‘न्यूज़क्लिक’ मामले में हाई कोर्ट में आज किया कपिल सिब्बल ने जिरह, अदालत सोमवार को भी करेगी मामले में सुनवाई

मो0 शरीफ/शफी उस्मानी

डेस्क: गुजिस्ता मंगलवार को न्यूज़ क्लिक के पत्रकारों के घर पड़े छापे और पुलिस द्वारा पूछताछ के बाद न्यूज़ क्लिक के एडिटर इन चीफ़ प्रबीर पुरकायस्थ और एचआर हेड अमित चक्रवर्ती की गिरफ़्तारी के मामले की सुनवाई हाई कोर्ट में अब सोमवार को होगी।

हाई कोर्ट में दाखिल याचिका में दोनों लोगों की ओर से अदालत में कहा गया था कि उनकी गिरफ़्तारी अवैध थी और उनके ख़िलाफ़ एफ़आईआर को रद्द कर दिया जाना चाहिए। आज शुक्रवार को न्यूज़ क्लिक की ओर से बहस करते हुए सीनियर वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि जब इन लोगों को गिरफ़्तार किया गया तो उनके वकील को सूचित नहीं किया गया जबकि सरकारी वकील मौजूद थे। उन्होंने कहा कि इसका मतलब यह है कि पुलिस ने सरकार के वकील को सूचित किया, लेकिन गिरफ़्तार हुए लोगों को नहीं।

इस याचिका में यह भी यह कहा गया है कि पुलिस हिरासत में भेजने का आदेश सुबह 6 बजे आया जबकि गिरफ़्तार लोगों के वकील को लगभग 7 बजे सूचित किया गया था। इन लोगों को गिरफ़्तारी के आधार के बारे में सूचित नहीं किया गया और उन्हें एफ़आईआर की कॉपी भी नहीं दी गई। सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का हवाला दिया जिसमें यह कहा गया था कि गिरफ़्तारी के कारणों की लिखित जानकारी देनी होगी, यदि ऐसा नहीं किया गया तो गिरफ़्तार व्यक्ति को रिहा कर दिया जाना चाहिए।

सिब्बल ने यह भी तर्क दिया कि वर्तमान एफ़आईआर में जो आरोप लगाए गए हैं वे पहले भी 2020 की एक अन्य एफ़आईआर में भी लगाए गए थे, जिसकी जांच दिल्ली पुलिस और प्रवर्तन निदेशालय के हाथों में है। उस मामले में दिल्ली हाई कोर्ट ने पहले ही निर्देश दिए थे कि उनकी गिरफ़्तारी नहीं होगी। दिल्ली पुलिस की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि उन्हें इस मामले को देखने का समय नहीं मिला है और कोर्ट से अगली तारीख देने का अनुरोध किया। अब इस मामले की सुनवाई सोमवार 9 अक्तूबर को होगी।

न्यूज़ वेबसाइट न्यूज़ क्लिक और इससे जुड़े पत्रकारों के घरों पर दिल्ली पुलिस ने मंगलवार को सुबह-सुबह छापेमारी की थी। इन पत्रकारों के फोन और लैपटॉप सीज़ कर लिए गए थे। घंटों चली पूछताछ के बाद न्यूज़ क्लिक के एडिटर-इन-चीफ़ प्रबीर पुरकायस्थ और ह्यूमन रिसोर्सेज़ के प्रमुख अमित चक्रवर्ती को गिरफ़्तार किया गया है। इस छापेमारी और गिरफ़्तारी के मुखालिफ पत्रकारों के 16 संगठनो ने संयुक्त रूप से सीजेआई को पत्र लिख कर मामले में दखल देने और लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ को बचाने की अपील किया है। वही देशव्यापी इस घटना का विरोध भी जारी है।

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