बिहार के विवादित यूट्यूबर मनीष कश्यप की नही कम हो रही मुश्किलें, मनीष कश्यप का असली नाम निकला त्रिपुरारी तिवारी

अनिल कुमार

पटना: बिहार के चर्चित यूट्यूबर मनीष कश्यप जिनका असली नाम त्रिपुरारी तिवारी है की मुश्किलें ख़त्म होने के बजाय बढ़ती ही जा रहीं। उन्हें बेतिया कोर्ट ने 27 जून 2023 को पेशी के लिए तलब किया है। बेतिया कोर्ट ने मनीष को साल 2020 में भाजपा विधायक उमाकांत सिंह के साथ मारपीट और रंगदारी माँगने के मामले में तलब किया है। उन्हें तमिलनाडु (मदुरै सेंट्रल जेल) से बेतिया लाने की प्रक्रिया चल रही है।

इस मामले में डिस्ट्रिक्ट प्रॉसिक्यूशन ऑफ़िसर (जिला अभियोजन अधिकारी) उमेश कुमार शर्मा ने प्रेस नोट जारी करते हुए कहा कि त्रिपुरारी कुमार तिवारी उर्फ़ मनीष कश्यप पर भाजपा नेता से मारपीट और रंगदारी माँगने को लेकर मंझौलिया थाने में मामला दर्ज किया गया था। उन्होंने बताया कि उस मामले में कोर्ट ने मनीष के ख़िलाफ़ प्रोडक्शन वारंट जारी किया है। उन्हें 27 जून को कोर्ट में लाने की प्रक्रिया जारी है।

मनीष कश्यप पर यह मामला साल 2020 में दर्ज हुआ था। तब वे बेतिया ज़िले के चनपटिया विधानसभा से विधानसभा के निर्दलीय उम्मीदवार थे। इसी दौरान भाजपा विधायक और उनके बीच किन्हीं बातों को लेकर कहासुनी हो गई थी। बाद में भाजपा विधायक ने उन पर मारपीट और रंगदारी के मामले दर्ज करवाए। इस मामले में वे एक भी बार कोर्ट में पेश नहीं हुए थे। 12 जून 2023 को सुनवाई की तारीख़ तय थी लेकिन मदुरै जेल के अधीक्षक ने वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग के जरिए उनके मौजूदगी की बात कही थी, लेकिन अब बेतिया कोर्ट ने उन्हें हर हालत में सशरीर 27 जून को कोर्ट में पेश होने के आदेश जारी किए हैं।

कोर्ट ने उनके ख़िलाफ़ प्रोडक्शन वारंट भी जारी किया है।ग़ौरतलब है कि त्रिपुरारी तिवारी (मनीष कश्यप) पर तमिलनाडु में बिहारी मज़दूरों के साथ कथित हिंसा को लेकर बनाए गए फेक वीडियो और सर्कुलेशन को लेकर पहले से मामले दर्ज हैं। उन पर एनएसए नेशनल सिक्योरिटी एक्ट लगा है, साथ ही ईओयू ने भी रुपये-पैसे के हेरफेर के मामले दर्ज किए हैं। काफ़ी शोर-शराबे और फरारी के बीच जब बिहार पुलिस उनके घर कुर्की-जब्ती के लिए पहुँची, उसी दौरान उन्होंने जगदीशपुर थाने में सरेंडर किया था।

मनीष कश्यप उर्फ़ त्रिपुरारी तिवारी पर दर्ज कई पुराने मामले भी

मनीष कश्यप पर साल 2016-17 में एक वीडियो में महात्मा गांधी के लिए अपशब्दों के इस्तेमाल का आरोप है। उन्होंने 2018 में बिहार के बेतिया में एक चर्च में रखी किंग एडवर्ड की मूर्ति तोड़ दी थी, उसके बाद उन्हें बेतिया पुलिस ने गिरफ़्तार भी किया था। मनीष कश्यप ने जिस स्कूल में पढ़ाई की थी, उसके हेडमास्टर को पीटने का भी आरोप उन पर लगा है। उसके बाद उन पर मुक़दमा भी हुआ था जिसमें महिलाओं से छेड़छाड़ करने का आरोप भी शामिल है।

साल 2019 में पुलवामा हमले के बाद पटना में कश्मीरी शॉल, स्वेटर वगैरह के मेले में मनीष कश्यप ने कश्मीरी लोगों के साथ मारपीट की थी और उनके कपड़े फेंक दिए थे। उस मामले में भी मनीष कश्यप को जेल भेजा गया था। साल 2021 में उन्होंने बैंक में जाकर मैनेजर के साथ मारपीट की थी। बैंक मैनेजर ने इसके ख़िलाफ़ केस दर्ज कराया था। इस मामले में गिरफ़्तारी से बचने के लिए वे हाई कोर्ट गए थे, लेकिन अदालत ने उनकी अग्रिम ज़मानत की याचिका ख़ारिज़ कर दी थी।

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