भारतीय सेना में काम कर रहे जयंत कुमार और प्रद्युमन कुमार के पाकिस्तानी नागरिक होने के आरोपों की जाँच अब सीबीआई भी करेगी, कलकत्ता हाईकोर्ट ने दिया निर्देश

यश कुमार

डेस्क: कलकत्ता हाई कोर्ट ने उत्तर 24-परगना जिले के बैरकपुर स्थित सेना की छावनी में दो पाकिस्तानी नागरिकों के काम करने के आरोप की सीबीआई जांच का निर्देश दिया है। मंगलवार को इस मामले की सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति राजशेखर मंथा ने कहा कि सीआईडी के साथ-साथ सीबीआई भी इस मामले में प्राथमिक जांच शुरू कर दे। देश की सुरक्षा के हित में तमाम एजेंसियों को एक साथ मिलकर काम करना होगा।

दरअसल, हुगली जिले के रहने वाले विष्णु चौधरी नामक एक व्यक्ति ने बीती छह जून को हाई कोर्ट में इस बारे में एक याचिका दायर की थी। इसमें आरोप लगाया गया था कि केंद्र सरकार के स्टाफ सेलेक्शन कमीशन की परीक्षा पास कर पाकिस्तानी नागरिक भारतीय सेना में काम कर रहे हैं। इसमें बैरकपुर के दो कर्मचारी भी शामिल हैं। उनके नाम क्रमशः जयंत कुमार और प्रद्युमन कुमार हैं। याचिका में आरोप लगाया गया है कि यह दोनों पाकिस्तान से आकर सेना में शामिल हुए हैं। उन्होंने फर्जी दस्तावेजों के सहारे परीक्षा पास करने के बाद नौकरी हासिल की है।

इससे पहले इस मामले की सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति मंथा ने पाकिस्तान खुफिया एजेंसी आईएसआई का हाथ होने का भी संदेह जताया था। मंगलवार की सुनवाई के दौरान जज ने कहा कि राज्य सरकार से मिली जानकारी के मुताबिक सीआईडी की प्राथमिक जांच में बेहद अहम तथ्य मिले हैं। इस मामले के तार बिहार, उत्तर प्रदेश और असम समेत कई राज्यों तक फैले हैं। फर्जी डोमिसाइल सर्टिफिकेट छापने वाली प्रिंटिंग प्रेस का भी पता चल गया है।

न्यायमूर्ति मंथा का कहना था, ‘इस मामले में सेना, सीबीआई और सीआईडी को टकराव से बचते हुए मिल कर काम करना होगा। सीआईडी को मिली जानकारी सेना को सौंपनी होगी। बाद में सेना जरूरत के हिसाब से रिपोर्ट दे सकती है।‘ इस मामले की अगली सुनवाई 26 जुलाई को होगी। अदालत ने सीआईडी और सीबीआई को उस दिन जांच की प्रगति रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है।

याचिका में आरोप लगाया है कि इस मामले में कई प्रभावशाली नेता, सरकारी अधिकारी, पुलिस और स्थानीय नगरपालिका भी शामिल है। आरोप है कि एसएससी की परीक्षा के लिए डोमिसाइल सर्टिफिकेट के अलावा जाति प्रमाणपत्र और चरित्र प्रमाणपत्र जैसे कई दस्तावेजों की जरूरत होती है। ऐसे फर्जी दस्तावेजों के जरिए बाहरी लोगों के परीक्षा में शामिल होने की व्यवस्था की जा रही है।

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