मणिपुर हिंसा: मणिपुर पुलिस ने असम रायफल्स जवानों के खिलाफ दर्ज किया ऍफ़आईआर, दोनों के बीच विवाद का हुआ था वीडियो वायरल, सालिसिटर सॉलिसिटर जनरल से सुप्रीम कोर्ट में की गई टिप्पणी वापस लेने की मांग
शफी उस्मानी
मणिपुर में तीन महीनों से जारी हिंसा के बीच मणिपुर पुलिस और असम राइफल्स के जवानो के दरमियान आपसी विवाद का एक वीडियो पिछले दिनों सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा था। इस वीडियो में असम राइफल्स के जवानो से मणिपुर पुलिस विवाद करते हुवे दिखाई दे रही थी। सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद वीडियो के सम्बन्ध में आज मणिपुर पुलिस ने असम रायफल्स जवानो के खिलाफ मामला दर्ज क्यिया है।
हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार, यह एफआईआर शनिवार सुबह क्वाक्टा में तीन लोगों की हत्या में शामिल ‘सशस्त्र कुकी आतंकियों’ का पीछा करने से रोकने के आरोप में असम राइफल्स के जवानों के खिलाफ रविवार को दर्ज की गई। पुलिस और असम राइफल्स के जवानों के बीच गतिरोध का एक वीडियो सोशल मीडिया पर सामने आया था, जिसमें मणिपुर पुलिस के कर्मी असम राइफल्स पर हथियारबंद बदमाशों का पीछा करते हुए उनके ऑपरेशन में दखल देने का आरोप लगाते नजर आ रहे थे। वीडियो में असम राइफल्स के अधिकारी को यह कहते हुए सुना जा सकता है कि वह केवल अपनी ड्यूटी कर रहे हैं।
दसरी तरफ मणिपुर की आदिवासी महिलाओं के संगठन ने मांग की है कि सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता सुप्रीम कोर्ट में मणिपुर हिंसा केस की सुनवाई के दौरान ‘लावारिस शवों’ के ‘घुसपैठिया’ होने के बारे में की गई टिप्पणी वापस लें। टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार, कुकी-हमार-ज़ोमी महिलाओं के फोरम ने कहा है कि देश के किसी नागरिक को बिना आधार के ‘घुसपैठिया या अवैध प्रवासी’ कहना गंभीर मामला है और अदालत को गुमराह करने के समान है।
उन्होंने देश के सॉलिसिटर जनरल की ऐसी फ़िज़ूल और निराधार टिप्पणी अशोभनीय, अस्वीकार्य और घृणित है। यह मृतकों के परिवारों के लिए बहुत दुखद है, जो आज तक अपने प्रियजनों का अंतिम संस्कार करने में असमर्थ रहे हैं। 1 अगस्त की सुनवाई में मेहता ने कहा था कि राज्य में रखे लावारिस शव ‘घुसपैठियों’ के हैं।