बोली टनल से निकले लखीमपुर के मंजीत की माँ- ‘17 साल की तरह बीते ये 17 दिन’
फारुख हुसैन
डेस्क: उत्तराखण्ड की सिलक्यारा सुरंग में फंसे लखीमपुर खीरी ज़िले के भैरमपुर गाँव के मंजीत की माँ ने बेटे के सुरक्षित बाहर निकलने पर खुशी जाहिर की है। मंजीत की माँ चौधराइन कहती हैं, “ये 17 दिन बहुत भारी पड़े। रोज़ ही कहते थे कि आज निकल आएगा, कल निकल आएगा, लेकिन 17 दिन बीत गए। हमने तो आज दीवाली मनाई है। बेटा सुरक्षित निकल आया, अब नहीं भेजेंगे इतनी ख़तरनाक जगह।”
#WATCH लखीमपुर खीरी: सिल्कयारा सुरंग से बचाए गए श्रमिक मंजीत की मां ने कहा, "हम बहुत खुश हैं, हमने आज दिवाली मनाई है। हमारा एक ही बेटा है। 17 दिन कैसे बीते हैं यह सिर्फ भगवान जानते हैं। 17 दिन हमारे लिए अंधेरा था, आज उजाला हुआ है। मैं केंद्र और राज्य सरकार का धन्यवाद करती हूं।" https://t.co/hzm2AkBZvl pic.twitter.com/jabNHBNIbO
— ANI_HindiNews (@AHindinews) November 29, 2023
बताते चले कि भारत नेपाल बॉर्डर के लखीमपुर खीरी ज़िले के दुधवा टाइगर रिज़र्व से सटे भैरमपुर गाँव में मंजीत के घर पर मंगलवार रात से ही चहल पहल लगातार बनी हुई है। उनके पड़ोसी मंजीत का हाल चाल पूछने घर आ रहे हैं। वहीं पत्रकारों की गाडियां भी गाँव में लगातार आ रहीं हैं। मंजीत के घर में उनके पिता चौधरी, माता चौधराइन के अलावा दो छोटी बहनें भी हैं।
हालांकि अपने बेटे के सुरंग में फंसने की ख़बर मिलने के बाद जेवर बेचकर मंजीत के पिता सिलक्यारा चले गए। पिछले कई दिनों से वे वहीं हैं। मंजीत के सुरंग से सुरक्षित बाहर निकलने के बाद सामने आई एक तस्वीर में उनके पिता अपने बेटे का सिर चूमते दिख रहे हैं। बेहद सुकून देने वाले उस पल को उत्तराखंड के सीएम धामी और केंद्रीय मंत्री वीके सिंह भी निहारते दिख रहे हैं।
इधर मंजीत की माँ बीते 17 दिनों के इस भारी समय को याद करती हुई कहती हैं, ”एक-एक दिन कैसे गुजरा, ये हमें ही पता है। न नींद आई, न ठीक से खाना खाया।” वह कहती हैं, ”छह दिन बाद, टनल में ही भंडारी का काम करने वाले गाँव के ही एक लड़के ने, बताया कि मंजीत वहां फंस गया है। तो बड़े बेटे की शादी के बचे हुए जेवर गिरवी रख किराए का इंतज़ाम कर मंजीत के पिता को उत्तराखण्ड भेजा।“ मंजीत की माँ ने गहरी साँस भरकर कहा, ”बेटा सुरक्षित आ गया, तो जेवर-वेवर बनते रहेंगे।”
उत्तर प्रदेश सरकार से रोज़गार देने की मांग करते हुए मंजीत की माँ ने कहा, ”यूपी सरकार यही कोई रोज़गार का इंतज़ाम करा दे, मजबूरी में जाते हैं वहां। कोई अच्छा थोड़े लगता है इतनी दूर जा कर। एक बेटा इसी में खो गया हमारा।” मंजीत के बड़े भाई दीपू की साल भर पहले मुंबई में काम के दौरान करंट लगने से मौत हो गई थी। उनकी मां दीपू की मौत को याद करते हुए कहती हैं, ”बड़े बेटे को खो चुके हैं, इसलिए मंजीत को लेकर अधिक चिंता थी। ये 17 दिन, 17 साल की तरह बीते हैं।”
VIDEO | Uttarkashi tunnel rescue UPDATE: "We are very happy and pleased today that we can see the 'Sun' again," says a family member of one of the 41 rescued workers outside the Chinyalisaur Community Health Centre. pic.twitter.com/7b3xb0wq8e
— Press Trust of India (@PTI_News) November 29, 2023
मंजीत की माँ ने उत्तराखंड सरकार और बचाव अभियान में लगी सभी सरकारी संस्थाओं को धन्यवाद देते हुए कहा कि सरकार भगवान है। उन्होंने कहा कि मंजीत जब गांव आएगा, तो वे सब रामायण भंडारा करेंगे। वहीं पीटीआई से बातचीत में मंजीत के पिता ने कहा, ”हमको बहुत अच्छा लगा कि नई तरंग, नया सूरज दिखाई पड़ रहा है और इसी तरह दिखता रहे।” उन्होंने कहा, ”इतनी ख़ुशी का दिन आता रहे और हमारा कार्य चलता रहे। सबकी दुआएं आगे बढ़ती रहें, खोए सपने हमको मिलते रहे।”