मणिपुर: नही ठंडी हो रही हिंसा की अग्नि, गोलीबारी के ताज़ा मामले तीन की मौत
मो0 कुमेल
डेस्क: मणिपुर में हिंसा की अग्नि ठंडी होने का नाम नही ले रही है। मणिपुर में 3 मई से जारी जातीय हिंसा को नियंत्रित करने के लिए प्रदेश में सेना समेत 40 हजार से अधिक सुरक्षाबलों को तैनात किया जा चुका है लेकिन पहाड़ी ज़िलों में लगातार हिंसक घटनाएं सामने आ रही हैं। मणिपुर के कांगपोकपी ज़िले में आज मंगलवार सुबह हुई गोलीबारी में तीन लोगों की मौत हो गई है। कांगपोकपी पुलिस का कहना है कि प्रारंभिक तौर पर यह घात लगाकर किया गया हमला प्रतीत होता है। इस हमले में मारे गए लोग कुकी-ज़ो समुदाय के बताए गए हैं।
यह घटना मंगलवार सुबह करीब 7 बजे हुई, जब तीन ग्रामीण एक वाहन में यात्रा कर रहे थे और उन पर कांगपोकपी ज़िले के इरेंग नागा गांव के पास हमला किया गया। मणिपुर में पिछले चार महीनों से बार-बार हो रही हिंसा में मरने वालों की संख्या अब क़रीब 200 हो गई है। इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम ने मरने वालों की पहचान लहंगकिचोई गांव के सातनेओ तुबोई, नगामिनलुन ल्हौवम और नगामिनलुन किपगेन के रूप में की है।
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इससे पहले पिछले शुक्रवार को पल्लेल इलाके में भारी गोलीबारी के बाद कम से कम दो लोग मारे गए थे और कई घायल हुए थे। घायल लोगों में एक असम राइफल्स और तीन मणिपुर पुलिस के जवान भी शामिल थे। आदिवासी एकता समिति ने एक बयान में चेतावनी दी कि निर्दोष कुकी-ज़ो ग्रामीणों की ‘ऐसी निर्मम हत्या’ बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
आदिवासी समिति ने राज्य सरकार के नेतृत्व पर सवाल उठाते हुए कहा, ‘सरकार ऐसे नापाक और खून के प्यासे तत्वों को अपनी नाक के नीचे दिनदहाड़े हमले और आगजनी करने की इजाजत कैसे दे सकती है? समिति ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से आग्रह किया कि वे तुरंत सभी घाटी जिलों को सशस्त्र बल (विशेषाधिकार) अधिनियम के तहत ‘अशांत क्षेत्र’ घोषित करें।’