‘अपना बनारस साझी विरासत’: ज्ञानवापी मस्जिद की देख रेख करने वाली संस्था अंजुमन इन्तेज़ामियां मसाजिद कमेटी के प्रतिनिधि मंडल ने किया संकट मोचन मन्दिर के महंत से मुलाकात
तारिक़ आज़मी
वाराणसी: शहर बनारस की अमन-ओ-फिजा में चंद अनासिरो के द्वारा नफरत का ज़हर घोलने के नापाक मंसूबो को रोकने हेतु ज्ञानवापी मस्जिद की देखे रेख करने वाली संस्था अंजुमन इन्तेज़ामियां मसाजिद कमेटी के द्वारा ‘अपना बनारस, साझी विरासत’ कार्यक्रम शुरू किया गया है। इस कार्यक्रम के तहत शहर के अमन-ओ-फ़िज़ा को पुरसुकून चाहने वाले समाज के संभ्रांत नागरिको से अंजुमन के प्रतिनिधि मंडल द्वारा मुलाकात किया जा रहा है।
इस क्रम में आज एक प्रतिनिधि मंडल ने संकटमोचन मन्दिर के महंत प्रो0 विशम्भरनाथ मिश्र से मुलाकात किया और इस मुताल्लिक तस्किरा किया। महंत जी द्वारा इस प्रयास की सराहना करते हुवे अपना पूरा योगदान देने का आश्वासन प्रतिनिधि मंडल को दिया गया। लगभग एक घंटे चली इस मुलाकात के दरमियान कई सामाजिक मुद्दों पर आपसी विचार विमर्श हुआ और समाज के अन्दर अमन-ओ-सुकून के प्रयासों की भी बातचीत हुई।
मुलाकात के बाद अपनी बेबाक टिप्पणी के लिए मशहूर ज्ञानवापी मस्जिद की देख रेख करने वाली संस्था अंजुमन इन्तेज़ामियां मसाजिद कमेटी के संयुक्त सचिव एसएम यासीन ने मीडिया से बात करते हुवे कहा कि ‘2024 को सर करने के लिए किसी भी हद तक जाया जासकता है। इसीलिए न तो वाणी पर संयम है और न ही कर्मों पर ध्यान है। बस गद्दी पाना लक्ष्य है, चाहे उसके पाये लाशों के ढेर पर ही क्यों न हों। काशी की गंगा जमुनी तहज़ीब का डंका बजता था। छोटी मोटी घटनाएं हर घर में होती ही रहती हैं। उसका असर इतना नहीं।‘
उन्होंने कहा कि ‘हमने काशी में सीरियल ब्लास्ट के मौक़े पर शहर के हिन्दू-मुस्लिमानों का भाई चारा देखा जबकि उस दिन शहर में न तो जिलाधिकारी थे और न ही एसएसपी थे। उस कठिन घड़ी में पंडित वीरभद्र मिश्र की महानता देखने को मिली उस रात मुझे और मुफ़्ती-ए-बनारस मौलाना बातिन नोमानी को काफी समय उनके साथ मिल बैठने का अवसर मिला था। जिस दरमियान गंगा जमुनी तहजीब की एक मिसाल पूरी दुनिया ने देखा था।’
एसएम यासीन ने कहा कि ‘अब इतने अन्तराल के बाद फ़िरक़ा परस्ती का ज़हर यहाँ की शांत आबोहवा में फिर घोला जा रहा है। राजनीतिक दबाव किसी कार्यवाई में बाधक बनकर खड़ी हो जाती है। इसीलिए अंजुमन मसाजिद ने हालात को सामान्य रखने हेतु नगर के बहुसंख्यक वर्ग के सामाजिक, राजनीतिक विशिष्ठ नागरिको और धर्मगुरूओं से मिलकर उनके सहयोग से बनारसी तहज़ीब को बचाने की कोशिश शुरू किया है।‘
एसएम यासीन ने कहा कि ‘यह सब ज्ञानवापी मस्जिद के मुकदमात से परे है, दलगत राजनीति से अलग हो रहा है। आज इस क्रम में संकट मोचन मंदिर के पूर्व महन्त के सच्चे जानशीन मौजूदा महन्त विशम्भर नाथ मिश्र से मुलाकात करने अंजुमन मसाजिद का एक प्रतिनिधि मंडल आया और मुलाकात किया। इस मुलाकात का मकसद बनारस की साझा विरासत को बचाना है।’
उन्होंने बताया कि ‘इस हेतु विचार-विमर्श हुआ प्रोफेसर साहब ने हमलोगों के इस प्रयास को हर संभव मदद का वायदा किया तथा बहुत सराहा है। आगे भी ऐसी मीटिंगों के लिए उन्होंने प्रेरित किया। महंत जी ने लगभग एक घंटा का कीमती समय दिया। हम लोगों का ‘हमारा बनारस और साझी विरासत’ का कार्य कार्यक्रम इंशा अल्लाह अनवरत जारी रहेगा। हम बनारस की अवाम से दुआओं की गुजारिश करते है।’
बताते चले कि पिछले सप्ताह अंजुमन के प्रतिनिधि मंडल ने पूर्व मंत्री वीरेंदर सिंह से भी मुलाकात किया था। इस दरमियान भी बनारस की गंगा जमुनी तहजीब को बचाए रखने के लिए प्रयासों पर चर्चा हुई। जिस प्रयास का पूर्व मंत्री ने भी इस्तकबाल किया था और अंजुमन के प्रयासों की सराहना किया था। मिल रही जानकारी के अनुसार अंजुमन का ऐसी बैठकों का सिलसिला आगे भी जारी रहेगा।