700 भारतीय छात्रों को वापस भेजने के फ़ैसले पर कनाडा ने लगाई रोक
तारिक़ खान
डेस्क: कनाडा ने कहा है कि वह सैकड़ों भारतीय छात्रों को वापस भेजने की प्रक्रिया फ़िलहाल रोकेगा। ये छात्र यूनिवर्सिटी के फ़र्जी लेटर लेकर कनाडा पहुंचे थे। इसके बाद से ही उन पर भारत वापस भेजे जाने का ख़तरा मंडरा रहा था। कनाडा के इमिग्रेशन मंत्री सीन फ्रेज़र ने बुधवार को ये जानकारी दी है कि कनाडा दर्जनों भारतीय छात्रों को वापस भेजने की योजना अभी के लिए रोक रहा है।
सीबीसीन्यूज़ चैनल से बात करते हुए फ़्रेज़र ने कहा कि एक कथित इमिग्रेशन योजना में कनाडा में प्रवेश करने के लिए नक़ली दस्तावेजों का इस्तेमाल करने के कारण कई भारतीय छात्रों को डिपोर्ट करने के लिए पेपर भेजे गए थे। कनाडा पहुंचे 700 छात्रों पर वापस भेजे जाने का ख़तरा मंडरा रहा है। ये छात्र मुख्य रूप से पंजाब से हैं, जिन्हें कथित फ़र्जी एडमिशन ऑफर के कारण कनाडा ने वापस भारत भेजने का फ़ैसला किया था।
सीबीएस की रिपोर्ट के मुताबिक़, यूनिवर्सिटी से जो एक्सेप्टेंस लेटर छात्रों को मिले थे, उन्हें लेकर कनाडा बॉर्डर एजेंसी ने बताया था कि ये दस्तावेज़ नक़ली हैं और वो अपने देश वापस भेजे जा सकते हैं। वहीं छात्रों का कहना है कि उन्हें नहीं पता था कि उन्हें मिले यूनिवर्सिटी के लेटर नकली थे। उन्होंने भारत के एक इमिग्रेशन-एजेंट पर आरोप लगाया, जिसने उन्हें यूनिवर्सिटी में आवेदन करवाया था।
फ्रेजर ने संवाददाताओं से कहा कि एक स्पेशल टास्क फ़ोर्स हर उन छात्रों के मामले को देखेगा, जिन्हें देश छोड़ने के लिए कहा गया था। उन्होंने ये नहीं बताया कि ठीक-ठीक कितने छात्रों को वापस भेजा जा रहा था। उन्होंने कहा, “लोगों को वापस भेजने की प्रक्रिया पर फ़िलहाल रोक लगाई जा रही है। ये अंतरिम फ़ैसला है। उन्हें कनाडा में रहने की अस्थायी इजाज़त है, तब तक जब तक कि इस मामले पर ठीक से विचार ना कर लिया जाए।”
विदेश मंत्री एस0 जयशंकर ने कहा था कि विदेश मंत्रालय और कनाडा में स्थित भारतीय उच्चायोग वहां 700 भारतीय छात्रों के मामले को हल करने के लिए काम कर रहे हैं। जयशंकर ने कहा था, “शुरुआत से ही, विदेश मंत्रालय और उच्चायोग ने छात्रों का मामला उठाया है। दोषियों को सज़ा मिलनी चाहिए। नई रिपोर्ट में पता चला है कि कनाडाई सरकार स्वीकार कर रही है कि यदि छात्र ने कोई ग़लत काम नहीं किया है तो डिपोर्ट करना उनके साथ ग़लत होगा।वे इस बात को भी स्वीकार करते हैं कि उन्हें इसका समाधान खोजना होगा। मुझे लगता है कि कनाडा का सिस्टम इस लिहाज से निष्पक्ष है। “