काशी के महाश्मशान ‘मणिकर्णिका’ पर उमड़ा जनसैलाब, धधकती चिताओं के बीच खेली गई चिता भस्म की होली, देखे चंद खुबसूरत तस्वीरे
शाहीन बनारसी
काशी एक जिंदादिल शहर है। इस शहर की खासियत इसकी अल्हड मौज मस्ती है। काशी के सम्बन्ध में एक गीत “जिसने भी छुआ वह स्वर्ण हुआ, लोग कहे मुझे मैं पारस हु, मेरा जन्म महाशमशान मगर मैं जिंदा शहर बनारस हु।” काशी की मशहूरियत इसी से अंदाज़ लगा सकते है कि यहाँ श्मशान घाट पर चिता भष्म से साधू-संत होली खेलते है।
एक तरफ चिताएं धधकती रहती है तो वही दूसरी ओर बुझी चिताओं के भस्म से जमकर साधु-संत और भक्त होली खेलते है। काशी एक ऐसा शहर है जहां मृत्यु का आलिंगन और मौत पर नृत्य होता है। ये एक ऐसा शहर है जहां श्मशान में भी फागुन मनाया जाता है। जी हां, जीवन के शाश्वत सत्य से परिचित कराती स्थली पर होली खेलने का दृश्य सिर्फ यहीं नजर आता है।
परम्परा के अनुसार रंगभरी एकादशी पर माता गौरा का गौना कराने के दूसरे दिन चिता भस्म की होली खेली जाती है। पूरी दुनिया में काशी ही एक ऐसा शहर है जहां महाश्मशान में भी फागुन मनाया जाता है। राग और विराग की नगरी काशी में मणिकर्णिका घाट पर महाश्मशान पर बाबा भोले के भक्तों ने चिता भस्म की होली खेली। काशी की यह रंगभरी एकादशी के बाद विधान युगों पुरानी मानी जाती है।
इसी क्रम में आज शनिवार को मणिकर्णिका श्मशान पर होली देखने के लिए भारी भीड़ उमड़ पड़ी। दोपहर 12 बजे मशानेश्वर महादेव की भोग आरती हुई। इसके बाद सैकड़ों भक्त डमरू, त्रिशूल के साथ चिताओं की भस्म उड़ाकर होली खेलने लगे। हर तरफ ढोल, मजीरे और डमरुओं की थाप के बीच भक्तगण जमकर झूमे और हर-हर महादेव के उद्घोष से महाश्मशान गूंजता रहा। ‘होरी खेलें मसाने में…..’ के बोल पर ’होरी गूंजी’ तो लोग थिरकने से खुद को नहीं रोक सके। दुनिया के कई देशों के पर्यटक भी चिता की भस्म से होली खेलने के उन क्षणों के साक्षी बने।
अनोखी होली खेलने के लिए मणिकर्णिका घाट पर शिव भक्तों का हुजूम इस कदर उमड़ा हुआ था कि पैर रखने की जगह भी नहीं बची थी। एक तरफ शव की कतार के बीच करुण कंद्रन तो दूसरी तरफ हर-हर महादेव का उद्घोष सुनाई दे रहा था। ठंडी चिताओं की भस्म के साथ भभूत उड़ाई जाने लगी। श्मशान पर अंतिम संस्कार के लिए शवों को लेकर गमगीन लोग भी घाट पर पहुंचते रहे। कहीं चिताएं लगती रहीं तो कहीं मुखाग्नि दी जाती रही।
जुना अखाड़े के महामंडलेश्वर गायत्री नन्द गिरी ने खेली ‘मसाने की होली’
जुना अखाड़े के महामंडलेश्वर गायत्री नन्द गिरी ने अपने अनुयाइयो के साथ मसाने में होली खेली। इस दरमियान उन्होंने अपने भक्तो को चिता भस्म लगा कर उनके साथ होली खेली और भक्तो को आशीर्वाद दिया। दिल्ली से आये गायत्री नन्द गिरी का आशीर्वाद लेने के लिए श्मशान घाट पर काफी भक्तो की भीड़ इकठ्ठा थी। रीति के अनुसार उन्होने श्मशान पर ही विधि अनुरूप पूजा किया।