कथित शराब घोटाले के सम्बन्ध में छत्तीसगढ़ के अधिकारियों से ईडी की जांच पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाया रोक
मो0 कुमेल
डेस्क: सुप्रीम कोर्ट ने कल मंगलवार को प्रवर्तन निदेशालय द्वारा कथित शराब घोटाले में छत्तीसगढ़ के अधिकारियों से जाँच पर रोक लगा दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने ईडी से साफ़ कहा कि वह छत्तीसगढ़ शराब घोटाले के संबंध में यश टुटेजा के खिलाफ जांच आगे न बढ़ाएं। यश आईएएस अधिकारी अनिल टुटेजा का बेटा है, जिसे ईडी ने छत्तीसगढ़ में शराब की अवैध आपूर्ति के सिंडिकेट के सरगना के रूप में पहचाना है।
सुप्रीम कोर्ट ने पहले एजेंसी को यश टुटेजा के खिलाफ कोई भी कठोर कदम उठाने से परहेज करने का निर्देश दिया। सुप्रीम कोर्ट ने अपने हुक्म में लिखा है कि ‘किसी भी दंडात्मक कार्रवाई के पहले ही पारित आदेश के अलावा, संबंधित प्रतिवादी अधिकारियों को हर तरह से अपना हाथ रोकना होगा।‘ इस मामले की सुनावाई जस्टिस एस0 के0 कौल और जस्टिस सुधांशु धूलिया की खंडपीठ कर रही थी। अदालत ने मंगलवार को जांच पर रोक लगाने का आदेश पारित करते हुए संकेत दिया कि एक ही मामले के संबंध में जिन 35 सरकारी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है, उन पर भी यही आदेश लागू होगा।
इस सम्बन्ध में पक्ष रखते हुवे सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने खंडपीठ को अवगत कराया कि सरकारी अधिकारियों से उनकी संपत्तियों का विवरण देने के लिए कहा जा रहा है, भले ही कोई अपराध न हो। जब बेंच आदेश दर्ज कर रही थी, सिब्बल ने बेंच से 35 सरकारी अधिकारियों को राहत देने का अनुरोध किया। जिस पर जस्टिस कौल ने जवाब दिया कि ‘हमने कहा है कि हर तरह से उनको (ईडी को) रोके, आप मुझसे और क्या कहना चाहते हैं।‘ सीनियर एडवोकेट अभिषेक मनु सिघवी ने भी सिब्बल की इस दलील का समर्थन किया कि मामले में कोई जानबूझकर अपराध नहीं किया गया।
अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि ‘वे बिना किसी अपराध के जांच कैसे कर सकते हैं।‘ मामले की संक्षिप्त पृष्ठभूमि बताते हुए सिंघवी ने कहा कि शिकायत ‘विशुद्ध रूप से इनकम टैक्स एक्ट के तहत’ दर्ज की गई, जो पीएमएलए के तहत अनुसूचित अपराध नहीं है। इसके अलावा, सक्षम न्यायालय ने अपराध का संज्ञान नहीं लिया और शिकायत वापस कर दी। इस पर जस्टिस कौल ने ईडी की ओर से पेश हुए एडिशनल सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) वी0 राजू से पूछा कि ‘अगर कोई अपराध नहीं होगा तो क्या होगा। यदि आप नोटिस जारी करने वाले आदेश को देखें तो आरोप इनकम टैक्स एक्ट के तहत है। जहां तक घातीय अपराध का सवाल है, सक्षम न्यायालय द्वारा संज्ञान नहीं लिया गया।‘
एएसजी ने यह कहते हुए जवाब दिया कि यदि कोई एफआईआर है तो घातीय अपराध मौजूद हो सकता है, भले ही सक्षम अदालत द्वारा अभी तक संज्ञान नहीं लिया गया हो। उन्होंने पीठ को सूचित किया कि वर्तमान मामले में सक्षम अदालत ने संज्ञान लेने से इनकार नहीं किया; इसने क्षेत्राधिकार के मुद्दे पर शिकायत वापस कर दी। जस्टिस कौल ने एएसजी से पूछा कि इस बीच क्या किया जाना चाहिए जब ईडी के पक्ष में कोई आदेश पारित किए बिना सक्षम अदालत के आदेश को चुनौती अपीलीय अदालत में लंबित है।
जिस पर अदालत ने पूछा कि ‘इस बीच क्या किया जाना चाहिए। जिस न्यायालय के बारे में आपने सोचा कि उसके पास इससे निपटने का अधिकार क्षेत्र है, आपने उसे स्थानांतरित कर दिया। कोर्ट ने कहा कि हम इन कारणों से संज्ञान नहीं ले रहे हैं। आप इसे चुनौती देते हुए अपीलीय अदालत में जाते हैं। अभी तक कोई अनुकूल आदेश पारित नहीं किया गया। इस बीच क्या परिदृश्य बनेगा?’ एएसजी ने इस बात पर जोर दिया कि सक्षम अदालत ने यह नहीं कहा कि कोई जानबूझकर अपराध नहीं किया गया और इन परिस्थितियों में कार्यवाही को रद्द नहीं किया जा सकता।
जस्टिस कौल ने यह याद करते हुए कि न्यायालय ने टुटेजा को पहले ही राहत दे दी, कहा, ’यश टुटेजा के मामले में पहले से ही कोई दंडात्मक कदम नहीं उठाया गया।‘ सिंघवी ने जज को बताया कि जांच अभी भी जारी है। ‘वे हमें हर दिन बुला रहे हैं, वे संपत्तियां कुर्क कर रहे हैं, हमें समन और नोटिस जारी कर रहे हैं।‘ जिस पर जस्टिस कौल ने एएसजी से कहा ‘इसे (जांच) आज रद्द नहीं किया जा सकता, लेकिन निश्चित रूप से आप इसे (जांच) आगे नहीं बढ़ा सकते।‘ हालांकि, अंत में बेंच ने स्पष्ट किया कि यदि सक्षम अदालत के शिकायत वापस करने के आदेश पर अपीलीय अदालत ने रोक लगा दी तो जांच एजेंसी राहत के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख कर सकती है।