सत्ता के गलियारों से हमारे सूत्र बताते है कि ‘चल रहा है मंथन और कर्णाटक में हिजाब बैन को हटा सकती है नवनिर्वाचित कांग्रेस सरकार’, पढ़े क्या बोले कर्णाटक के मंत्री प्रियंक खरगे
शाहीन बनारसी
डेस्क: कर्नाटक के सियासी गलियारों के हमारे सूत्रों से मिल रही जानकारी हमको इस बात से आगाह कर रही है कि कर्णाटक में नवनिर्वाचित कांग्रेस सरकार पूर्व की भाजपा सरकार द्वारा शिक्षण संस्थानों में हिजाब के बैन को खत्म कर सकती है। यहाँ गौरतलब हो कि एमनेस्टी इंडिया ने कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार से हिजाब बैन को हटाने की मांग की थी। हमारे सियासी गलियारों के सूत्रों की बात अगर पुख्ता है तो सियासी हलचल फिर इस मामले में एक बार देखने को मिल सकती है।
बीते दिनों जब राज्य में कांग्रेस को बंपर जीत मिली तो एमनेस्टी इंडिया ने महिलाओं के हिजाब पर लगे बैन को हटाने की अपील की थी। साथ ही कर्नाटक प्रिवेंशन एंड प्रिजर्वेशन ऑफ कैटल एक्ट 2020 के साथ ही कर्नाटक प्रोटेक्शन ऑफ राइट टू फ्रीडम ऑफ रिलीजन बिल 2022 को भी हटाने की मांग की।
स्मरण रहे कि कर्नाटक में भाजपा सरकार के दौरान राज्य के शिक्षण संस्थानों में हिजाब पहनकर आने पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। इसे लेकर कर्नाटक समेत पूरे देश की सियासत में उबाल आ गया था और काफी हंगामा हुआ था। हालांकि भाजपा सरकार अपने फैसले पर अडिग रही और उसने राज्य के शिक्षण संस्थानों में छात्र-छात्राओं के ड्रेस कोड में ही स्कूल कॉलेज आने की बात कही। इस मामले में दक्षिणपंथी संगठनो बजरंग दल और विश्व हिन्दू परिषद् के कार्यकर्ताओं ने भी काफी हंगामा किया था।
जिसके बाद मामला अदालत की चौखट पर पंहुचा और सियासत और भी तेज़ हो गई थी। कर्नाटक हाईकोर्ट ने भी पूर्व की भाजपा सरकार के फैसले को सही ठहराते हुए शिक्षण संस्थानों में हिजाब पर बैन के फैसले को सही ठहराया था। वही दूसरी तरफ जब कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में ही इस बात का वायदा किया है कि पीऍफ़आई और बजरंग दल जैसे कट्टरपंथी संगठनो पर प्रतिबन्ध लगेगा तो बजरंग दल शायद इस मामले को सियासी रूप देने की एक बार फिर कोशिश करे।
हमारे सियासी गलियारों के सूत्रों की जानकारी को पुख्ता आज की मीडिया रिपोर्ट भी करती है। इस सम्बन्ध में मीडिया को दिए अपने बयान में कर्णाटक सरकार के मंत्री प्रियांक खरगे ने कहा है कि आदेश की समीक्षा की जाएगी। कर्नाटक सरकार के मंत्री और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के बेटे प्रियांक खरगे ने एमनेस्टी इंडिया की मांग पर कहा कि सरकार इस आदेश की समीक्षा करेगी।
उन्होंने कहा ‘हम इसे लेकर बिल्कुल साफ हैं कि ऐसे हर आदेश और बिल की समीक्षा की जाएगी जो कर्नाटक की आर्थिक नीतियों को प्रतिगामी बनाता हो, जो बिल राज्य की छवि को धूमिल करे या फिर राज्य की आर्थिक नीतियों में उसका कोई इस्तेमाल ना हो, जो बिल किसी व्यक्ति के अधिकारों का हनन करता हो और असंवैधानिक हो, उन सभी की समीक्षा की जाएगी और जरूरत हुई तो उन्हें खारिज किया जाएगा।’