ज्ञानवापी मस्जिद प्रकरण: हाई कोर्ट में मुल्तवी हुई सुनवाई की तारीख, अगली सुनवाई 12 सितम्बर को, जाने मस्जिद पक्ष के जानिब से पेश हुवे अधिवक्ताओं ने क्या दिया दलील

शाहीन बनारसी

डेस्क: ज्ञानवापी मस्जिद से सम्बन्धित एक प्रकरण जिसमे हाई कोर्ट में फैसला आने की उम्मीद थी, जज के स्थानान्तरण के कारण आज उसका फैसला नही आ सका और सुनवाई के लिए यह केस अदालत में चीफ जस्टिस बेच में पेश हुआ। इस केस को प्रतिवादी मस्जिद कमेटी ज़रिये अधिवक्ता किये गए एतराज़ पर आज मुल्तवी हो गया है और इसको सुनवाई की अगली तारीख 12 सितम्बर मुक्करर हुई है।

बताते चले कि वर्ष 1991 में दाखिल इस टायटल केस में पिछले 2 वर्षो से जस्टिस पाण्डेय की बेंच में लगातार सुनवाई चल रही थी। इस मामले में फैसला रिज़र्व था जिसको आज आना था। मगर इसी दरमियान इस केस की सुनवाई कर रहे जस्टिस पांडिया के स्थानान्तरण के बाद उनके बेच के इस केस को चीफ जस्टिस संतिनकर दिवाकर ने अपनी बेच में स्थानातरित करके आज सुनवाई की तारीख मुक़र्रर कर दिया था।

ज्ञानवापी मस्जिद की देख रेख करने वाली संस्था अंजुमन इन्तेजामियाँ मसाजिद कमेटी के जानिब से पेश हुवे अधिवक्ता फरमान हैदर नकवी ने दलील पेश करते हुवे कहा कि ‘हम असमंजस में हैं। फैसला पहले सुरक्षित रखा गया, और आज फैसला सुनाने की तारीख है। आपके समक्ष इन मामलों में फैसला आज सुनाया जाना है। यह इस अदालत की फुल बेंच के [अमर सिंह बनाम उत्तर प्रदेश राज्य (आपराधिक अपील संख्या – 4922/2006)], न्यायाधीशों/मुख्य न्यायाधीश की पीठों के गठन की शक्तियों के संबंध के अधिकार में है।‘

वरिष्ठ अधिवक्ता फरमान हैदर नकवी ने आगे बताया कि अमर सिंह मामले में एचसी की फुल बेंच ने फैसला सुनाया था कि एक पीठ द्वारा सुने गए मामले के हिस्से को उसी पीठ द्वारा सुना जाना चाहिए। हालांकि, उन्होंने फुल बेंच के फैसले को पूरी तरह से पढ़ने और जांचने के लिए समय मांगा है। मस्जिद कमेटी के जानिब से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता पुनीत गुप्ता ने कहा कि ऐसे मामलों में, जहां विस्तृत दलीलों के बाद भी फैसला नहीं सुनाया गया, प्रशासनिक पक्ष में चीफ जस्टिस मामले को वापस ले सकते हैं। आगे कहा गया कि अन्यथा यह स्थापित कानून है कि सीजे रोस्टर के मास्टर हैं और वह यह तय कर सकते हैं कि कौन सी बेंच किस मामले की सुनवाई करेगी।

गौरतलब है कि मामले में सुनवाई के दौरान सीजे ने स्पष्ट किया कि अगर अंजुमन मस्जिद कमेटी की दलीलों से वह संतुष्ट होंगे तो वह इस मामले को छोड़ देंगे। बताते चले कि 25 अगस्त काशी विश्वनाथ-ज्ञानवापी मस्जिद भूमि स्वामित्व विवाद के मामलों को चीफ जस्टिस की पीठ को ट्रांसफर कर दिया गया। यह घटनाक्रम ठीक एक महीने बाद हुआ, जब अगस्त 2021 से मामले की सुनवाई कर रही अलग पीठ (जिसमें जस्टिस प्रकाश पाडिया शामिल थे) ने सुनवाई पूरी की और 25 जुलाई को मामले में आदेश सुरक्षित रख लिया। संयोगवश, जस्टिस पाडिया की पीठ को इस मामले में फैसला सुनाना था। मामले को अलग बेंच में स्थानांतरित करने का कारण पता नहीं चल सका।

न्यायालय के समक्ष दायर याचिकाओं में वाराणसी अदालत के समक्ष दायर मुकदमे की स्थिरता को चुनौती भी शामिल है, जिसमें उस स्थान पर मंदिर की बहाली की मांग की गई, जहां ज्ञानवापी मस्जिद मौजूद है। पीठ के समक्ष एक और याचिका अंजुमन मस्जिद समिति (ज्ञानवापी मस्जिद का प्रबंधन करती है) की है। इस याचिका में मस्जिद परिसर का पुरातात्विक सर्वेक्षण करने के वाराणसी कोर्ट के 2021 के आदेश को चुनौती दी गई, जिससे यह निर्धारित किया जा सके कि क्या 17वीं सदी में ज्ञानवापी मस्जिद के निर्माण के लिए हिंदू मंदिर को आंशिक रूप से तोड़ा गया था। जस्टिस प्रकाश पाडिया की पीठ ने पिछले साल मामलों में अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था। हालांकि, अदालत ने इस साल मई में कुछ स्पष्टीकरण मांगे। इसलिए, मामलों को नियमित अंतराल पर सूचीबद्ध किया गया।

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