बृजभूषण सिंह के ख़िलाफ़ धरने पर बैठे बजरंग पुनिया और साक्षी मलिक समेत सभी पहलवान गंगा में बहायेंगे अपने मेडल
शाहीन बनारसी
डेस्क: कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष बृजभूषण सिंह के ख़िलाफ़ राजधानी दिल्ली में एक महीने से भी ज़्यादा समय से धरने पर बैठे पहलवानों ने अपने मेडलों को गंगा नदी में बहाने की घोषणा की है। भारत के शीर्ष के कुश्ती पहलवान कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह की गिरफ़्तारी की मांग को लेकर जंतर मंतर पर धरना दे रहे थे। लेकिन 28 मई को दिल्ली पुलिस ने इनके अनशन को जबरन जंतर मंतर से हटा दिया था। पहलवानों ने बृजभूषण सिंह पर यौन शोषण का आरोप लगाया है।
प्रदर्शन करने वाले पहलवानों में ओलंपिक पदक विजेता बजरंग पूनिया, साक्षी मलिक भी शामिल हैं। इनके अलावा ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व कर चुकीं विनेश फोगाट भी प्रदर्शन की चर्चित चेहरा हैं। बताते चले कि 28 मई को देश के नए संसद भवन का उद्घाटन हुआ था। बजरंग पुनिया, साक्षी मलिक और विनेश फोगाट इसी दिन नए संसद तक मार्च करना चाह रहे थे। इनका साथ किसान नेता भी दे रहे थे। लेकिन पुलिस ने इन्हें मार्च करने से रोक दिया था और हिरासत में ले लिया था। इसके अलावा जंतर मंतर पर लगे इनके टेंट को जबरन हटा दिया था।
वही पुलिस की इस कार्रवाई के तीन दिन बाद बजरंग पूनिया और साक्षी मलिक ने मंगलवार को एक बयान जारी किया है। इसमें उन्होंने कहा है, “अब हमें ये मेडल नहीं चाहिए क्योंकि इन्हें पहनाकर हमें मुखौटा बनाकर ये तेज सफ़ेदी वाला तंत्र सिर्फ़ प्रचार करता है।” पहलवानों ने बयान में कहा है, “28 मई को जो हुआ वो सबने देखा। पुलिस ने हमें बर्बरता से गिरफ़्तार किया। हम शांतिपूर्ण आंदोलन कर रहे थे। हमारे आंदोलन की जगह को भी पुलिस ने तहस-नहस कर के हमसे छीन लिया और अगले दिन गंभीर मामलों में हमारे ऊपर ही एफ़आईआर दर्ज कर दी गई। क्या महिला पहलवानों ने अपने साथ हुए यौन उत्पीड़न के लिए न्याय मांगकर कोई अपराध कर दिया है।”
“हम महिला पहलवान ऐसा महसूस कर रही हैं कि इस देश में हमारा कुछ नहीं बचा। हमें वो पल याद आ रहे हैं जब हमने ओलंपिक, वर्ल्ड चैंपियनशिप में मेडल जीते थे। अपने आत्म सम्मान के साथ समझौता करके भी क्या जीना। ये सवाल आया कि किसे लौटाएं। हमारी राष्ट्रपति जी को, जो सिर्फ़ दो किलोमीटर दूर बैठी सब देखती रहीं, लेकिन कुछ बोली नहीं। हमारे प्रधानमंत्री जी को, जो हमें अपने घर की बेटियां बताते थे और एक बार भी सुध-बुध नहीं ली।” पहलवानों ने कहा, “इन मेडलों को हम गंगा में बहाने जा रहे हैं, क्योंकि वह गंगा मां हैं। जितना पवित्र हम गंगा को मानते हैं, उतनी ही पवित्रता से हमने मेहनत कर इन मेडलों को हासिल किया था।”