इसराइल-हमाज़ संघर्ष ताज़ा अपडेट: इजरायली हमले में मासूम बच्चो, महिलाओं सहित 400 से अधिक की मौत, रिहाइशी इमारतो को बना रहा इसराइल निशाना, UN में बोला फलिस्तीन ‘इसराइल का समर्थन करने वाले उसके नस्लवाद और उपनिवेशवाद को नज़रंदाज़ कर रहे है

मो0 सलीम  

डेस्क: गाजा पट्टी पर इजरायली सेना के हवाई और तोपखाने हमले फिर से शुरू हो गए है। इस दरमियान इसराइल में भी हमाज़ के लड़ाके युद्ध कर रहे है। मिल रही जानकारी के अनुसार हमाज़ के कब्ज़े में लगभग 100 से अधिक युद्धबंदी है। इन युद्धबन्दियो में इसराइली फ़ौज के सदस्य भी होने का दावा हमाज़ कर रहा है।

अभी जारी हमलो में इज़रायली जेट विमानों ने फ़िलिस्तीनी इस्लामिक नेशनल बैंक की एक इमारत को नष्ट कर दिया, जो उस जगह से थोड़ी दूरी पर थी जहाँ अल जज़ीरा लाइव रिपोर्टिंग कर रहा था। गाजा में, फ़िलिस्तीनी स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि इस इजराइली हमलो में कम से कम 413 लोग मारे गए, और 2,200 से अधिक लोग घायल हुए है। इज़राइल से आ रही मीडिया रिपोर्टों के अनुसार वहा कम से कम 700 लोगों के मारे जाने की बात कही गई है।

इजराइली सेना ने गाजा पट्टी के पास अवैध इजराइली बस्तियों सडेरोट और मेफल्सिम के निवासियों को अपने घरों के अंदर रहने का निर्देश दिया है। इस संघर्ष के बीच संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद बढ़ती हुई हिंसा पर आज रविवार को बंद कमरे में आपात्कालीन विचार-विमर्श करने वाली है। रविवार को, मिस्र के एक पुलिसकर्मी ने भूमध्यसागरीय शहर अलेक्जेंड्रिया में इजरायली पर्यटकों पर गोलीबारी की, जिसमें कम से कम दो इजरायली और एक मिस्रवासी की मौत हो गई। जिसके बाद उक्त पुलिस कर्मी को गिरफ्तार कर लिया गया था। अब इज़राइल की राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद नागरिकों से मध्य पूर्वी देशों में जाने से परहेज करने का आह्वान कर रही है और वहां पहले से मौजूद लोगों को तुरंत वहां से चले जाने को कहा है।

संयुक्त राष्ट्र में फलिस्तीन ने रखा अपना पक्ष

संयुक्त राष्ट्र में फ़िलिस्तीन के दूत का कहना है कि जो लोग संयुक्त राष्ट्र चार्टर और अंतर्राष्ट्रीय कानून में विश्वास करते हैं, उन्हें इस ‘बड़ी तस्वीर’ से नज़र नहीं हटानी चाहिए। रियाद मंसूर ने संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में कहा, ‘हमें सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव में निहित दृष्टिकोण के लिए खड़े होने की जरूरत है, और उनके प्रावधानों का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक उपाय करने की जरूरत है।‘

उन्होंने कहा कि ‘इजरायल उन लक्ष्यों को आगे बढ़ाते हुए राजनीतिक और सैन्य समर्थन की उम्मीद करता है और मांग करता है जो मूल रूप से अंतरराष्ट्रीय वैधता और सर्वसम्मति के विपरीत हैं, क्या इजरायल का समर्थन करने वाले लोग इसके उपनिवेशवादी और नस्लवादी एजेंडे को नजरअंदाज कर सकते हैं?’

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