ज्ञानवापी मस्जिद सर्वे प्रकरण: मुस्लिम तंज़ीमो की आयोजित हुई बैठक, बोले मौलाना ज़कीउल्लाह हमारे जज्बातों से हो रहा खिलवाड़, एस0एम0 यासीन ने कहा ‘इन्साफ पर आस्था भारी पड़ी, इसका दूरगामी परिणाम सोच कर रूह कांपती है’

ए0 जावेद

वाराणसी: ज्ञानवापी मस्जिद प्रकारण में आज मुस्लिम तंजीमो की एक बैठक मदरसा मजहरुलउलूम स्थित मस्जिद के छत पर आयोजित हुई। इस बैठक की शुरुआत मौलाना ज़कीउल्लाह कादरी ने तिलावत-ए-कुरआन से किया। इस बैठक में मुस्लिम समुदाय की सभी तंजीमो के कुल 200 से अधिक प्रतिनिधि और शहर बनारस के ओलेमा-ए-कराम शामिल हुवे।

बैठक में मुस्लिम तंजीमो के प्रतिनिधियो में प्रमुख रूप से मौलाना ज़कीउल्लाह कादरी, मौलाना हारून रशीद नक्शेबदी, मौलाना अब्दुल्लाह नासिर, इमाम-ए-मस्जिद लाट, मुफ़्ती-ए-बनारस मौलाना बातिन नोमानी शामिल थे। बैठक में मुस्लिम समुदाय के लोगो ने ज्ञानवापी मस्जिद में चल रहे एएसआई सर्वे को लेकर मीडिया द्वारा फलाये जा रहे अफवाह पर रोष व्यक्त किया गया। अपने तक़रीर में मौलाना ज़कीउल्लाह ने कहा कि ‘मीडिया झूठ फैला कर हमारे जज्बातों से खेल रहा है। इस मुल्क में हमारे पुरखो ने अपने खून से इसकी आज़ादी को सीचा है। हम बाई चांस इंडियन नही बल्कि बाई चॉइस इंडियन है। मगर मीडिया आज हमको हाशिये पर रखने की कोशिश लगातार कर रहा है। झूठ के बुनियाद पर आज नफरते फैलाया जा रहा है। हमारे सब्र का इम्तेहान लिया जा रहा है।

बैठक में मुफ़्ती-ए-बनारस मौलाना बातिन नोमानी ने कहा कि ‘मुल्क के लिए हमने हर कुर्बानियां दिया है। आज मीडिया हमको हाशिये पर रख रहा है। झूठी अफवाहे फैलाया जा रहा है। सियासत मंचो पर खड़े होकर ‘गोली मारो’ जैसे नारे लगा रही है। हमारे पुरखो ने अपने खून से आज़ादी की इबरत लिखा है। आज हमको मीडिया पत्थरबाज़ कहकर हमको बदनाम कर रही है। हम अदालतों में इन्साफ मांगने जाते है, जहा कानून पर आस्था भारी पड़ जाती है। इसी मामले में देख ले। प्लेसेस आफ वार्शिप एक्ट 1991 का खुला उलंघन हुआ। हम कानून का हवाला देकर चिल्लाते रहे, मगर अदालतों पर हमारी दलील पर आस्था भारी पड़ जा रही है।’

बैठक में अंजुमन मसाजिद इन्तेज़मियां कमेटी के संयुक्त सचिव एस0 एम0 यासीन ने कहा कि ‘अदालत के फैसले के पश्चात मुझे बहुत बेचैनी थी, इसलिए नहीं कि फैसला हमारे खिलाफ हुआ, बल्कि इसलिए कि आज न्याय पर आस्था भारी पड़ गई। इसका बड़ा दूरगामी परिणाम हमारे भारत पर होगा। हमारे अधिवक्ताओ ने बार बार  संविधान, पूजा स्थल कानून तथा सीपीसी की दुहाई दिया। मुझे उन्हें शान्त करने मे थोड़ा समय लगा। मुझे उनसे कहना पड़ा कि हम कुल किताबों को काबिले ज़ब्ती समझते हैं, आप भी यही कीजिए और मुकदमात में बहस के बजाय इंसाफ की कुर्सी पर बैठने वाले के विवेक पर छोड़ दीजिए।’

एस0 एम0 यासीन ने कहा कि ‘क्योंकि अभी बहुत कुछ देखना है। मुश्किल से इस फ़ैसले के बाद के हालात को समझ पाए कि अब गली गली, मोहल्ला मोहल्ला, गांव गांव, शहर-शहर सर्वे का आदेश पारित होगा। इसका श्रेय सर्वोच्चतम संस्था को होगा। आज खुश होने वालों की खुशी तब काबिल-ए-दीद होगी। हमारे एक बुजुर्ग धार्मिक रहनुमा जो आज कल अमरीका के दौरे पर हैं, ने हमें नसीहत किया कि परेशान न हो, सिर्फ अल्लाह पर भरोसा रखो। उसका फैसला सब पर भारी होता है। बस यक़ीन होना चाहिए। मेरे मिजाज मे तब्दीली का बहुत बड़ा कारण यह नसीहत है। मैं निश्चिंत हूं। आप सभी को संयमित रहने का इसीलिए संदेश देता रहता हूं।’

बैठक के अंत में मौलाना ज़कीउल्लाह कादरी ने दुआख्वानी किया। इस दरमियान पाक कुरआन मजीद की मुक़द्दस आयत-ए-करीमा का विर्द तमाम हाजरीन ने किया और बादस विर्द मौलाना ज़कीउल्लाह कादरी ने दुआख्वानी किया। जिसमे अमन-ओ-सुकून मुल्क में कायम रहने की दुआ किया गया।

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