतिबंधित मछलियों का कारोबार करते है। आज शुक्रवार की दोपहर पोखरे के पास बैठे लोहता धमरिया निवासी शकील किसी प्रकार पैर फिसलने से पोखरे के अन्दर जा गिरा। आसपास मौजूद लोगो ने पहले तो समझा कि शकील बाहर आ जायेगा मगर जब काफी देर तक वह बाहर नही आया तो उन्होंने पुलिस को सुचना दिया।

सुचना पाकर आसपास ही कही गश्त कर रहे लोहता थानाध्यक्ष राजकुमार पाण्डेय तत्काल मौके पर पहुचे। आनन् फानन में पुलिस ने तुरंत गोताखोरों को बुलवाया। इलाके के कुछ युवक अन्दर जाकर तलाशने को कहे तो सुरक्षा की दृष्टि से उनको रोक कर गोताखोरों को पोखरे के अन्दर भेजा गया। काफी तलाश के बाद शकील का शव गोताखोतो ने तालाब से बाहर निकाला। बताया जा रहा है कि शकील का विवाह अभी दो वर्ष पूर्व ही हुआ था और वह नशे का इधर बीच आदी हो गया था। पुलिस ने पंचनामा करके शव पोस्टमार्टम हेतु भेज दिया है।

पहले भी जा चुकी है बच्चे की जान

पौढ़े यादव का ये पोखरा इलाके में काफी चर्चित है। मतस्य पालन हेतु पोखरो पर अमुमन सुरक्षा के उपाय किये जाते है और अन्दर साफ़ सफाई भी काफी रखा जाता है जिससे अन्दर पाली गई मछलियों को कोई नुकसान न हो सके। मगर शुरू से ही पौढ़े यादव ने इन उपायो का ध्यान कभी नही दिया और इलाके के लोगो ने जब भी कुछ कहा तो खुद की हनक से वह आवाज़े दबा दिया गया। पौढ़े यादव के सम्बन्ध ऊँचे लेवल पर होने की चर्चा क्षेत्र में आम तौर पर जानी जाती है।

इलाके के लोगो ने बताया कि लगभग 6 साल पहले एक बच्चा खेलते हुवे इस पोखरे में गिर गया था और उसकी भी डूबने से मौत हो गई थी। उस समय भी जब आवाज़ इसके विरोध और सुरक्षा हेतु उठाई गई थी तो पौढ़े ने वह आवाज़े भी कम करवा दिया अथवा उनकी रफ़्तार धीमी करवा दिया था। आज फिर इस पोखरे ने एक माँ की कोख को उजाड़ दिया। एक 2 साल की सुहागन का सुहाग उजाड़ दिया।

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