दशाश्वमेघ थाना क्षेत्र स्थित देहलूगली में आसिफ तनेजा को चाक़ू मार कर हत्या की कोशिश करने वाला जाहिद बाबा चढ़ा पुलिस के हत्थे, क्या इलाके में रुआब बनाना था घटना करने में इसका मकसद?
ए0 जावेद
वाराणसी: वाराणसी के दशाश्वमेघ थाना क्षेत्र स्थित देहलू गली में पिछले दिनों हिस्ट्रीशीटर से बिल्डर बने आसिफ तनेजा नामक युवक की चाक़ू मार कर हत्या का प्रयास हुआ था। इस हमले हमले में आसिफ तनेजा गम्भीर रूप से घायल हो गया और उसका इलाज ट्रामा सेंटर में चल रहा है। घटना तब हुई थी जब आसिफ तनेजा अपने ससुराल देह्लू गली जा रहा था। तभी पीछे से आकर उसके ऊपर चाक़ू से जानलेवा हमला जाहिद बाबा ने किया और मौके से फरार हो गया।
पुलिस ने घटना के सम्बन्ध में हत्या के प्रयास सहित अन्य धाराओ में 4 नामज़द अभियुक्तों के खिलाफ मामला दर्ज कर मुख्य अभियुक्त जाहिद बाबा की तलाश जारी कर दिया था। शातिर जाहिद बाबा के गिरफ़्तारी हेतु पुलिस को काफी मशक्कत करना पड़ा और कई जगहों पर छापेमारी भी करना पड़ा था। इसी बीच आज शुक्रवार को एसीपी दशाश्वमेघ अवधेश कुमार पाण्डेय को जानकारी हासिल हुई कि मुख्य अभियुक्त जाहिद बाबा देवकी नंदन हवेली के पास मौजूद है और कही फरार होने के फ़िराक में है।
जानकारी पर विश्वास करते हुवे एसीपी दशाश्वमेघ अवधेश कुमार पाण्डेय ने थानाध्यक्ष दशाश्वमेघ वैधनाथ सिंह, के नेतृत्व में एसआई विनोद कुमार, पंकज सिंह और विजय कुमार तथा कांस्टेबल की टीम का गठन कर जाहिद बाबा की गिरफ़्तारी करने हेतु आवश्यक दिशा निर्देश जारी किया। पुलिस टीम जब मौके पर पहुची तो देखा ट्रांसफार्मर के पीछे उनको देख कर एक युवक छिपा हुआ है। शंका होने पर पुलिस ने उक्त युवक को पकड़ कर उसकी जामा तलाशी लिया तो उसके पास से चाक़ू बरामद हुआ।
गिरफ्तार अभियुक्त ने अपना नाम मो0 जाहिद खान उर्फ जाहिद बाबा पुत्र स्व0) सिकन्दर खान निवासी म0नं0 सीके 47/69 शेख सलीम फाटक बेनियाँ बाग थाना चौक वाराणसी बताया। गिरफ्तार अभियुक्त के खिलाफ विधिक कार्यवाही करते हुवे पुलिस ने उसको अदालत में पेश किया, जहा से अदालत ने उसे जेल भेज दिया। मिल रही जानकारी के अनुसार पुलिस मामले में अग्रिम विवेचना कर रही है और अन्य अभियुक्तों की संलिप्तता और साक्ष्य एकत्रित कर रही है।
कौन है जाहिद बाबा
जाहिद बाबा मशहूर फ़ुटबाल खिलाडी रहे सिकंदर खान का बेटा है। शुरू से ही मनबढ़ जाहिद बाबा को कुछ न कुछ अलग करते इलाके के लोग अक्सर देखते थे। अचानक एक दिन जाहिद खान से वह जाहिद बाबा बन गया और लोगो के घरो में खजाने निकालने का दावा करते हुवे खुद का एक दफ्तर भी खोल लिया। दफ्तर टेलीफोन एक्सचेंज गेट के ठीक बगल में था जहा झाड फुक का कारोबार ज़बरदस्त चला। किसी मज़ार की कथिति चादर लाकर उसको किसी इस्लामी सूफी संत से सम्बन्धित बता कर एक अपने सहयोगी के साथ जाहिद खान से जाहिद बाबा बन गया और लोगो के घरो में गड़े खजाने निकालने का दावा करने लगा।
बढ़िया चलते इस बाबागिरी के कारोबार के बीच जाहिद ने एक नही दो-दो प्रेस कार्ड किसी संस्थान का बनवा लिया और गाडी पर खुद की बड़ा बड़ा प्रेस लिखकर चलने लगा ताकि प्रशासन मे भी भौकाल बन जाए। इसी दरमियाना लाकडाउन लग जाने के कारण जाहिद बाबा का सारा कारोबार ठप पड़ गया। लाक डाउन के दरमियान गाडी पर प्रेस लिखे होने का फायदा उठा कर यह पुरे शहर में घुमा करता और गाँव देहात दे मुर्गे का गोश्त लाकर शहर में बेचता।
