इसरो के वह वैज्ञानिक जिनकी कड़ी मेहनत ने दिलवाया चाँद पर हमारे मुल्क को कामयाबी, दुनिया ने किया सलाम

मो0 सलीम/शफी उस्मानी

डेस्क: चंद्रयान-3 की चांद पर सॉफ्ट लैंडिग हो गई है। इसी के साथ भारत चांद पर उतरने वाला चौथा देश बन चुका है और उसके साउथ पोल पर अपना लैंडर उतारने वाला पहला देश भी। शाम 6 बजे के बाद जैसे ही विक्रम लैंडर चांद की सतह पर उतरा पूरा देश जश्न में डूब गया। टीवी न्यूज़ चैनल इस चाँद पर पाई गई सफलता का पूरा श्रेय सरकार को देते हुवे अपने पीआर को आसमान की उचाइयो तक ले जाने में लगे है। अखबार भी ऐसा ही कुछ करते दिखाई दे रहे है। जश्न के माहोल में हम सभी है। हमारे मुल्क को मिली इस कामयाबी पर हम सबको फक्र है।

The scientist of ISRO whose hard work got our country success on the moon, the world saluted

मगर इस फक्र को हमारे किस्मत में नसीब करवाने वाले इसरो के वैज्ञानिको की कड़ी मेहनत पर चर्चा का दूर कब शुरू होगा। सुबह आपको देखने को मिल जायेगा कि खुद को बड़ा कहने वालो की स्याही के कितने हिस्से आपको इसरो के उन वैज्ञानिको को मिले है जिन्होंने दिन रात एक करके इस कामयाबी को हासिल किया है। पुरे दुनिया में भारत का परचम लहराने वाले हम अपने कर्मवीर वैज्ञानिको का आज ज़िक्र करते है। ताकि आप इसकी ख़ुशी में उनको न भूल जाओ जैसे राकेश शर्मा को भूले बैठे है।

एस सोमनाथ

पहला नाम इस कामयाबी में है इसरो के चेयरमैन एस सोमनाथ का। वे 57 साल की उम्र में ISRO चीफ बने हैं। एस सोमनाथ को स्पेस इंजीनियरिंग से जुड़े कई मामलों का एक्सपर्ट माना जाता है। सोमनाथ को बीते साल जनवरी में ISRO चीफ के पद पर नियुक्त किया गया। इससे पहले वो विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर के डायरेक्टर भी रह चुके हैं। चंद्रयान के अलावा कुछ और मिशन भी इनके जिम्मे हैं। इनमें पहली बार किसी इंसान को चांद पर भेजने वाला मिशन ‘गगनयान’ और सूर्य पर जाने वाला ‘आदित्य-L1’ मिशन भी शामिल हैं।

पी वीरामुथुवेल

अगला नाम है चंद्रयान-3 के प्रोजेक्ट डायरेक्टर पी0 वीरामुथुवेल। आईआईटी मद्रास से पढ़ाई करने वाले वीरामुथुवेल चंद्रयान-3 से पहले चंद्रयान-2 में भी अहम भूमिका निभा चुके हैं। इन्हें चांद पर कई तरह की खोज के लिए भी जाना गया है। पी वीरामुथुवेल को 2019 में मिशन चंद्रयान की जिम्मेदारी दी गई थी।

एस उन्नीकृष्णन नायर

अगला नाम है विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर रे डायरेक्टर एस। उन्नीकृष्णन नायर का। इन्होंने 1985 में वीएसएससी तिरुवनंतपुरम में अपना करियर शुरू किया था। नायर ने केरल विश्वविद्यालय से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में बीटेक, आईआईएससी, बेंगलुरु से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में एमई और आईआईटी (एम), चेन्नई से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में पीएचडी की है। नायर ने स्पेस सेंटर सेंटर में जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल यानी GSLV मार्क 3 रॉकेट को बनाया था। उन्नीकृष्णन और उनकी टीम को मिशन की कई अहम जिम्मेदारिया मिली थीं।

एम शंकरन

आखिरी नाम है यूआर राव सैटेलाइट सेंटर के डायरेक्टर एम। शंकरन का। इन्होंने जून, 2021 से इसरो में भूमिका निभाई। संगठन के सैटेलाइट सेंटर में इसरो के सभी सैटेलाइट को बनाया जाता है। यह केंद्र इसरो के लिए भारत के सभी उपग्रहों के निर्माण के लिए जिम्मेदार है। फिलहाल शंकरन की टीम ही देश में कम्यूनिकेशन, नेविगेशन और मौसम से संबंधित जरूरी चीजों को देख रही है।

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