यौम-ए-अरफा के साथ हज हुआ मुकम्मल, कल होगी मक्का में कुर्बानी, जाने इस कुर्बानी से कैसे मिलता है 40 हज़ार लोगो को रोज़गार और 3 करोड़ लोगो को मुफ्त भोजन

तारिक आज़मी

डेस्क: सऊदी में आज हज मुकम्मल हुआ है। आज यौम-ए-अरफा के दिन सभी हज यात्री अराफाटके मैदान में जमा हुवे है। इस बार दुनिया भर के 20 लाख से अधिक हाजियों ने हज मुकम्मल किया है। इस्लाम में आज की यह तारीख अजीमुश्शन और बरकत तारीख मानी जाती है, जिस दिन फरजंदाने तौहीद अरफात के मैदन में जमा होकर हज का रकुन आजम यौम अरफा पूरा करते हैं।

इस्लामी मान्यता के अनुसार यौमे अरफा के दिन अल्लाह तआला इनत माम आजिमीने हज के हज को कुबूल करते हैं जो दुनिया के गोशे गोशे से सिर्फ अल्लाह की खुशनवूदी और रजा के लिये एहराम की हालत में लबबैक लबबैक का नारा बलंद करते हैं। मैदाने अरफात पहुंचते है। आज सुबह से ही हाजियों का मिना से अरफात पहुंचना शुरू हो गया था। शाम होते होते वह आजिमीने हज से हाजी हो गए है। अरफात में आजिमीने हज को ऐसी इबादत का शर्फ हासिल होता है जिसको अदा करने से वह गुनाहों से इस तरह पाक हो जाते है जैसे जैसे पेट से बेगुनाह इस दुनिया में आये थे।

इस्लाम के अनुसार हजरत इब्राहीम अलै0 को कुदरती हुसन व जमाल से मालामाल सरसब्ज व शादाब मुल्क छोड कर यहां आने का हुक्म अल्लाह से मिला था और नन्हें इस्माईल को इसी वीराने में बेसहारा छोड कर चले जाने का हुक्म मिला था। इस अल्लाह के हुक्म की तामील हज़रत इब्राहीम ने फरमाई और हजरत हाजरा अलै0 ने भी रब के हुक्म पर उसी के भरोसे यहां रहने को कुबूल कर लिया। लेकिन इस आलमे असबाब में पानी की फिक्र में सफा व मरवा के बक्कर लगाये। अल्लाह तआला ने इस मजबूर की सई को केयामत तक के हाजियों के लिये ऐसा बना दिया कि सई के बेगैर हज मुकम्म्ल ही नहीं हो सकता है।

यौम-ए-अराफा के बाद कल कुर्बानी किया जाएगा। इसको मक्का बकरीद के नाम से भी लोग अमूमन पुकारते है। कल सभी हाजी एक एक कुर्बानी करेगे। ऐसे में उनके द्वारा कुर्बानी किये गए जानवर से निकले गोश्त का महज़ 5-10 फीसद हिस्सा ही हाजी इस्तेमाल कर पाते है। बाकी गोश्त दुनिया भर में लगभग 40 हज़ार लोगो को रोज़गार और 3 करोड़ लोगो को भोजन देने के काम आता है। इस तरीके से दुनिया का पेट भी कुर्बानी की वजह से भरता है।

दरअसल अरब सरकार की एक योजना है जिसका नाम ‘अदाही’ है। इस योजना के तहत जो हाजियों द्वारा कुर्बानी किये गए जानवर का गोश्त बचता है वह गोश्त सील पैक करके फ्रीजर के माध्यम से एशिया के मुख्तलिफ मुल्क और अफ्रीका के 27 विभिन्न देशों में मुफ्त वितरित किया जाता है। पिछले हज सीज़न के दौरान, लोग मेमने की बलि से प्राप्त अतिरिक्त मांस को फ्रीज करके अपने देशों में भेज देते थे। इस योजना की शुरुआत पिछले वर्षो हुई थी जब हज के दरमियान हाजियों द्वारा किये गए कुर्बानी के गोश्त उनके छोड़े जाने से दुर्गन्ध और बिमारी पैदा होने का खतरा मंडराने लगा।

इसके बाद सऊदी सरकार ने विद्वानों से सलाह मशविरा लेकर वर्ष 1983 में इस योजना की शुरुआत किया। किंगडम ने सऊदी सरकार के अधिकारियों के साथ परियोजना का प्रबंधन करने के लिए इस्लामिक डेवलपमेंट बैंक (आईडीबी) को सौंपा। जिसके बाद वर्ष 2000 में, अदाही परियोजना विकसित की गई जिसमें 40,000 से अधिक कर्मचारी प्रबंधन, पर्यवेक्षण, वध, शिपिंग और वितरण जैसे विभिन्न क्षेत्रों में काम कर रहे है। हर साल, एशिया और अफ्रीका के 27 विभिन्न देशों में 30 मिलियन गरीब लोगों और शरणार्थियों को यह गोश्त वितरित किया जाता है।

इसके बाद बचे अतिरिक्त गोश्त और जानवर के अन्य शरीर के हिस्सों को एक केंद्र भेजा जाता है जहा प्रतिदिन 500 टन कचरे को संसाधित करने और निकाले गए वसा से अलग करके इसे प्राकृतिक उर्वरकों में बदल दिया जाता है, जिसका उपयोग कारखानों में किया जा सकता है। यह अनूठी परियोजना समस्याओं को नवीन समाधानों में बदलने की रचनात्मक विचारधारा पर जोर देती है, और कम भाग्यशाली लोगों के लिए बेहतर जीवन प्रदान करने के राज्य के प्रयासों पर जोर देती है। इस एक योजना से लगभग 40 हज़ार से अधिक लोगो को रोज़गार जहा मिलता है वही करोडो को मुफ्त भोजन मिलता है।

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