जो हमास की आलोचना कर रहे हैं, उन्हें पहले इसराइल और इसराइली सेटलर जो कुछ वेस्ट बैंक में फलिस्तिनियो के साथ कर रहे हैं, उसकी आलोचना करनी चाहिए: भारत में फ़लस्तीनी राजदूत अदनान अबु अल हायजा
ईदुल अमीन/मो0 शरीफ
डेस्क: भारत में फ़लस्तीनी राजदूत अदनान अबु अल हायजा ने हमास के इसराइल पर हमले को लेकर कहा है कि वो इसकी आलोचना नहीं करेंगे। अबु हायजा से सवाल किया गया था कि क्या आपको नहीं लगता कि हमास ने जो किया है, उसकी निंदा होनी चाहिए। उन्होंने आम लोगों पर हमला किया, कई सारे लोगों को उन्होंने बंधक बना लिया, इसराइल ने इसे जंग बताया है। इस पूरे मामले पर आपका क्या कहना है?
#WATCH | Delhi: On condemning the act of Hamas, Palestinian Ambassador to India, Adnan Abu Al Haija says "What about the Palestinians? From the beginning of this year, 260 people have been killed (by Israel). They are civilians too. We have more than 5,000 people in the Israeli… pic.twitter.com/5DMRMDZrEe
— ANI (@ANI) October 9, 2023
इस पर उन्होंने कहा, ‘फ़लस्तीनियों का क्या? फ़लस्तीनियों के बारे में आपका क्या कहना है? इस साल की शुरुआत से अब तक फ़लस्तीन के 260 आम नागरिक मारे गए हैं। दूसरा, पांच हज़ार से ज़्यादा फ़लस्तीनी इसराइल की जेलों में कैद हैं। तीन सौ से ज़्यादा लोग डिटेंशन सेंटर में मौजूद हैं। वो लोग रिहा करने की मांग को लेकर भूख हड़ताल करते हैं। इसराइल के पास उनके ख़िलाफ़ कोई सबूत नहीं है, लेकिन फिर भी उन्हें जेलों में रखा गया है। जो लोग भी हमास के कदमों की आलोचना कर रहे हैं, उन्हें पहले इसराइल और इसराइली सेटलर जो कुछ वेस्ट बैंक में कर रहे हैं, उसकी आलोचना करनी चाहिए।’
जब उनसे सवाल किया गया कि क्या वो हमास के इस कदम की आलोचना करेंगे? तो उन्होंने कहा, ‘कतई नहीं..! हमास फ़लस्तीनी लोगों का हिस्सा है। मैं फ़लस्तीन पर इसराइल के कब्ज़े की आलोचना करता हूं। अगर कब्ज़ा नहीं होता, तो हमास ना होता, तो फ़तह ना होता। इसराइल के अपने लड़ाके हैं। हमास का ऑपरेशन शायद बड़ा है, लेकिन इसराइली सेटलर, इसराइली लड़ाके हर रोज़ वेस्ट बैंक में ऐसा करते हैं।’
उन्होंने कहा कि ‘वो लोग शांति और ज़मीन एक साथ चाहते हैं और ऐसा हो नहीं सकता। दुनिया की किसी भी और जगह की तरह फ़लस्तीनी भी शांति के साथ जीना चाहते हैं। हम इसराइलियों के साथ शांति के साथ जीना चाहते हैं। हम ओस्लो समझौते के तहत 22 फीसदी ज़मीन चाहते हैं ताकि स्वतंत्र फ़लस्तीन देश बना सकें। ये टकराव हमेशा जारी रहेगा क्योंकि हम अपनी सरज़मीं पर गुलाम बनकर नहीं रहेंगे।‘