ट्रायल कोर्ट द्वारा फ़साहत अली खान द्वारा बुल्डोज़र से भवन ध्वस्त करने के मामले में बहाल किया आरोपी की ज़मानत, ज़मानत का विरोध करने पहुचे यूपी सरकार के एएजी से पूछा ‘तो क्या आप मानते है कि बुल्डोज़र कार्यवाही गलत है’
रवि शंकर दुबे
डेस्क: एक घर पर बुलडोजर चलाने के आरोपी व्यक्ति को जमानत का विरोध करने सुप्रीम कोर्ट पहुची उत्तर प्रदेश सरकार से अदालत ने पूछ लिया तो क्या आप मानते है कि घरो पर बुल्डोज़र चलाना गलत है। यह सवाल सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस संजय किशन कौल ने यूपी के एडिशनल एडवोकेट जनरल (एएजी) आर0के0 रायजादा से पूछा। न्यायाधीश संभवतः आरोपी व्यक्तियों के घरों को ध्वस्त करने के लिए यूपी अधिकारियों द्वारा की जा रही ‘बुलडोजर कार्रवाई’ की रिपोर्टों की ओर इशारा कर रहे थे। अदालत ने कहा कि ‘तो आप सहमत हैं कि घरों पर बुलडोजर चलाना गलत है?’
दरअसल फ़साहत अली खान पर 2016 में रामपुर में बुलडोजर का उपयोग करके एक व्यक्ति के घर को जबरदस्ती ध्वस्त करने और घर से 20,000 रुपये लूटने का आरोप था। हाईकोर्ट ने जमानत को रद्द करने के आधार के रूप में उसके खिलाफ अन्य आपराधिक मामलों की लंबितता का हवाला दिया था। याचिकाकर्ता के वकील ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष तर्क दिया कि उनके खिलाफ चुनाव के दौरान दायर मामले ‘राजनीति से प्रेरित’ थे। यह मामला सुप्रीम कोर्ट पंहुचा जिस पर जस्टिस कौल और जस्टिस सुधांशु धूलिया की पीठ सुनवाई कर रही थी।
याचिक़ाकर्ता के अधिवक्ता ने कहा कि ‘वे कह रहे हैं कि हिरासत में पूछताछ की आवश्यकता है लेकिन परिस्थिति में कोई बदलाव नहीं हुआ है। सभी एफआईआर राजनीति से प्रेरित हैं, चुनाव के समय दर्ज की गई हैं।‘ इस पर यूपी एएजी आर0के0 रायजादा ने जवाब दिया कि ‘पिछली एफआईआर और उसके द्वारा किए गए अपराधों पर पहले विचार नहीं किया गया था, इसलिए हाई कोर्ट ने कहा कि उन पर विचार किया जाना चाहिए। वह हाई कोर्ट के सामने पेश नहीं हुआ। यह आदमी एक पुलिस अधिकारी के साथ था। वह एक राजनीतिक पार्टी के तहत काम कर रहा था। उसने एक व्यक्ति के घर पर बुलडोजर चलाया और घर से 20,000 रुपये लूट लिए।‘
जस्टिस एस0के0 कौल ने एएजी से पूछा, ‘तो आप सहमत हैं कि मकानों पर बुलडोजर चलाना गलत है? तो आप निश्चित रूप से मकानों पर बुलडोजर चलाने के सिद्धांत का पालन नहीं करेंगे? क्या हमें आपका बयान दर्ज करना चाहिए कि आप कहते हैं कि मकानों पर बुलडोजर चलाना गलत है? आपने अभी तर्क दिया कि मकानों पर बुलडोजर चलाना गलत है।‘ एएजी ने हंसते हुए कहा ‘मेरी दलील इस मामले तक ही सीमित है। मैं इससे आगे नहीं बढ़ूंगा।‘ अंततः पीठ ने हाईकोर्ट के आदेश को रद्द कर दिया और ट्रायल कोर्ट द्वारा दी गई जमानत को बहाल कर दिया।