वीडीए के वीसी साहब…! सवाल ये है कि चौक ज़ोन के इस भवन का नक्शा बिना सेटबैक छोड़े पास कैसे हो गया, और जी+1 की तामीर भी हो गई….! आपके विभाग ने इस ‘अनहोनी’ को भी क्या ‘होनी’ कर दिया ?

तारिक़ आज़मी

वाराणसी: अन्य विभाग तो बेमतलब का ही बदनाम है। असल में अगर अनहोनी को होनी होते देखना है तो वाराणसी विकास प्राधिकरण में संपर्क करे। थोडा जुगाड़ और फिर आप अनहोनी को भी होनी करते हुवे देख सकते है। अगर सत्ता का साथ अथवा नाम आपको मिल गया तो फिर बात ही क्या है? फिर तो सोने पर सुहागा हो जायेगा। ऐसा एक बड़ा उदाहरण वाराणसी विकास प्राधिकरण का चौक ज़ोन में देखने को मिल रहा है।

चौक मैदागिन मुख्य मार्ग पर भवन संख्या सीके 58/55-55A है। भवन राम आसरे सिंह का है और सिंह साहब ने साबित कर दिया है कि ‘सिंह इज किंग’। इस भवन को डीजे के नाम से भी आस पास के लोग जानते है। चौक-राजादरवाज़ा मुख्य मार्ग के नुक्कड़ के इस भवन का वर्त्तमान में वाराणसी विकास प्राधिकरण से नक्शा पास है और निर्माण के तौर पर जी+1 का स्लैब भी ढल गया है। इस भवन के दक्षिण राजादरवाज़ा जाने वाला मार्ग है और पूरब जानिब चौक मैदागिन मुख्य मार्ग है।

लम्बे समय के जद्दोजेहद के बाद इस भवन का नक्शा पास हुआ है और निर्माण जारी है। वाराणसी विकास प्राधिकरण ने इस भवन के नक़्शे में अनहोनी को भी होनी कर डाला है। दो मार्गो के नुक्कड़ पर बन रहे इस भवन में एक इंच भी सेटबैक नहीं छूटा है और लगभग 2 हज़ार वर्ग फिट पर इसका निर्माण चल रहा है। जेई और जोनल कैसे बोले क्योकि इस भवन का नक्शा पास है। अब सवाल ये उठता है कि नियमानुसार मार्ग से 4 फिट का सेटबैक छोड़ना होता है। उस अनुसार देखे तो भवन के पूरब 4 फिट और दक्षिण 4 फिट का सेटबैक छूटना था।

मगर इसको वाराणसी विकास प्राधिकरण का अनोखा प्रयोग ही कहेगे कि इस भवन का नक्शा पास बिना सेट बैक छोड़े हो गया है। निर्माण भी हो रहा है। ऐसा नही कि किसी गली कुचे में निर्माण हो रहा हो और विभाग की नज़र न पड़ती हो। रोज़मर्रा इधर से अधिकारियो का गुज़र होता है। खुद वीसी साहब इस मार्ग से होकर इसी भवन के सामने से होकर विश्वनाथ मंदिर दर्शन हेतु जाते है। फिर कैसे ऐसा नक्शा पास हो जाने की जानकारी उनको नही हुई। या फिर ऐसा ही कि जानकारी सब है, बस अतुल बाबु ने आंखे बंद करवा रखा है।

वैसे सूत्रों के अनुसार मिली जानकारी को आधार माने तो सत्ता के करीबी भवन स्वामी का नक्शा स्वीकृत हुआ है और मामला हाई कोर्ट के चौखट तक पहुच हुआ है। इस भवन के निर्माण को लेकर भवन स्वामी और एक बिल्डर के बीच विवाद भी हुआ जो अदालत में बतौर सिविल केस विचाराधीन है। जिसमे स्थानीय अदालत ने यथा स्थिति बरक़रार रखने का आदेश दिया था। मगर बाद में उक्त स्टे को हाई कोर्ट ने अपने आदेश में निरस्त कर दिया। इन सबके बीच वाद विवाद किसका है, और किसका नही है? ये अलग बात है। मगर बिना सेट बैक के नक्शा पास हो जाना ये बहुत ही अचंभित करने वाला मामला सामने आया है। शायद सत्ता की शक्ति कुछ भी कर सकती है।

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