वाराणसी: सिगरा पुलिस ने कड़ी मशक्कत के बाद पकड़ा भारी मात्रा में नशीला कफ सिरप, बड़े सवालो के घेरे में ड्रग विभाग कर रहा है आगे की जांच, उठ रहे है ड्रग विभाग के ऊपर भी सवाल

तारिक़ आज़मी

वाराणसी: वाराणसी कमिश्नरेट पुलिस के सिगरा इस्पेक्टर राजू सिंह और उनकी टीम ने आज एक ट्रेलर सहित दो अन्य लोडरो में भरा भारी मात्रा में नशीला कफ सिरप बरामद किया है। इसकी जाँच हेतु औषधि विभाग की टीम को बुलाया गया है। टीम मौके पर फिलहाल माल और कागज़ात के जाँच की बात कर रही है। इस दरमियान शहर में बिकते इस नशीले कफ सिरप को लेकर बड़े सवालो के घेरे में खुद औषधि विभाग की भूमिका रही है।

मिली जानकारी के अनुसार आज सिगरा पुलिस ने एक ट्रेलर सहित कुल तीन वाहनों में लद कर जा रहे नशीले कफ सिरप की भारी मात्रा में बरामदगी किया है। उक्त बरामदगी वाहन चेकिंग के दरमियान होनी बताया जा रहा है। सिगरा इस्पेक्टर राजू सिंह ने अपनी टीम के साथ माल बरामद करके उक्त सम्बन्ध में औषधि विभाग को जानकारी प्रदान किया है। खुद बड़े सवालो के घेरे में रहने वाले औषधि विभाग की टीम द्वारा अभी माल के जाँच और सैम्पलिंग की बात कही जा रही है।

वही सूत्र बताते है कि भारी मात्रा में यह नशीला कफ सिरप बिहार जा रहा था, यहाँ सूत्रों की माने तो इस कारोबार में औषधि विभाग की भूमिका हमेशा संदेहों के घेरे में रही है क्योकि आज तक कभी किसी बड़े छापेमारी की कार्यवाही इस विभाग के द्वारा नही किया गया है। जानकार सूत्रों का दावा है कि उक्त माल के बरामदगी की जानकारी मिलने के बाद से बड़े ड्रग सिंडिकेट के लोगो ने अपनी पैरवी चालु कर दिया है। अब यहाँ देखना होगा कि वाराणसी कमिश्नरेट पुलिस जिसने मेहनत के बाद यह बरामदगी किया है, पर औषधि विभाग क्या कार्यवाही करेगा अथवा फिर क्लीनचिट प्रदान कर देगा। शायद मामले में अभी पूरी पिक्चर ही बाकी है।

वैसे जितना माल पुलिस द्वारा पकड़ा गया है उसकी मार्किट कीमत 50 लाख से अधिक की बताया जा रहा है। मार्किट वैल्यू की बात करे तो एक पेटी इस कफ सिरप में कुल 120 एम्पुल होते है। एक एम्पुल की कीमत 140-180 रुपये होती है। इस अनुपात में 17 हज़ार से लेकर 21 हज़ार रु0 की एक पेटी इसकी बाज़ार वैल्यू होती है। यदि इस हिसाब से बरामद माल की कीमत देखे तो लगभग 60-70 लाख होगी।

जाने इस नशे के कारोबार में कितना बड़ा है मुनाफा

इस नशे के कारोबार का मुनाफा अगर देखना हो तो इसके असली कारोबारियों पर नज़रे उठा कर देख ले। वर्ष 2016 तक जिसके पास ढंग की बाइक और खुद का मकान नही था, आज करोडो के कीमत का वाहन और भवन का स्वामी बना दिखाई देगा। सप्तसागर दवा मंडी में असली खिलाड़ी बैठ कर बड़े खेल करते रहते है। मगर औषधि विभाग की टीम केवल कागज़ी घोड़ो की दौड़ के बजाये कुछ और करती हुई दिखाई नही देती है।

नेता से लेकर पत्रकार तक करते है इस सिंडिकेट की जी-हुजूरी

अगर इस नशे के कारोबार का सिंडिकेट अन्दर तक जाकर देखे तो समाजसेवा से लेकर नेता तक इन लोगो के पहुच का हिस्सा है। यही नही कोई छोटे मीडिया हाउस नही बल्कि बड़े मीडिया घरानों से जुड़े पत्रकार इनके खासमखास होते है। इनके अच्छे बुरे पर तुरंत पैच मैनेजमेंट हेतु मौके पर हाज़िर रहने वाले इन सफ़ेद लोगो की भीड़ के बीच इनका कारोबार आलिशान तरीके से चलता हुआ दिखाई देता है। दो चार बड़ी पकड़ को अगर छोड़ दे तो ऐसे लोगो के पर्दे पर सारा खेल हुआ करता है। हम जल्द ही इस सिंडिकेट के बड़े खिलाडियों और उनके संरक्षकों के सम्बन्ध में और अधिक जानकारी देगे।

फिलहाल सिगरा पुलिस द्वारा पकडे गए माल की अभी भी औषधि विभाग के द्वारा कथित जाँच जारी है। पुलिस महज़ एक मूकदर्शक है। उसको औषधि विभाग के झंडी का इंतज़ार है कि आखिर कब औषधि विभाग उसकी सिग्नल देगा कि रेड या फिर ग्रीन, यानी पुलिस को कार्यवाही करना है अथवा अपनी मेहनत पर पानी फिरता हुआ देखते हुवे मूकदर्शक बने रहना है। थाने के आसपास शरणदाताओ की ताय्दात दिखाई दे रही है।

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