वाराणसी की नई सड़क और नगर निगम की उदासीनता से कमज़ोर होते पुराने मकान, एक नही दो पार्षद फिर भी नई सड़क औरंगाबाद मार्ग पर नालियां है नरकीय स्थिति में, क्या किसी घटना दुर्घटना के बाद सुध लेंगे ज़िम्मेदार..?

varanasi: Nai Sadak of and old houses getting weak due to indifference of Municipal Corporation, not one or two councilors, yet the drains on the new road Aurangabad road are in hellish condition, will those responsible take care after any accident..?

तारिक़ आज़मी

वाराणसी: वाराणसी की नई सड़क। एक वाणिज्यिक स्थल है। पुराने शहर का एक नामचीन इलाका है। बात जंग-ए-आज़ादी की हो या फिर आपातकाल के समय चले आन्दोलनों की। इस इलाके ने अपना भरपूर योगदान दिया है। किसी पहचान की मोहताजी इस इलाके को नही है। मगर अब इस क्षेत्र का एक मार्ग नगर निगम के जिम्मेदारो की उदासीनता से आंसू बहा रहा है, मगर कोई है ही नही जो फ़रियाद सुन सके।

बात नई सड़क चौराहे से औरंगाबाद वाले मार्ग की है। इस रोड को दो वार्डो का बॉर्डर माना जाता है। एक तरफ वार्ड नम्बर 82 और दूसरी तरफ वार्ड नम्बर 86। इन दोनों वार्डो के बीच ये सड़क एक सीमा का कार्य करती है। मगर नगर निगम की उदासीनता अब इस सडक के रहने वालो के लिए एक खतरा बनी हुई है। लग्कुश होटल से औरंगाबाद जाने वाला यह एक व्यस्त मार्ग है। यहाँ सड़के बनती रही मगर नालियों का निर्माण सहित ढंग से न हो पाने के कारण नालियां मुख्य मार्ग से कई गिर नीचे जा चुकी है। जिसके कारण इन नालियों की उचित साफ़ सफाई भी नही हो पाती है।

पुरे आसपास इलाके का पानी नीची नाली होने के कारण इसी नाली में अधिक रहता है। जिससे सड़क के एक तरफ स्थित भवन संख्या 50/190 से लेकर 50/198 और दुसरे तरफ भवन संख्या 1/138 से लेकर 1/152 के भवनों की नेह में इस नाली का पानी समाते समाते भवनों को अब नुक्सान पहुचने की स्थिति हो चुकी है। नालियों में बजबजाती गन्दगी को सफाई कर्मी भी इसकी गहराई के कारण ढंग से साफ़ नही कर पाते है। जिससे इन नालियों से फैलने वाले संक्रमण का खतरा बना रहता है।

स्थानीय नागरिको का कहना है कि लगभग 3 दशक पहले इन नालियों का निर्माण कार्य हुआ था। उस समय सडक के बराबर नाली थी। जिसके बाद कभी फिर इसकी मरम्मत तक उचित प्रकार से नही हुई। सडको के निर्माण से नाली और नीचे गहराई में जाती चली गई है। जिसमे काफी सिल्ट भरी हुई है। इसके सम्बन्ध में हम लोगो ने विभाग से लेकर अपने स्थानीय जनप्रतिनिधियों से बार बार संपर्क किया। मगर हमको सिर्फ आश्वासन मिलता चला आया है। अब तो स्थिति ऐसी हो गई है कि भवन इसके कारण कमज़ोर पड़ते जा रहे है। जिससे एक दिल के अन्दर डर समाया हुआ है।

लोगो का कहना है कि अगर 5 मिनट भी बारिश हो जाए तो घंटो पानी लगा रहता है। जिसके लिए समुचित समाधान हम इलाके के लोगो को ही करना पड़ता है और डंडा लेकर खुद ही नाली में बहकर आया कूड़ा हटाना पड़ता है तब कही जाकर पानी निकल पाता है। हम लोग भी सरकार के सभी करो का भुगतान करते है। फिर हमारे इस मार्ग के साथ ऐसा व्यहार क्यों होता है समझ नही आता है। चुनाव आते ही सभी प्रत्याशी इसका आश्वासन देंगे कि हम जीतते के साथ ही ये कार्य सम्पादित करवा देंगे। मगर जीतने के बाद कोई दिखाई नही देता है। विभाग से संपर्क करो तो मालूम चलता है कि प्रपोज़ल बना कर गया है। जल्द नाली बन जायेगी। मगर आज तीन दशक पहले बनी हुई ये नाली अब किस स्थिति में पहुच गई है आप खुद देख ले।

बताते चले कि एक सप्ताह बाद मुहर्रम भी शुरू होने वाला है। एशिया का सबसे बड़ा जुलूस मोहर्रम की 5 और 6 तारीख को निकल कर इसी मार्ग से होकर जाता है। ये एशिया का सबसे लम्बा चलने वाला जुलूस है। स्थनीय निवासी एजाज़ हुसैन गुड्डू ने उदास मन से कहा कि इसी रास्ते पर भारत रत्न उस्ताद बिस्मिल्लाह खां अपनी चांदी वाली शहनाई से आंसुओं का नजराना पेश किया करते थे। आज भी उस्ताद बिस्मिल्लाह खां कि रवायत दोहराई जाती है। इसी मार्ग से होकर देश के कई मानिंद सियासी शख्सियते गुज़र चुकी है। जिसमे स्व0 कमलापति त्रिपाठी का नाम प्रमुख है जो रोज़ ही इसी मार्ग से होकर अपने आवास जाते थे। आखिर हम लोगो को समझ नही आता है कि फिर हमारे साथ ऐसा व्यवहार क्यों हो रहा है?

बहरहाल, हकीकत तो ये है नगर आयुक्त साहब कि इलाके की जर्जर नालियों के कारण कभी भी कोई घटना दुर्घटना हो सकती है। सियासत से हमको कोई शिकायत नही क्योकि आवाम को मत की गिनती कोई समझे तो हम क्या कर सकते है। मगर हकीकत तो ये है कि इस दो वार्ड के बार्डर में दोनों ही वार्ड की नालियां काफी जर्जर हो चुकी है और विभाग इसका ख्याल नही कर रहा है। अगर आपकी निगाह-ए-करम हो गई तो आवाम आपको दुआये देंगी साहब। बकिया हमारा क्या है? हम तो सफ़र करते है। आज इस मार्ग से गुज़र पड़े तो कल किसी और जगह की हकीकत दिखा देंगे।

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