शिवसेना (उद्धव ठाकरे) के सांसद द्वारा दाखिल याचिका जिसमे महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष को शिंदे गुट के बागी विधायको की अयोग्यता पर जल्द फैसला लेने की इल्तेजा थी पर सुप्रीम कोर्ट ने जारी किया नोटिस
ईदुल अमीन
डेस्क: शिवसेना (उद्धव ठाकरे) सांसद सुनील प्रभु द्वारा दायर याचिका जिसमे अदालत से इल्तेजा किया गया था कि वह एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले बागी विधायाको के खिलाफ लंबित अयोग्यता याचिका पर महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष से जल्द फैसला लेने को निर्देशित करे, पर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी कर महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष से दो सप्ताह के भीतर जवाब माँगा है।
यह याचिका चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस मनोज मिश्रा की खंडपीठ के समक्ष मामला सूचीबद्ध किया गया था। याचिकाकर्ता के जानिब से सिनियर एडवोकेट देवदत्त कामत अदालत में उपस्थित थे। इस याचिका पर सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने आदेश सुनाते हुए कहा कि ‘नोटिस जारी करें कि दो सप्ताह के भीतर जवाब दिया जाए।‘
याचिका के माध्यम से यह प्रस्तुत किया गया कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा स्पीकर को अयोग्यता याचिकाओं पर निर्णय लेने का आदेश देने के अलावा, याचिकाकर्ता ने उक्त अयोग्यता मामलों में सुनवाई बुलाने के लिए तीन से अधिक बाद के अभ्यावेदन भी भेजे। याचिका के अनुसार दसवीं अनुसूची के पैरा 6 के तहत अपने कार्यों को निष्पादित करते समय अध्यक्ष एक न्यायिक न्यायाधिकरण के रूप में कार्य करता और उसे निष्पक्ष और निष्पक्ष तरीके से कार्य करना आवश्यक है।
गौरतलब हो कि 11 मई, 2023 को शिवसेना में दरार से संबंधित मामले में संविधान खंडपीठ के फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह उद्धव ठाकरे सरकार की बहाली का आदेश नहीं दे सकता, क्योंकि ठाकरे ने फ्लोर टेस्ट का सामना किए बिना इस्तीफा दे दिया। इसके अलावा, सुप्रीम कोर्ट ने अयोग्यता के मुद्दे पर निर्णय लेने के लिए अनुच्छेद 226 और अनुच्छेद 32 के तहत अपनी शक्तियों का उपयोग करने से इनकार कर दिया। तदनुसार, अदालत ने अयोग्यता याचिकाओं के निर्धारण का निर्णय स्पीकर को सौंप दिया और कहा कि स्पीकर को ‘उचित अवधि के भीतर अयोग्यता पर निर्णय लेना चाहिए।‘