निर्माणाधीन सुरंग में पिछले 58 घंटो से अधिक समय से फंसे 40 मजदूरों को निकालने के लिए जारी है रेस्क्यू आपरेशन, सरकार ने किया जाँच हेतु कमेटी का गठन
तारिक़ खान
डेस्क: उत्तराखंड के उत्तरकाशी में निर्माणाधीन एक सुरंग में फंसे 40 मजदूरों को निकालने के लिए ज़रूरी कई अन्य मशीनें घटनास्थल पर पहुंच गई हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार सुरंग के भीतर बरमा मशीन (ऑगर मशीन) और एमएस पाइप भेजे गए हैं। मौके पर जरूरी साजो सामान के साथ विशेषज्ञ और इंजीनियर मौजूद हैं। पीटीआई ने अधिकारियों के हवाले से बताया है कि सुरंग के अंदर से मजदूरों को निकालने के लिए क्षैतिज ड्रिलिंग करने की ख़ातिर बरमा मशीन के लिए एक प्लेटफॉर्म तैयार किया गया है।
नेशनल हाइवे और इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर कर्नल (रिटायर्ड) संदीप सुधेरा ने बताया कि, ‘55 घंटे से भी अधिक समय से मज़दूर टनल के अंदर फँसे हैं। अभी तक मशीनें मलबे को एस्केवेटर मशीनों के ज़रिए मलबे को बाहर हटाने का काम कर रही थी। शॉट क्रीटिंग मशीनों से मलबे थामने का प्रयास किया जा रहा था, फिर भी मलबा को गिरने से रोकना संभव नहीं हो पा रहा था। उसके बाद रेस्क्यू टीमों ने नई रणनीति अपनाई है।’
उन्होंने कहा कि ‘ऑगर मशीन देहरादून से मंगाई गई है। 90 सेंमी व्यास के एमएस पाइप ग़ाज़ियाबाद और हरिद्वार से मंगाए गए हैं। इन पाइपों के भीतर से मज़दूरों को निकालने का प्रयास किया जाएगा। ड्रिलिंग मशीन साइट पर पहुंच गई है और ऑगर मशीन के लिए प्लेटफार्म तैयार कर लिया गया है।’
Uttarakhand government constituted expert committee begin probe into Uttarkashi tunnel collapse
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— ANI Digital (@ani_digital) November 14, 2023
गौरतलब हो कि उत्तराखंड सरकार ने उत्तरकाशी में सड़क के लिए बनाए जा रहे सुरंग के एक हिस्से के अचानक ढह जाने से दो दिनों पूर्व 40 मजदूर सुरंग के अन्दर फंसे है। उनको अक्सीज़न की कमी न हो इसके लिए पाइप के माध्यम से सुरंग के अन्दर अक्सीज़न की सप्लाई किया जा रहा है। वही अभी तक वह मजदूर किस स्थिति में है इसकी जानकारी निकल कर सामने नही आ पाई है।
दूसरी तरफ उत्तराखंड सरकार ने इस मामले की जांच के लिए एक विशेषज्ञ समिति बनाने का एलान किया है। उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एसडीएमए) की ओर से जारी एक आदेश के अनुसार, इस सुरंग में हुए भूस्खलन के अध्ययन और कारणों की जांच करने के लिए एक समिति का गठन किया जाता है। इसके अध्यक्ष उत्तराखंड भूस्खलन न्यूनीकरण और प्रबंधन केंद्र के निदेशक होंगे। इसमें बताया गया है कि इस जांच के दौरान मलबे के पत्थरों और मिट्टी के नमूनों की भी जांच की जाएगी।
इस बीच जनसंपर्क अधिकारी जीएल नाथ ने स्थानीय नेताओं और अन्य लोगों से घटनास्थल पर न पहुंचने की अपील की है। उनके अनुसार, लोगों के घटनास्थल पर पहुंचने से राहत और बचाव कार्य करने में परेशानी हो रही है। हालांकि उन्होंने उम्मीद जताई है कि सुरंग में फंसे मजदूरों को बचा लिया जाएगा। यह सुरंग उत्तरकाशी जिले में सिल्कयारा और डांडलगांव को जोड़ने के लिए बनाई जा रही है।