मोरबी पुल हादसे में जाँच कर रही एसआईटी ने कहा पुल को थामने वाले 49 में से 22 तार हादसे से पहले ही टूटे हुवे थे, बाकि 27 हादसे के वक्त टूट गए
आदिल अहमद (इनपुट: यश कुमार)
मोरबी: गुजरात के मोरबी में बीते अक्टूबर माह में हुए पुल हादसे में 140 से अधिक लोगों की मौत के कारणों की जाँच के लिए गठित एसआईटी ने प्रारंभिक जांच में उन कुछ प्रमुख कमियों के बारे में बताया गया है जिनके चलते मोराबी पुल टूटा गया था। उन कमियों में केबल पर लगे आधे तारों में जंग लगना और पुराने सस्पेंडर्स को नए के साथ वेल्डिंग कर देना शामिल है।
एनडीटीवी के मुताबिक, ये निष्कर्ष पांच सदस्यीय एसआईटी द्वारा दिसंबर 2022 में सौंपी गई ‘मोरबी पुल हादसे पर प्रारंभिक रिपोर्ट’ का हिस्सा हैं। यह रिपोर्ट हाल ही में राज्य शहरी विकास विभाग द्वारा मोरबी नगर पालिका के साथ साझा की गई थी। आईएएस अधिकारी राजकुमार बेनीवाल, आईपीएस अधिकारी सुभाष त्रिवेदी, राज्य सड़क एवं भवन विभाग के एक सचिव एवं मुख्य अभियंता और स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग के एक प्रोफेसर उक्त एसआईटी के सदस्य थे।
गौरतलब है कि मच्छू नदी पर ब्रिटिश काल के पुल के संचालन और रखरखाव का जिम्मा अजंता मैन्युफैक्चरिंग लिमिटेड (ओरेवा ग्रुप) के पास था। पुल 30 अक्टूबर 2022 को टूट गया था। एसआईटी ने पुल की मरम्मत, रख-रखाव और संचालन में कई खामियां पाईं हैं। उसने पाया है कि माच्छू नदी पर 1887 में तत्कालीन शासकों द्वारा बनाए गए पुल के दो मुख्य केबल में से एक केबल में जंग की दिक्कत थी। रिपोर्ट में संभावना जताई गई है कि इसके लगभग आधे तार 30 अक्टूबर की शाम को केबल टूटने से पहले ही टूट चुके हों। एसआईटी के अनुसार, नदी के ऊपर की ओर की मुख्य केबल टूटने से यह हादसा हुआ था।
एसआईटी रिपोर्ट कहती है कि प्रत्येक केबल सात मोटे तारों से बनी थी, प्रत्येक तार में सात स्टील के तार थे। इस केबल को बनाने के लिए कुल 49 तारों को सात मोटे तारों में जोड़ा गया था। रिपोर्ट के मुताबिक, ‘यह पाया गया कि 49 तारों में से 22 में जंग लगी हुई थी, जो इंगित करता है कि वे तार घटना से पहले ही टूट गए होंगे। बाकी बचे 27 तार बाद में टूट गए।’ साथ ही, एसआईटी ने पाया कि पुल के नवीनीकरण कार्य के दौरान, पुराने सस्पेंडर्स (स्टील की छड़ें जो केबल को प्लेटफॉर्म डेक से जोड़ती हैं) की नए सस्पेंडर्स के साथ वेल्डिंग कर दी गई थी। इसलिए सस्पेंडर्स का व्यवहार बदल गया।