बिहार में नितीश और तेजस्वी के ड्रीम प्रोजेक्ट ‘जातिगत मतगणना’ का रास्ता हुआ साफ़, हाई कोर्ट ने दिया सर्वे करवाने के हक में फैसला

अनिल कुमार

पटना: पटना हाई कोर्ट ने मंगलवार को ‘जाति आधारित सर्वे’ मामले में फ़ैसला सुना दिया है। कोर्ट ने ‘जाति आधारित सर्वे’ पर लगी रोक को हटा दिया है। जाति आधारित सर्वे के ख़िलाफ़ दायर याचिकाओं पर चीफ़ जस्टिस केवी चंद्रन की खंडपीठ ने फैसला सुनाते हुए यह कहा कि राज्य सरकार जाति आधारित सर्वे करवा सकती है। याचिकाकर्ताओं के वकील दीनू कुमार ने इस फ़ैसले के बाद मीडिया से बातचीत में कहा कि अब बिहार में सरकार जातीय सर्वे करवा सकती है।

दीनू कुमार इस फ़ैसले के ख़िलाफ़ अब सुप्रीम कोर्ट जाएंगे। यह फ़ैसला पिछले कई हफ़्तों से सुरक्षित रखा गया था। जाति आधारित सर्वे को लेकर बिहार में बीते काफ़ी समय से सियासी आरोप-प्रत्यारोप का दौर देखा गया। जब इस पर पटना हाई कोर्ट ने रोक लगाई, तब भी विपक्षी दल बीजेपी ने सरकार को आड़े हाथ लिया था। बीजेपी के आला नेताओं का कहना था कि सरकार ने बहस के लिए व्यापक और जरूरी तैयारी नहीं की, वहीं सीएम नीतीश कुमार ने कहा था कि वे तो जानते ही हैं कि कौन लोग जाति आधारित सर्वे के ख़िलाफ़ हैं।

बिहार के भीतर जब जाति आधारित सर्वे पर रोक लगी, तब दूसरे चरण की गणना जारी थी। खुद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने गृह ज़िले पहुँचकर तमाम जानकरियाँ साझा की थीं। सरकार की ओर से महाधिवक्ता पीके शाही ने तब सरकार का पक्ष रखते हुए कहा था कि इस सर्वेक्षण के आधार पर सरकार बिहार की जनता के लिए नीतियाँ बनाएगी। वहीं इसके ख़िलाफ़ कोर्ट में गए याचिकाकर्ताओं ने लोगों की निजता के हनन का हवाला देते हुए इसे चैलेंज किया था।

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