इजराइल-फिलिस्तीन की बीच 100 साल पुराने विवाद की जाने पूरी कहानी, पढ़े आखिर क्यों नही हल हो पा रहा है ये मुद्दा
फारुख हुसैन
डेस्क: 14 मई, 1948 को इसराइल की स्थापना हुई। और इसराइल के गठन के साथ ही एक स्थानीय तनाव क्षेत्रीय विवाद में बदल गया। अगले ही दिन मिस्र, जॉर्डन, सीरिया और इराक़ ने इस इलाक़े पर हमला कर दिया। ये पहला अरब-इसराइल संघर्ष था। इसे ही यहूदियों का स्वतंत्रता संग्राम भी कहा गया था। इस लड़ाई के ख़त्म होने के बाद संयुक्त राष्ट्र ने एक अरब राज्य के लिए आधी ज़मीन मुकर्रर की।
फ़लस्तीनियों के लिए वहीं त्रासदी का दौर शुरू हो गया। साढ़े सात लाख फलस्तीनियों को भागकर पड़ोसी देशों में पनाह लेनी पड़ी या फिर यहूदी सशस्त्र बलों ने उन्हें बेदखल कर दिया। लेकिन साल 1948 यहूदियों और अरबों के बीच कोई आख़िरी संघर्ष नहीं था। साल 1956 में स्वेज़ नहर को लेकर विवाद हुआ और इसराइल और मिस्र फिर एक दूसरे के सामने खड़े हो गए। लेकिन ये मामला मैदान-ए-जंग से बाहर सुलझा लिया गया।
लेकिन साल 1967 में छह दिनों तक चला अरब-इसराइल संघर्ष एक तरह से आखिरी बड़ी लड़ाई थी। उस साल पाँच जून से दस जून के बीच जो कुछ हुआ, उसका दीर्घकालीन प्रभाव कई स्तरों पर देखा गया। अरब देशों के सैनिक गठबंधन पर इसराइल को जीत मिली। ग़ज़ा पट्टी, मिस्र का सिनाई प्रायद्वीप, जॉर्डन से वेस्ट बैंक (पूर्वी यरूशलम सहित) और सीरिया से गोलन पहाड़ी उसके नियंत्रण में आ गए। पाँच लाख फ़लस्तीनी लोग विस्थापित हो गए।
आख़िरी अरब-इसराइल संघर्ष साल 1973 का योम किप्पुर युद्ध था। मिस्र और सीरिया ने इसराइल के खिलाफ़ ये जंग लड़ी। मिस्र को सिनाई प्रायद्वीप फिर से हासिल हो गया। साल 1982 में इसराइल ने इस क्षेत्र पर अपना दावा छोड़ दिया लेकिन ग़ज़ा पर नहीं। छह साल बाद मिस्र इसराइल के साथ शांति समझौता करने वाला पहला अरब देश बना। जॉर्डन ने आगे चलकर इसका अनुसरण किया।
क्या है शान्ति प्रक्रिया में बाधा
दरअसल एक स्वतंत्र फ़लस्तीनी राष्ट्र के गठन में देरी इस पुरे मामले में सबसे बड़ी बाधा है। साथ ही वेस्ट बैंक में यहूदी बस्तियाँ बसाने का काम और फ़लस्तीनी क्षेत्र के आस-पास सुरक्षा घेरा, ये वो वजहें हैं जिससे शांति प्रक्रिया में बाधा पहुँचती है। हेग स्थित अंतरराष्ट्रीय न्यायालय ने फ़लस्तीनी क्षेत्र के आस-पास इसराइल के सुरक्षा घेरे की आलोचना भी की है। साल 2000 में अमेरिका के कैंप डेविड में जब राष्ट्रपति बिल क्लिंटन की मौजूदगी में दोनों पक्षों के बीच सुलह कराने की आख़िरी बार गंभीर कोशिश हुई थी, तभी ये साफ़ हो गया था कि फ़लस्तीनियों और इसराइलियों के बीच शांति की राह में केवल यही बाधाएँ नहीं है।
उस वक्त इसराइल के प्रधानमंत्री एहुद बराक और यासिर अराफात के बीच बिल क्लिंटन समझौता कराने में नाकाम रहे थे। जिन मुद्दों पर दोनों पक्षों के बीच असहमति थी, वे थीं- यरूशलम, सीमा और ज़मीन, यहूदी बस्तियाँ और फ़लस्तीनी शरणार्थियों का मुद्दा। इसराइल का दावा है कि यरूशलम उसका इलाक़ा है। उसका कहना है कि साल 1967 में पूर्वी यरूशलम पर कब्जे के बाद से ही यरूशलम उसकी राजधानी रही है लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसे मान्यता नहीं मिली हुई है। फ़लस्तीनी पक्ष पूर्वी यरूशलम को अपनी राजधानी बनाना चाहता है।
