लेबनान के सशस्त्र संगठन हिजबुल्लाह प्रमुख हसन नसरल्लाह ने कहा ‘खुले है विकल्प, पहला लक्ष्य युद्ध खत्म करना और दूसरा हमास की जीत सुनिश्चित करना है, इस क़त्ल-ओ-आम के लिए अमेरिका है ज़िम्मेदार’
ईदुल अमीन
डेस्क: लेबनान के सशस्त्र संगठन हिज़बुल्लाह के नेता हसन नसरल्लाह ने आज शुक्रवार को बहुप्रतीक्षित अपने भाषण में कहा है कि इस वक्त सभी विकल्प खुले हुए हैं। इस बात के कयास लगाए जा रहे थे कि हिज़बुल्लाह इस जंग में कब शामिल होगा। हिज़बुल्लाह इस जंग में 8 अक्टूबर से शामिल है। अब तक इस जंग में 57 हिज़बुल्लाह लड़ाके मारे जा चुके हैं।
इसके साथ ही उन्होंने इस जंग के लिए अमेरिका को ज़िम्मेदार ठहराया है। उन्होंने कहा कि इस वक़्त सिर्फ दो लक्ष्य हैं, पहला लक्ष्य जंग ख़त्म करना है और दूसरा लक्ष्य इस जंग में हमास की जीत सुनिश्चित करना है। हिज़बुल्लाह प्रमुख ने ये भी कहा है कि सात अक्टूबर को दक्षिणी इसराइल पर हुए हमास के हमले में किसी बाहरी तत्व का हाथ नहीं था। उन्होंने ये भी कहा कि लेबनान सीमा पर टकराव बढ़ने की पूरी संभावनाएं हैं।
उन्होने कहा है कि हमास का इसराइल पर 7 अक्टूबर को किया गया हमला फ़लस्तीनियों पर ग़ज़ा में बढ़ रहे दबाव की वजह से किया गया था। नसरल्लाह ने जिस दबाव का ज़िक्र किया, उसके कई कारण भी गिनाए। उनमें इसराइली जेलों में बंद फ़लस्तीनी, यरूशलम और वहां मौजूद धार्मिक स्थानों के स्टेट्स पर गतिरोध और गज़ा की घेराबंदी और वेस्ट बैंक में बढ़ती यूहदियों बस्तियों को मुख्य कारण बताया। नसरल्लाह की ये स्पीच हिज़बुल्लाह के चैनल अल-मनार पर प्रसारित की गई और इसे दुनिया भर के मीडिया ने दिखाया।
नसरल्लाह ने कहा कि अरब जगत के इस्लामिक देश ग़ज़ा पर आक्रमण को रोकने के लिए मिलकर काम करना चाहिए। 7 अक्टूबर को इसराइल पर हुआ हमला शत प्रतिशत फ़लस्तीनी आक्रमण था। उन्होंने कहा कि सात अक्तूबर के हमलों ने इसराइल में भूचाल खड़ा कर दिया और उस हमले ने इसराइल की कमज़ोरी को उजागर किया था। नसरल्लाह ने यमन और इराक़ के शिया चरमपंथी गुटों का शुक्रिया अदा किया और उन्हें प्रतिरोध की धुरी बताया। इन गुटों में इराक़ में मौजूद शिया मिलिशिया है जो सीरिया में अमेरिकी सेना पर गोलीबारी कर रहा है। और यमन में हूथी विद्रोही हैं जो इसराइल पर ड्रोन से हमले कर रहे हैं।
हिज़बुल्लाह नेता ने कहा है कि इसराइल की सबसे बड़ी भूल यही है कि वो ग़ज़ा में हमास के ख़िलाफ़ जो हासिल करना चाहता है वो मुमकिन नहीं है। उन्होंने कहा, ‘एक पूरा महीना हो गया है। लेकिन इसराइल के पास कोई भी सैन्य उपलब्धि नहीं है। इसराइल ग़ज़ा में अग़वा किए गए लोगों को केवल बातचीत के सहारे ही छुड़ा पाएगा।’ बताते चले कि ब्रिटेन, अमेरिका, इसराइल समेत कई देश हिज़बुल्लाह को हमास की तरह ही एक आतंकवादी संगठन मानते हैं। हिज़बुल्लाह को लेबनान की सबसे बड़ी राजनीतिक और मिलिट्री ताक़त के रूप में देखा जाता है। नसरल्लाह के पते-ठिकाने को लेकर रहस्य बना हुआ है लेकिन हज़ारों लोग उन्हें ऑनलाइन सुन रहे थे। इसमें लेबनान की राजधानी बेरूत की सड़कों पर इकट्ठा हुई हिज़बुल्लाह समर्थकों की बड़ी भीड़ भी शामिल थी।