उमेश पाल हत्याकांड: शूटर उमेश की मौत पर पूरी तरह आश्वस्त होना चाहते थे, पोस्टमार्टम में खुला राज़, चिकित्सक भी हुवे हैरान
तारिक खान
डेस्क: उमेश पाल हत्याकांड में काफी सुराग पुलिस के हाथ अब तक लग चुके है। पुलिस सुरागो और शूटरो के कदमो का निशाँ चुन रही है। पुलिस सूत्रों की माने तो जल्द ही पुलिस इस मामले के तह तक पहुच कर खुलासा कर सकती है। उमेश पाल और उनके गनर की हत्या के राज़ का पूरा पर्दा फाश करने के लिए पुलिस दिन रात मेहनत कर रही है। पुलिस की कुल 10 टीम केस पर काम कर रही है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार पुलिस को वह कार भी मिल गई है जिसके द्वारा इस घटना को अंजाम देने शूटर आये थे। उमेश पाल और उनके गनर की हत्या करने के बाद शूटरों ने यह कार माफिया डॉन अतीक के घर के पीछे अपनी कार लावारिस हालत में छोड़ दिया था। कल शनिवार को पुलिस ने वारदात में प्रयुक्त कार को बरामद कर लिया। सीसीटीवी फुटेज से पता चला है कि वारदात को अंजाम देने के बाद शूटर चौफटका होते हुए चकिया पहुंचे थे। इसके बाद किसी दूसरे वाहन से अलग-अलग रास्ते से पिपरी कौशांबी की तरफ भाग निकले।
इसी आधार पर पुलिस और एसटीएफ की टीम दिनभर पीपलगांव, झलवा और एयरपोर्ट के पास कांबिंग करती रही। अतीक का पुश्तैनी मकान खुल्दाबाद थाना क्षेत्र के चकिया मोहल्ले में है। बिना नक्शा पास कर बनाए गए मकान को पुलिस, प्रशासन और पीडीए की टीम ने ढहा दिया है। मुख्य गेट की तरफ रास्ता चौड़ा है, जबकि उसके पीछे की गली संकरी है। शनिवार को कुछ लोगों ने देखा कि एक कार खड़ी है।
कई घंटे बाद भी कार अपनी जगह से नहीं हटी तो संदेह हुआ, जिस पर पुलिस को खबर मिल गई। कुछ ही देर में पुलिस और एसओजी की टीम वहां पहुंच गई और कार को बरामद कर लिया। इसके बाद सीसीटीवी फुटेज से कार का मिलान कराया, जिसके बाद पाया गया कि वारदात में जिस कार का इस्तेमाल हुआ था, वही है। यहां मिले इनपुट के आधार पर पुलिस टीम ने अपनी छानबीन को आगे बढ़ाते हुए राजरूपुर, कालिंदीपुरम, 60 फीट रोड और 120 फीट रोड पर लगे सीसीटीवी कैमरों को खंगाला तो सुराग मिला। हालांकि तस्वीरें स्पष्ट नहीं थीं, लेकिन तेजी से जाने वाले युवकों की हरकतों से माना गया कि वह वारदात में शामिल थे।
इस मामले में मृत भाजपा नेता और अधिवक्ता उमेश शुक्ला के हुवे पोस्टमार्टम में भी काफी कुछ निकल कर सामने आया है। मीडिया रिपोर्ट्स पर अगर ध्यान दे तो डाक्टरों के पैनल ने पाया कि उमेश पाल के शरीर में एक गोली नाक पर, एक गर्दन पर, दो गोलियां पेट में, एक पीठ में, एक गोली जांघ और एक पैर में लगी थी। संभावना जताई गई कि गोलियां पिस्टल और रिवाल्वर से गोली मारी गई थी। वहीं संदीप निषाद को एक गोली बाएं हाथ पर कंधे के नीचे और दूसरी पेट में लगी थी। सिपाही के शरीर पर बम का आंशिक प्रभाव पड़ा था। हालांकि बम का यह प्रभाव इतना नहीं था जिससे मौत हो।
पोस्टमार्टम करने वाले चिकित्सको को उमेश पाल के शरीर में एक गोली मिली बाकी सभी गोली जिस्म को पार करके निकल गई थी। गोलियों से अंदाजा लगाया जा सकता है कि शूटर किसी भी तरीके से उमेश को जिंदा नही छोड़ना चाहते है। वह आश्वस्त होना चाहते थे। तभी इतनी गोलियों को जिस्म में उंडेल दिया ताकि बचने का कोई मौका ही न रहे। दोनों ही मृतकों के शरीर का एक्सरे पुलिस की कड़ी व्यवस्था के बीच करवाया गया था। ताकि ये पता चल सके कि गोली कहा है।