सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ के सामने पंहुचा राहुल गांधी की सज़ा का मामला, अदालत करेगी शुक्रवार को सुनवाई
तारिक़ खान
डेस्क: सुप्रीम कोर्ट मंगलवार को कांग्रेस नेता राहुल गांधी द्वारा ‘मोदी-चोर’ टिप्पणी पर आपराधिक मानहानि मामले में उनकी सजा पर रोक लगाने की मांग करने वाली याचिका को शुक्रवार 21 जुलाई को सूचीबद्ध करने पर सहमत हो गया, जिसके परिणामस्वरूप उन्हें संसद सदस्य के रूप में अयोग्य घोषित कर दिया गया। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ के समक्ष सीनियर एडवोकेट डॉ0 अभिषेक मनु सिंघवी ने तत्काल सूचीबद्ध करने के लिए गांधी की याचिका का उल्लेख किया।
सीजेआई शुक्रवार को यह याचिका सूचीबद्ध करने पर सहमत हुए है। उन्होंने सुनवाई के लिए शुक्रवार का दिन मुक़र्रर किया हिया। सुप्रीम कोर्ट में राहुल गांधी की विशेष अनुमति याचिका वकील तरन्नुम चीमा और एस प्रसन्ना द्वारा तैयार की गई और सीनियर वकील प्रशांतो कुमार सेन, हरिन पी रावल, आरएस चीमा द्वारा निपटाई गई जिसके बाद सीनियर एडवोकेट डॉ0 अभिषेक मनु सिंघवी द्वारा दोबारा निपटाई गई है।
राहुल गांधी ने आपराधिक मानहानि मामले में उनकी सजा पर रोक लगाने से गुजरात हाईकरो्ट के इनकार को चुनौती इस याचिका के माध्यम से दिया है। बताते चले कि राहुल गाँधी के याचिका दाखिल करने के पहले ही भाजपा विधायक और गुजरात के पूर्व मंत्री पूर्णेश मोदी ने सुप्रीम कोर्ट में कैवियेट दाखिल करके अदालत से अपील किया है कि किसी फैसले पर जाने के पहले उनकी भी दलील सुन लिया जाए। भाजपा विधायक और गुजरात के पूर्व मंत्री पूर्णेश मोदी के इस कैवियट को लेकर सोशल मीडिया पर जमकर चर्चा भी हुई थी।
यहाँ गौरतलब ये है कि राहुल गाँधी को अगर इस मामले में सुप्रीम कोर्ट से राहत मिलती है तो ऐसे में उनकी संसद सदस्यता दुबारा बहला हो जायेगी। जिसके बाद मानसून सत्र में राहुल गांधी की उपस्थिति संसद में रहेगी। सत्तारूढ़ दल दूसरी तरफ मजबूत विपक्ष सदन में कभी नही चाहेगा, पूर्णेश मोदी से जुड़े इस मामले में पहले भी कई ऐसे सवाल कांग्रेस ने खड़े किये जिससे यह उसने ज़ाहिर किया कि अडानी मामले में राहुल गाँधी द्वारा संसद में आवाज़ बुलंद करने के बाद ये मामला जो सालो से खुद वादी पूर्णेश मोदी द्वारा स्टे लेकर ठंडा रखा गया था दुबारा उठाया गया है।
गौरतलब हो कि आपराधिक मानहानि का मामला 2019 के लोकसभा अभियान के दौरान गांधी द्वारा की गई टिप्पणी पर पूर्णेश मोदी द्वारा दायर किया गया था। ललित मोदी, नीरव मोदी जैसे लोगों का जिक्र करते हुए गांधी ने पूछा था, ‘सभी चोरों का सरनेम एक जैसा क्यों होता है?’ यह आरोप लगाते हुए कि गांधी की टिप्पणी ने पूरे मोदी समुदाय को बदनाम किया, भाजपा विधायक और गुजरात के पूर्व मंत्री पूर्णेश मोदी ने उनके खिलाफ आपराधिक मानहानि का मामला दायर किया।
23 मार्च, 2023 को सूरत के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत ने गांधी को दोषी ठहराया और 2 साल कैद की सजा सुनाई, जिसके बाद उन्हें लोकसभा के सदस्य के रूप में अयोग्य घोषित कर दिया गया। हालांकि, उनकी सजा निलंबित कर दी गई और उसी दिन उन्हें जमानत भी दे दी गई, जिससे वह 30 दिनों के भीतर अपनी दोषसिद्धि के खिलाफ अपील कर सकें। 3 अप्रैल को गांधी ने अपनी दोषसिद्धि पर आपत्ति जताते हुए सूरत सत्र न्यायालय का रुख किया और अपनी दोषसिद्धि पर रोक लगाने की मांग की, जिसे 20 अप्रैल को खारिज कर दिया गया। हालांकि, सूरत सत्र न्यायालय ने 3 अप्रैल को गांधी को उनकी अपील के निपटारे तक जमानत दे दी है।
वही जुलाई में गुजरात हाईकोर्ट ने गांधी की पुनर्विचार याचिका खारिज करते हुए कहा कि गांधी के खिलाफ मामला बड़े पहचान योग्य वर्ग (मोदी समुदाय) से संबंधित है, न कि केवल एक व्यक्ति से। न्यायालय ने कहा कि भारत के सबसे पुराने राजनीतिक दल के वरिष्ठ नेता और ‘भारतीय राजनीतिक परिदृश्य के क्षेत्र में प्रमुख व्यक्ति’ होने के नाते गांधी का यह कर्तव्य है कि वे बड़ी संख्या में व्यक्तियों की गरिमा और प्रतिष्ठा सुनिश्चित करें या कोई भी पहचान योग्य वर्ग उसकी राजनीतिक गतिविधियों या कथनों के कारण ‘खतरे में’ नहीं पड़ता है।