इलाहाबाद हाईकोर्ट में रात में बैठी बेंच, स्वतः संज्ञान लेते हुवे चीफ जस्टिस ने सरयू एक्सप्रेस में आन ड्यूटी महिला सिपाही पर हुवे क्रूर हमले पर तलब किया रिपोर्ट
तारिक खान
डेस्क: उत्तर प्रदेश में अयोध्या जा रही सरयू एक्सप्रेस ट्रेन में महिला सिपाही के साथ दरिंदगी मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस प्रीतिंकर दिवाकर ने स्वतः संज्ञान लेते हुए जनहित याचिका कायम की है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस मामले पर गहरी नाराजगी जताई है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस मामले में सुओ मोटो लेकर रविवार को छुट्टी के दिन रात के वक्त सुनवाई की है।
मामले में चीफ जस्टिस के आवास पर बैठी स्पेशल बेंच ने सुनवाई करते हुए रेलवे, महिला आयोग और यूपी सरकार जवाब तलब किया। मुख्य न्यायाधीश प्रीतिंकर दिवाकर के रविवार के एक व्हाट्सएप संदेश के आधार पर मुख्य न्यायाधीश प्रीतिंकर दिवाकर और जस्टिस आशुतोष श्रीवास्तव की पीठ रविवार, 3 सितंबर को रात 8:00 बजे मुख्य न्यायाधीश के आवास पर सुनवाई के लिए बैठी।
पीठ को सूचित किया गया कि पुलिसकर्मी को लहूलुहान अवस्था में पाया गया था, वह खून से लथपथ थी, उसके चेहरे पर गहरा घाव था और वह हिलने-डुलने में भी असमर्थ थी। घटना की सूचना कुछ यात्रियों ने दी, जो सुबह करीब चार बजे अयोध्या जंक्शन से सरयू एक्सप्रेस में चढ़े थे।
अभियोजन पक्ष का पक्ष रखते हुए वकील राम कौशिक ने कहा कि ‘एक्स’ के भाई की ओर से एक लिखित शिकायत के आधार पर आईपीसी की धारा 332, 353 और 307 के तहत एफआईआर दर्ज की गई। हालांकि, ‘एक्स’ की गंभीर और शारीरिक स्थिति को देखते हुए आईपीसी की धारा 376/376 डी भी एफआईआर में जोड़ी जानी चाहिए थी।
कौशिक ने भारतीय रेलवे द्वारा महिलाओं के लिए सुरक्षा उपायों के कार्यान्वयन की कमी को भी उजागर किया। उन्होंने कहा कि रेलवे सुरक्षा बल यात्रियों की सुरक्षा के नियमों को लागू करने में अपने कर्तव्यों का पालन करने में विफल रहा। उन्होंने कहा, ‘वर्तमान घटना स्पष्ट रूप से भारतीय रेलवे अधिनियम के कुछ प्रावधानों के उल्लंघन को दर्शाती है।‘