नुह में सांप्रदायिक हिंसा के बाद मेवात में किसान संगठन और खाप पंचायत हुई नफ़रत के खिलाफ एकजुट, हुई बैठके, खाया नफरत के खिलाफ आवाज़ उठाने की कसम
तारिक खान
राजस्थान के अलवर में बीते शनिवार (26 अगस्त) को आयोजित एक महापंचायत में हजारों किसान जुटे और हरियाणा के नूंह में हुई हालिया सांप्रदायिक हिंसा के मद्देनजर नफरत की राजनीति का मुकाबला करने की कसम खाई है। बताते चले कि बीते 31 जुलाई को हरियाणा के नूंह, गुड़गांव और आसपास के इलाकों में हिंदुत्व समूहों द्वारा निकाली गई एक रैली के दौरान मुस्लिम विरोधी हिंसा के बाद राज्य में सांप्रदायिक तनाव का मुकाबला करने के लिए किसान संगठनों ने जींद, हिसार और मेवात में तीन बड़ी बैठकें की हैं।
इसके अलावा मेवात क्षेत्र में लगभग दो दर्जन स्थानीय खाप पंचायतों की बैठकें आयोजित की गई हैं, जो हरियाणा और पड़ोसी राजस्थान दोनों में फैली हुई हैं। बीते 9 अगस्त को हिसार के बास गांव की अनाज मंडी में किसानों की एक बैठक, जो मूल रूप से किसानों के मुद्दों पर चर्चा करने के लिए बुलाई गई थी, का नाम बदलकर भाईचारा सम्मेलन कर दिया गया था, ताकि नूंह और गुड़गांव में हुई हिंसा और उसके बाद मुसलमानों के बहिष्कार का आह्वान करने वाले हिंदुत्व समूहों द्वारा दिए गए नफरत भरे भाषण के खिलाफ खड़ा हुआ जा सके।
नफरत के खिलाफ किसानों के विरोध के बाद से हरियाणा में हिंदुत्व समूहों द्वारा इस तरह के बहिष्कार के आह्वान काफी हद तक बंद हो गए हैं। किसान नेता शमशेर सिंह मोरे ने मीडिया को बताया है कि ‘यह किसानों की चेतावनी का असर है कि हरियाणा में और रक्तपात टल गया है। मेवाती हमारे भाई हैं। वे किसानों के विरोध के दौरान हमारे साथ खड़े रहे और लंगर का आयोजन किया। इसी दौरान भाजपा समर्थकों ने हम पर हमला किया और हमें आतंकवादी कहकर बदनाम किया।’
उन्होंने कहा कि ‘हम कोई एहसान नहीं चुका रहे हैं, बल्कि हम उन उपद्रवियों के खिलाफ अपने भाइयों के साथ खड़े हैं, जो देश में वैमनस्य पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं।’ उन्होंने यह भी कहा कि आगामी राज्य और संसदीय चुनावों से पहले लोग ‘ध्रुवीकरण को रोकने के लिए एकजुट’ हो गए हैं। उन्होंने कहा कि यह याद किया जा सकता है कि किसानों के अलावा लंबे समय से चले आ रहे पहलवानों के विरोध ने भाजपा की सांप्रदायिक राजनीति पर भी प्रकाश डाला है। इसके अलावा पहलवानों ने भाजपा सांसद और भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के पूर्व प्रमुख बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने कहा, ‘राज्य का ध्यान धार्मिक विवादों के बजाय शिक्षा और किसानों के मुद्दों पर होना चाहिए।’