कल है गुरु प्रदोष व्रत, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
बापुनंदन मिश्रा
डेस्क: हर महीने दो प्रदोष व्रत आते हैं। कल अक्टूबर का आखिरी प्रदोष व्रत है। गुरुवार के दिन आने वाले प्रदोष व्रत को गुरु प्रदोष व्रत कहा जाता है। मान्यता है इस दिन अगर प्रदोष व्रत हो तो पूजा करने से दुश्मनों पर विजय प्राप्त होती है। आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन आपको कैसे पूजा करनी है, कब पूजा करनी है, इस व्रत के दिन कौन से शुभ योग बन रहे हैं, ये सब हम आपको बता रहे हैं।
भगवान शिव की पूजा इस दिन करने से कैसे आपके जीवन के सभी दुश्मन आपसे दूर हो जाएंगे, ये भी बता रहे हैं। दुश्मन सिर्फ व्यक्ति विशेष ही नहीं होता, हमारे जीवन में किसी भी चीज़ जैसे पैसों की तंगी, बुरे हालात, कोई दुख जो भी हमें तकलीफ दे उसे दुश्मन ही कहा जाता है। तो आइए जानते हैं गुरु प्रदोष व्रत की तिथि कब प्रारंभ होगी कैसे आपको पूजा करनी है।
हिंदू वैदिक पंचांग के अनुसार, 26 अक्टूबर दिन गुरुवार को सुबह 09 बजकर 44 मिनट से आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि शुरू होगी जो 27 अक्टूबर शुक्रवार के दिन सुबह 06 बजकर 56 मिनट तक रहेगी। प्रदोष पूजा मुहूर्त 26 अक्टूबर को ही है। गुरु प्रदोष व्रत की पूजा का शुभ मुहूर्त 26 अक्टूबर 2023 को शाम 05 बजकर 41 मिनट से लेकर रात 08 बजकर 15 मिनट तक है।
अश्विन गुरु प्रदोष व्रत 2023 के दिन ध्रुव व्याघात योग बनेगा। ध्रुव योग सूर्योदय से लेकर सुबह 08:50 बजे तक रहेगा। उसके बाद से व्याघात योग प्रारंभ होगा, जो रात तक रहेगा। व्रत वाले दिन पूर्व भाद्रपद नक्षत्र सुबह 11 बजकर 27 मिनट तक है। फिर उत्तर भाद्रपद नक्षत्र शुरू होगा।
ये तो आप जानते ही हैं कि जिस दिन प्रदोष व्रत आता है उस दिन का प्रभाव व्रत के फल पर पड़ता है। गुरुवार के दिन आने वाले प्रदोष को गुरु प्रदोष व्रत कहते हैं। इस दिन पूजा करने से दुश्मनों पर विजय प्राप्त होती है। शिव भक्त इस दिन उनकी पूजा करते हैं जिससे जो भी उनके विरोधी या विरोधि परिस्थिति होती है भगवान की कृपा से वो दूर हो जाती है। जीवन में सुख शांति आती है। बस ध्यान रखें कि प्रदोष व्रत पर शिव पूजा शाम के समय में ही होती है।
डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। PNN24 इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है।