फ़लस्तीनियों की मांग है कि छह दिन तक चले अरब-इसराइल युद्ध यानी चार जून, 1967 से पहले की स्थिति के मुताबिक़ उसकी सीमाओं का निर्धारण किया जाए जिसे इसराइल मानने से इनकार करता है। यहूदी बस्तियाँ इसराइल ने क़ब्ज़े वाली ज़मीन पर बसाई हैं। अंतरराष्ट्रीय क़ानूनों के तहत ये अवैध हैं। वेस्ट बैंक और पूर्वी यरूशलम में इन बस्तियों में पाँच लाख से ज़्यादा यहूदी रहते हैं। फ़लस्तीनी शरणार्थियों की संख्या वास्तव में कितनी है, ये इस बात पर निर्भर करता है कि कौन इसे गिन रहा है। पीएलओ का कहना है कि इनकी संख्या एक करोड़ से अधिक है। इनमें आधे लोग संयुक्त राष्ट्र के पास रजिस्टर्ड हैं। फ़लस्तीनियों का कहना है कि इन शरणार्थियों को अपनी ज़मीन पर लौटने का हक़ है। लेकिन वो जिस ज़मीन की बात कर रहे हैं, वो आज का इसराइल है और अगर ऐसा हुआ तो यहूदी राष्ट्र के तौर पर उसकी पहचान का क्या होगा।
क्या है भौगोलिक नवय्यत
फ़लस्तीन पर संयुक्त राष्ट्र की स्पेशल कमेटी ने 1947 में जनरल असेंबली को रिपोर्ट सौंपी थी, उसमें ये सिफ़ारिश की गई थी कि अरब राष्ट्र में वेस्टर्न गैली (समारिया और ज्युडिया का पहाड़ी इलाका) शामिल किया जाए। कमेटी ने यरूशलम और मिस्र की सीमा से लगने वाले इस्दुद के तटीय मैदान को इससे बाहर रखने की सिफ़ारिश की थी। लेकिन इस क्षेत्र के बँटवारे को साल 1949 में खींची गई आर्मीस्टाइस रेखा से परिभाषित किया गया। ये रेखा इसराइल के गठन और पहले अरब-इसराइल युद्ध के बाद खींची गई थी।
फ़लस्तीन के ये दो क्षेत्र हैं वेस्ट बैंक (जिसमें पूर्वी यरूशलम शामिल है) और ग़ज़ा पट्टी। ये दोनों क्षेत्र एक दूसरे 45 किलोमीटर की दूरी पर हैं। वेस्ट बैंक का क्षेत्रफल 5970 वर्ग किलोमीटर है तो ग़ज़ा पट्टी का क्षेत्रफल 365 वर्ग किलोमीटर। वेस्ट बैंक यरूशलम और जॉर्डन के पूर्वी इलाक़े के बीच पड़ता है। यरूशलम को फ़लस्तीनी पक्ष और इसराइल दोनों ही अपनी राजधानी बताते हैं। ग़ज़ा पट्टी 41 किलोमीटर लंबा इलाक़ा है, जिसकी चौड़ाई 6 से 12 किलोमीटर के बीच पड़ती है। ग़ज़ा की 51 किलोमीटर लंबी सीमा इसराइल से लगती है, सात किलोमीटर मिस्र के साथ और 40 किलोमीटर भूमध्य सागर का तटवर्ती इलाक़ा है।
ग़ज़ा पट्टी को इसराइल ने साल 1967 की लड़ाई में अपने नियंत्रण में ले लिया था। साल 2005 में इसराइल ने इस पर अपना क़ब्ज़ा छोड़ दिया। हालांकि इसराइल गज़ा पट्टी से लोगों, सामानों और सेवाओं की आमदरफ्त को हवा, ज़मीन और समंदर हर तरह से नियंत्रित करता है। फ़िलहाल गज़ा पट्टी हमास के नियंत्रण वाला इलाक़ा है। हमास इसराइल का ही सशस्त्र गुट है जो फ़लस्तीन के अन्य धड़ों के साथ इसराइल के समझौते को मान्यता नहीं देता है। इसके उलट, वेस्ट बैंक पर फ़लस्तीनी नेशनल अथॉरिटी का शासन है। फ़लस्तीनी नेशनल अथॉरिटी को अंतरराष्ट्रीय समुदाय फ़लस्तीनियों की सरकार के रूप में मान्यता देता है।