तमिलनाडु: 30 साल पुराने यौन शोषण और अत्याचार के लिए 215 सरकारी कर्मियों को अदालत ने भेजा जेल, दोषियों में 126 वनकर्मी, चार भारतीय वन सेवा अधिकारी, 84 पुलिसकर्मी और पांच राजस्व अधिकारी शामिल

तारिक़ खान/प्रमोद कुमार

डेस्क: एक ऐतिहासिक फैसले में मद्रास हाईकोर्ट ने बीते शुक्रवार (29 सितंबर) को सभी अपीलों को खारिज करते सत्र अदालत के आदेश को बरकरार रखा है। सत्र अदालत ने तमिलनाडु के धर्मपुरी जिले के एक आदिवासी गांव वाचथी में 1992 में चंदन तस्करी संबंधी छापेमारी के दौरान यौन उत्पीड़न सहित अन्य अत्याचारों के लिए 215 लोगों (सभी वन, पुलिस और राजस्व विभागों के अधिकारी) को दोषी ठहराया था।

Tamil Nadu: Court sent 215 government employees to jail for 30-year-old sexual exploitation and torture, convicts included 126 forest personnel, four Indian Forest Service officers, 84 policemen and five revenue officers

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, जस्टिस पी0 वेलमुरुगन ने अपने आदेश में कहा, ‘इस अदालत ने पाया है कि सभी पीड़ितों और अभियोजन पक्ष के गवाहों के साक्ष्य ठोस और सुसंगत हैं, जो विश्वसनीय हैं।’ उन्होंने कहा कि अभियोजन पक्ष ने अपने साक्ष्यों के माध्यम से अपना मामला साबित कर दिया है। जिसके बाद अदालत ने सभी को गिरफ्तार करने का हुक्म देते हुवे 1 से 10 साल की सज़ा भुगतने का आदेश दिया हिया। जस्टिस वेलमुरुगन ने तमिलनाडु सरकार को यह भी आदेश दिया कि 2016 में एक खंडपीठ के आदेश के अनुसार हर रेप सर्वाइवर को तुरंत 10 लाख रुपये का मुआवजा जारी किया जाए और अपराध के लिए दोषी ठहराए गए पुरुषों से 50 प्रतिशत राशि वसूल की जाए।

अदालत ने सरकार को आरोपियों को बचाने के लिए तत्कालीन जिला कलेक्टर, पुलिस अधीक्षक (एसपी) और जिला वन अधिकारी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का भी निर्देश दिया। जस्टिस वेलमुरुगन ने अपने आदेश में कहा, ‘गवाहों के साक्ष्य से यह स्पष्ट है कि जिला कलेक्टर, जिला वन अधिकारी और एसपी सहित सभी अधिकारी जानते थे कि असली अपराधी कौन थे, लेकिन उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई और असली दोषियों को बचाने के लिए निर्दोष ग्रामीणों को प्रताड़ित किया गया। इसलिए, यह अदालत इस निष्कर्ष पर पहुंची है कि अभियोजन पक्ष ने साबित कर दिया है कि सभी अपीलकर्ताओं ने अपराध किया है।’

बताते चले कि 20 जून, 1992 को अधिकारियों ने तस्करी के चंदन की लकड़ी की तलाश में वाचथी गांव पर छापा मारा था। छापे के दौरान संपत्ति और पशुधन का व्यापक विनाश हुआ और 18 महिलाओं के साथ बलात्कार किया गया था। जिस मामले में 2011 में धर्मपुरी की एक सत्र अदालत ने मामले में 126 वनकर्मियों को दोषी ठहराया था, जिनमें चार भारतीय वन सेवा अधिकारी, 84 पुलिसकर्मी और पांच राजस्व विभाग के अधिकारी शामिल थे। 269 आरोपियों में से 54 की मुकदमे के दौरान मृत्यु हो गई और शेष 215 को 1 से 10 साल तक जेल की सजा सुनाई गई थी। फैसले को बरकरार रखते हुए हाईकोर्ट ने शुक्रवार को सत्र अदालत को सजा की शेष अवधि काटने के लिए सभी आरोपियों को तुरंत हिरासत में लेने का निर्देश दिया।

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