इसी दरमियान लाकडाउन के पहले रमजान में जाहिद बाबा में मखंचू को अपने साथ मिलाया और नई सड़क कपडा मार्किट की दो दुकानों में ताला तोड़ कर चोरी किया। चोरी में एक दूकान से लेडीज़ कपडे और दुसरे सुनार की दूकान से चांदी के सिक्के इसने चुराए। सीसीटीवी फुटेज खंगालते हुवे पुलिस इसके तक पहुची और जाहिद बाबा सहित मखंचू पकड़ा गया था।
अपनी दोस्ती के खातिर एक बड़े बिल्डर की भूमिका उस समय भी संदिग्ध थी
इस मामले में भी जाहिद बाबा के शरणदाताओं ने उसको आईडिया दिया और गिरफ़्तारी के बाद उल्टे जाहिद बाबा ने दुकानदार पर ही आरोप लगाया था कि वह खुद अपनी दूकान पर चोरी करवाने का ड्रामा करवाया था ताकि उसको इंशोरेंस के पैसे मिल जाए। जबकि दुकान के मालिक अब्दुल वहाब ने उस समय पुलिस को दिए बयान और तथ्यों में बताया था कि उसकी दूकान का इन्शुरेन्स ही नही है। फिर ऐसा कैसे होगा। इस मामले में भी एक स्थानीय बिल्डर साहब की भूमिका बड़ी संदिग्ध थी। उन्होंने खुद की दोस्ती के खातिर जाहिद बाबा का साथ चोरी जैसे मामले में दिया था।
मेरी दूकान का इंश्योरेन्स ही नहीं है, ऍफ़आईआर वापस लेने के दबाव के तहत लगा रहा झूठा आरोप – वहाब खान
इस मामले में काफी समय जेल में बिताने के बाद छुट कर ज़मानत पर बाहर आया तो इसने ज़मीनों का कारोबार शुरू किया। साथ ही इसकी दोस्ती लोहता निवासी एक अन्य युवक से हुई। वह युवक भी इसके तरीके का ढोंगी बाबा है। अब यहा स्थानीय चर्चाओं और घायल आसिफ तनेजा की बातो को माने तो जाहिद बाबा ने एक संपत्ति में बयांना देने के लिए 13 लाख 90 हजार रुपया आसिफ तनेजा से लिया और कहा कि ज़मींन एक सप्ताह में दुसरे के नाम ट्रांसफर हो जायेगी तो पैसे वापस हो जायेगे। आसिफ तनेजा ने ये रकम दे दिया। ज़मीन बिक भी गई मगर आसिफ तनेजा को पैसे नही मिले। जिसका तकादा आसिफ तनेजा अक्सर न सिर्फ जाहिद बाबा से करते बल्कि इसके दो भाइयो से भी करते थे। इस पैसे को न देना पड़े इसीलिए जाहिद बाबा ने आसिफ तनेजा पर जानलेवा हमला किया था।
क्या दबंगई में नाम कमाना भी था मकसद ?
इस पूरी घटना को दुसरे नज़रिए से भी जोड़ कर देखा जाना चाहिए। दरअसल इस पुरे इलाके का कारोबारी तबका सीधा साधा और कारोबार से मतलब रखने वला है। ऐसे इलाके को सॉफ्ट टारगेट समझने वाले लोग बाहुबली की श्रेणी में आते है। आसिफ तनेजा भी कभी अपराध जगत का एक बड़ा नाम हुआ करता था, इसमें कोई दो राय नही है। आसिफ तनेजा के ऊपर हमला करके जाहिद बाबा अपना नाम बढ़ाना चाहता होगा इससे भी इंकार नही किया जा सकता है।
वैसे भी इस इलाके में बाहुबल के अगर दो गैंग है तो एक ही कारोबारी से अगर एक गैंग ने आर्थिक लाभ उठाया तो दूसरा उसी कारोबारी को जो शब्द बोलता है वह रटा रटाया कि ‘हमारे दुश्मन को इतना दे दिए, हम का चिड़िया कबूतर मारा रहा का?’ ऐसे में उसी कारोबारी को दुसरे भी बाहुबली को देना पड़ता था। जाहिद बाबा शायद इसी श्रेणी में खुद को रखने की तमन्ना पाल बैठा होगा। अगर ऐसी तमन्ना थी तो बिला शुबहा कहा जा सकता है कि फिर जाहिद बाबा के पीठ पर किसी न किसी बिल्डर का हाथ ज़रूर होगा और जल्द ही उसको ज़मानत दिलवाने की प्रक्रिया उसी बिल्डर की लाबी शुरू कर देगी। इस तरीके से कहा जा सकता है कि ‘शायद पिक्चर अभी बाकी है।’ मगर ध्यान रखने की बात तो ये है कि पुलिस की विवेचना भी अभी पूरी बाकी है।