ओड़िसा बालासोर ट्रेन हादसा और ट्वीटर पर हो रही अजीब सियासत: समझ नही आता कि इसमें ‘आरक्षण’ की क्या भूमिका है?
शाहीन बनारसी
ओड़िसा के बालासोर ट्रेन हादसे की सही-सही वजह सामने अभी तक नही आई है। इसकी जाच चल रही है कि आखिर यह हादसा किस प्रकार और क्यों हुआ है। फिर भी अगर देखें, तो ट्रेन कब चलेगी और कब रुकेगी, ये लोकोपायलट के हाथ में नहीं होता। वो या तो सिग्नल के हिसाब से चलती है, या फिर गाड़ी के गार्ड के कहे मुताबिक। लोकोपायलट और गार्ड ही वो दो लोग होते हैं, जो गाड़ी के ब्रेक लगाने का फैसला लेते हैं।
गाड़ी को जब तक हरा सिग्नल मिलता रहता है, वो अपनी नियत रफ्तार से चलती है। ये प्रोटोकॉल है। लोकोपायलट इमरजेंसी ब्रेक भी लगा सकते हैं। लेकिन अगर इमरजेंसी ब्रेक लगा दे, तो ब्रेक पाइप का प्रेशर पूरी तरह खत्म हो जाएगा और गाड़ी के हर पहिए पर लगा ब्रेक शू पूरी ताकत के साथ रगड़ खाने लगेगा। इसके बावजूद ट्रेन 800 से 900 मीटर तक जाने के बाद ही पूरी तरह रुक पाएगी। मगर ट्वीटर पर लोग इसके लिए ज़िम्मेदारी तय कर रहे है आरक्षण को। ट्वीट ऐसे ऐसे है कि उनको पढ़ कर आपको हंसी आएगी साथ ही आप भी कह उठेगे ‘हद कर दी यारो’।
ट्विटर पर कई यूजर्स इसी तरह की बातें लिख रहे हैं। वे आरक्षण व्यवस्था के जरिये नौकरी में आए लोगों को कम स्किल्ड बता रहे हैं। वैसे बताते चले कि कोई रिसर्च या रिपोर्ट नहीं है जो साबित करे कि आरक्षण का लाभ लेकर आए लोग कम स्किल्ड होते हैं। जनवरी 2022 में सुप्रीम कोर्ट ने एक फैसले का हवाला देते हुवे इंडियन एक्सप्रेस ने रिपोर्ट तैयार किया था। रिपोर्ट के अनुसार जनवरी 2022 में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि आरक्षण किसी व्यक्ति के मेरिट के खिलाफ नहीं है। बल्कि ये संविधान के तहत समानता के लक्ष्य को प्राप्त करने का तरीका है।
Remember railway has a policy of recruiting responsible staff with a ‘Best Among Failed’ reservation system. Lives are less important in India than ‘Best Among Failed’ candidates.
— Shubham Sharma (@Shubham_fd) June 3, 2023
ट्वीटर यूज़र शुभम शर्मा नाम के एक सज्जन ने ट्वीट किया, ‘जान लीजिये रेलवे की एक पॉलिसी है ‘फेल होने वालों में बेस्ट’ आरक्षण सिस्टम, जिसके तहत जिम्मेदार स्टाफ को नियुक्ति की जाती है। भारत में ‘फेल होने वालों में बेस्ट’ कैंडिडेट की तुलना में लोगों की जान कम महत्वपूर्ण है।’
इस हादसे के पीछे कितने पहलू हैं। जब पहली ट्रेन पलटी तो दूसरी ट्रेन में इंजन ड्राइवर को पता क्यों नहीं चला? आगे वाली ट्रेन को स्टेशन मास्टर ने क्यों नहीं रोका? सब के पास वॉकी टॉकी होता है। माल गाड़ी को भी सूचित नहीं किया गया। माल गाड़ी तो 40-50 किलोमीटर की स्पीड होती है। 200 से… pic.twitter.com/GikaJJYfFD
— Milan Sharma (@Milan_reports) June 3, 2023
रामनाथ गोयनका अवार्ड पाने वाले खुद की प्रोफाइल में दावा करने वाले मिलन शर्मा नाम के एक यूज़र्स आईडी से लिखा गया वह आपको चौकाने के लिए बेहद काफी है। उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा कि ‘इस हादसे के पीछे कितने पहलू हैं। जब पहली ट्रेन पलटी तो दूसरी ट्रेन में इंजन ड्राइवर को पता क्यों नहीं चला? आगे वाली ट्रेन को स्टेशन मास्टर ने क्यों नहीं रोका? सब के पास वॉकी टॉकी होता है। माल गाड़ी को भी सूचित नहीं किया गया। माल गाड़ी तो 40-50 किलोमीटर की स्पीड होती है। 200 से ज़्यादा की मौत।‘
जिस देश में 80% कर्मचारी जातिगत आरक्षण के सहारे भर्ती होते हैं, वहाँ ऐसे हादसे होना स्वाभाविक है…!
60 लोगों की दर्दनाक मौत।
प्रधानमंत्री को इस्तीफा दे देना चाहिए?#TrainAccident pic.twitter.com/CgKhs5GXKa
— Rahul Sharma (@TheRahul98) June 2, 2023
राहुल शर्मा नाम के एक ट्विटर ने लिखा है, ‘जिस देश में 80% कर्मचारी जातिगत आरक्षण के सहारे भर्ती होते हैं, वहाँ ऐसे हादसे होना स्वाभाविक है……! 60 लोगों की दर्दनाक मौत। प्रधानमंत्री को इस्तीफा दे देना चाहिए?’
आरक्षण वाले ही ट्रेन चलाएंगे, आरक्षण वाले ही स्टेशन कंट्रोल करेंगे तो ऐसे बड़े हादसों को कभी नहीं रोका जा सकता।
आज रेलवे में 70% स्टाफ आरक्षण वाला है ।— jadon (@jadonjpr) June 3, 2023
जाडोन नाम के एक यूजर ने लिखा, ‘आरक्षण वाले ही ट्रेन चलाएंगे, आरक्षण वाले ही स्टेशन कंट्रोल करेंगे तो ऐसे बड़े हादसों को कभी नहीं रोका जा सकता। आज रेलवे में 70% स्टाफ आरक्षण वाला है।’