लखनऊ: ‘टीले वाली मस्जिद’ को मन्दिर बताने वाली याचिका पर सिविल जज द्वारा मस्जिद कमेटी की आदेश 7 नियम 11 के तहत दाखिल याचिका खारिजा के खिलाफ कमेटी पहुची हाई कोर्ट, अदालत ने जारी किया नोटिस
आदिल अहमद
लखनऊ: लखनऊ स्थित टीले वाली मस्जिद को भगवान शेषनागेष्ट तीलेश्वर महादेव मंदिर बताते हुवे भगवान शेषनागेष्ट तीलेश्वर महादेव विराजमान के मित्र डॉ0 वी0 के0 श्रीवास्तव के माध्यम से दायर याचिका पर लखनऊ सिविल जज द्वारा मस्जिद कमेटी की जानिब से आदेश 7 नियम 11 के तहत दाखिल याचिका को ख़ारिज करने के मुखालिफ अब मस्जिद कमेटी ने हाई कोर्ट का रुख किया है। अदालत ने आज इस सम्बन्ध में अन्य पक्ष को नोटिस जारी किया है। इस याचिका पर आज जस्टिस माथुर की अदालत में सुनवाई हुई है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट के समक्ष दाखिल इस याचिका में शहर की टीले वाली मस्जिद परिसर पर कब्जा करने के लिए लखनऊ न्यायालय के समक्ष लंबित एक मुकदमे के सुनवाई योग्य होने को चुनौती दी गई है। सोमवार को मामले की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने विपक्षी पक्ष से 28 अप्रैल तक जवाब मांगा है। बताते चले कि लखनऊ सिविल कोर्ट के समक्ष लंबित मुकदमा 2013 में भगवान शेषनागेष्ट तीलेश्वर महादेव विराजमान मित्र डॉ0 वी0 के0 श्रीवास्तव के माध्यम से दायर किया गया था। जिसमें कहा गया था कि मुगल बादशाह औरंगजेब के शासन के दौरान, एक हिंदू धार्मिक ढांचे को टीले वाली मस्जिद के लिए रास्ता बनाने के लिए ध्वस्त कर दिया गया था और इसलिए उक्त परिसर को अब देवता भगवान शेषनागेष्ट तीलेश्वर महादेव विराजमान को सौंप दिया जाए।
वादी-देवता पक्ष का यह भी कहना है कि टीले वाली मस्जिद वास्तव में लक्ष्मण टीला है और इसे मुगल शासन के दौरान एक मस्जिद में परिवर्तित कर दिया गया था। सूट में यह भी दावा किया गया है कि तिलेश्वर मंदिर मस्जिद के अंदर मौजूद है और पूरा परिसर शेषनाग दूधेश्वर महादेव का स्थान है। इस वाद में परिसर के अंदर पूजा अधिकारों के लिए भी प्रार्थना की गई है। हिंदू उपासकों का दावा है कि भगवान राम ने अपने छोटे भाई लक्ष्मण को सनातन काल में लक्ष्मण पुरी बनाने का निर्देश दिया था। निर्देश के बाद, लक्ष्मण ने गोमती के तट पर लक्ष्मणपुरी का निर्माण किया और एक टीले पर एक शिवलिंग की स्थापना की, जिसका नाम शेषनाग तिलेश्वर महादेव है जिसका वर्तमान में टीले वाली मस्जिद नाम रखा गया।
इस मामले में वर्ष 2017 में सिविल जज (सीनियर डिवीजन) लखनऊ ने मस्जिद पक्षकारों की आदेश 7 नियम 11 सीपीसी के तहत दाखिल याचिका को खारिज करते हुए मुकदमे को सुनवाई योग्य माना था। इसके बाद एडीजे की अदालत ने आदेश के खिलाफ दायर पुनरीक्षण याचिका को भी खारिज कर दिया। इन दोनों आदेशों को चुनौती देते हुए मस्जिद पक्ष जिसका प्रतिनिधित्व मौलाना सैयद शाह फजलुल मन्नान कर रहे है ने हाईकोर्ट का रुख किया है। अदालत में याचिकाकर्ता की यह प्राथमिक दलील है कि पूजा स्थल अधिनियम के लागू होने के कारण लखनऊ कोर्ट के समक्ष दायर याचिका सुनवाई योग्य नहीं है। जस्टिस मनीष माथुर की खंडपीठ ने सोमवार को मामले की सुनवाई करते हुए विपक्षी दलों को अपना जवाब दाखिल करने के लिए 10 दिन का समय दिया।