सिर्फ संजीव जीवा ही नहीं इसके पहले भी इन हत्याओं की गवाह बन चुकी है अदालत की बिल्डिंगे, वजह भले ही अलग हो मगर तरीके लगभग एक रहे है
तारिक़ आज़मी
डेस्क: गैंगस्टर संजीव जीवा की 7 जून को पेशी के दरमियान हत्या कर दिया जाता है। इस हत्या में शामिल अभियुक्त के सम्बन्ध में जो जानकारी निकल कर सामने आई वह अतीक अहमद और अशरफ हत्याकांड से मिलती जुलती कहानी ही है कि शूटर का संजीव जीवा से कोई दूर दूर तक टच नही मिला है। शूटर आजमगढ़ से एक युवती के अपहरण मामले में शामिल था। गरीब परिवार का है और साथ ही एक दो महीने से परिजनों के संपर्क में नही था। इस जानकारी के साथ ही सवाल वही उठे कि ऐसे इन्सान के पास ये असलहा किसने मुहैया करवाया असलहा महंगा था और अचूक मारक क्षमता वाला था।
बहरहाल, जीवा की कोर्ट परिसर में हत्या कोई पहला मामला नही है। हत्या का तरीका था कि जीवा पेशी के लिए जब आया तभी वकील के भेष में आए हमलावर ने उसे गोली मार दी और जीवा ने कोर्ट परिसर में ही दम तोड़ दिया। ये सब जज के सामने हुआ। इस घटना में दो बच्चो सहित तीन घायल हुवे। मगर यह कोई पहला मामला नही है कि इस तरीके से अदालत परिसर में घटना हुई है। इसके पहले भी कई घटनाये हुई है। कोर्ट परिसर में होने वाली हत्याओं में कारण भले अलग-अलग हो, लेकिन सभी हत्याओं का तरीका लगभग एक ही रहता है।
मरने वाला पुलिस की सुरक्षा/जेल में होता है और अदालत ही वो जगह होती है, जहां उसका सामना हमलावर से हो सकता है। इसी मौके का फायदा उठाकर हत्या की जाती है। हत्याएं वकील के चेंबर में भी हुई हैं और जज के सामने भी। ये बताता है कि कानून का इकबाल इन मौकों पर लगभग बेमानी हो जाता है। इसीलिए ये मानने की कोई वजह सामने नही आ रही है कि संजीव जीवा हत्याकांड वो आखिरी मौका होगा, जब कोर्ट के भीतर किसी की जान गई। भले ही सुरक्षा जितनी भी बढाने की मांग हो। कुछ पुरानी घटनाओं का हम उदहारण देते चलते है।
19 अक्टूबर, 2021 के शाहजहांपुर सदर बाजार क्षेत्र स्थित अदालत में जलालाबाद के रहने वाले 60 साल के वकील भूपेंद्र सिंह की एक दूसरे वकील ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। हत्या करने वाले वकील सुरेश गुप्ता की उम्र 88 वर्ष थी। हत्या के तुरंत बाद सुरेश को गिरफ्तार कर लिया गया था। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस घटना के बाद आरोपी सुरेश गुप्ता का एक वीडियो भी सामने आया था। वीडियो में सुरेश ने बताया कि भूपेंद्र सिंह ने उनके ऊपर 24 फर्जी मुकदमे कर रखे थे। ये मुकदमे चोरी से लेकर मर्डर तक के थे। सुरेश ने कहा कि इस वजह से वो बहुत परेशान थे, खाना नहीं खा पाते थे। सो नहीं पाते थे। भूपेंद्र किरायेदार के तौर पर सुरेश के घर पर भी रह चुके थे। जहां पुलिस के दख़ल के बाद ही उन्होंने मकान खाली किया था। सुरेश गुप्ता बैंक से रिटायर्ड पेंशनर थे। गोली मारने की बात पर उन्होंने कहा था कि, ‘मेरे सामने मजबूरी थी, खुद मर जाना या मार देना’।
अक्सर चर्चाओं का केंद्र रहने वाले दिल्ली के रोहिणी कोर्ट में 24 सितंबर, 2021 को कोर्ट रूम में कुख्यात बदमाश जितेंद्र गोगी की पेशी होने वाली थी। दिल्ली पुलिस की तीसरी बटालियन और काउंटर इंटेलिजेंस टीम उसे अपने साथ लाई थी। इसको बताने का हमारा मकसद सिर्फ इतना है कि गोगी कोर्टरूम के अंदर भी कड़ी सुरक्षा में आया था। तभी वकील की ड्रेस पहने दो लोगों ने गोगी पर गोलियों की बौछार कर दी और गोगी मारा गया। ये ठीक संजीव जीवा जैसे पैटर्न में हुई हत्या थी।
यहाँ फर्क केवल एक था कि गोलियां चलते ही काउंटर इंटेलिजेंस टीम ने जवाबी फायर किया। और मुठभेड़ में दोनों हमलावर भी मारे गए थे। दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने जितेंद्र गोगी को साल 2020 में उसके तीन अन्य साथियों के साथ गिरफ्तार किया था। उस वक्त गोगी पर दिल्ली पुलिस ने आठ लाख रुपए का इनाम रखा था। गोगी हत्याकांड की जिम्मेदारी टिल्लू ताजपुरिया ने ली थी। जो मकोका के तहत तिहाड़ जेल में बंद था। गोगी की गैंग ने इसका बदला भी लिया। 2 मई, 2023 को तिहाड़ जेल के भीतर टिल्लू ताजपुरिया पर हमला हुआ और उसे चाकुओं से गोदकर मार डाला गया।
दिल्ली का ही द्वारका कोर्ट भी एक हत्या का गवाह बन चुका है। द्वारका कोर्ट परिसर में 15 जुलाई, 2021 की रात नौ बजे एक अधिवक्ता चैम्बर के अंदर गोली चली। घटना में 42 वर्षीय स्वीकार लूथरा की मौत हो गई, जो नकली सिक्कों का रैकेट चलाता था। स्वीकार, अपने दोस्त प्रदीप के साथ वकील अरुण शर्मा से मिलने आया था। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि जिस वक्त घटना हुई चेंबर के अंदर चार लोग मौजूद थे। उनमें से प्रदीप घटना के बाद फरार हो गया था। पुलिस के मुताबिक लूथरा और प्रदीप के बीच एक बहस हो गई थी। जिसके बाद उसने अपनी पिस्टल निकाल लूथरा को गोली मार दी थी। इस मामले में वकील अरुण शर्मा को भी गिरफ्तार किया गया था।
इसी प्रकार उत्तर प्रदेश में बिजनौर के चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट योगेश कुमार के कोर्ट में 17 दिसंबर, 2019 की दोपहर शाहनवाज नाम के आरोपी की पेशी चल रही थी। शाहनवाज पर बीएसपी नेता अहसान अहमद और उनके भांजे की हत्या का आरोप था। इसी दौरान कोर्टरूम में अचानक गोलियों की आवाज सुनाई दी। ये गोलियां शाहनवाज पर चली थीं, जिसने दम तोड़ दिया। वो बाहुबली नेता मुख्तार अंसारी का करीबी था। इस घटना में सीजेएम योगेश भी बाल-बाल बचे थे। इस घटना के बाद तत्कालीन एसपी संजीव त्यागी ने बताया था कि अपने पिता अहसान की हत्या का बदला लेने के लिए उनके बेटे साहिल ने कोर्ट में गोली चलाई थी। वो अपने दो साथियों के साथ कोर्ट परिसर पहुंचा था। इस वारदात को जज के सामने कोर्ट का दरवाजा बंद करके अंजाम दिया गया।