एशियन ब्रिज इंडिया और ग्रामीण पुनर्निर्माण संस्थान की ओर से अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस पर ‘जेंडर आधारित हिंसा और मानवाधिकार’ विषय पर संवाद कार्यक्रम का हुआ आयोजन
ए0 जावेद
वाराणसी: एशियन ब्रिज इंडिया और ग्रामीण पुनर्निर्माण संस्थान की ओर से अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस पर ‘जेंडर आधारित हिंसा और मानवाधिकार’ विषय पर संवाद कार्यक्रम का आयोजन सरस्वती इन्टर कॉलेज, मैदागिन, पर 16 दिवसीय महिला हिंसा विरोधी पखवाडे के समापन पर अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस का आयोजन किया गया।
इस संवाद कार्यक्रम में कक्षा 9 से 11 तक के कुल 31 विद्यार्थी भाग लिए दिव्या, गौरव, अंजली, धारावी, सत्यम, मुस्कान, शिवांश, सानिया, प्रकाश, रितिका, अनामिका, नैना, श्रेयांशी, आयुषी, वान्या, आकांक्षा, करन मानसी, राजवीर, रितिका, शानिध्य, जानवी, सादिया, ईशा, अभिनव और कृष्णा आदि शामिल रहे। जिन्होंने अपने वक्तव्य के माध्यम से सभी प्रतिभागियों को प्रभावित कियाl कार्यक्रम के मुख्य अतिथि विजय रमा सेठ, अध्यक्ष (संरक्षक सभा) ने कहा कि 10 दिसम्बर, 1948 को ‘सार्वभौम मानवाधिकार की घोषणा’ जारी की थी।
उन्होंने कहा कि 1950 में तय किया गया था कि मानवाधिकारों के प्रति जागरूकता के लिए सभी देशों में हर साल 10 दिसम्बर को मानवाधिकार दिवस मनाया जाता है और हम लोग को इसके प्रति जागरूक रहना चाहिए। वक्ता नीति ने कहा कि घर के अन्दर होने वाले लिंग आधारित भेदभाव को समाप्त करने के लिए हम सब को खुद से कदम उठाना होगा। अगले वक्ता के रूप में राजदेव चतुर्वेदी ग्रामीण पुनर्निर्माण संस्थान, आजमगढ़ के सचिव ने कहा कि जिस तरह से विश्व के अलग अलग हिस्से में युद्ध हो रहे हैं, वो एक सभ्य समाज को बर्बादी के सिवा कुछ नहीं देगा।
कार्यक्रम में मो0 मूसा आज़मी ने कहा कि आज से 75 वर्ष पूर्व द्वीतीय विश्व युद्ध ने उस दौर में यह एहसास कराया कि युद्ध किसी भी समस्या का समाधान नहीं है और फिर अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकारों की घोषणा हुई। लेकिन आज भी हमारे समाज में जिस तरह से युद्ध और साम्प्रदायिकता समाज से मिल्लत और मोहब्बत को खत्म कर रही है।
उन्होंने इसका खामियाजा पूरी मानव जाति को अगले कई दशकों तक झेलना पड़ेगा। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि एक तरफ देश और समाज में युद्ध और साम्प्रदायिकता मानवता को खत्म कर रही है। तो दूसरी तरफ हमारे समाज और घर परिवार में जेंडर भेद भाव आधारित महिला हिसा कम नहीं हुई है। ऐसे में हमे ज़रूरत है कि आपने घरो को महिला हिंसा मुक्त बनाने की जिसमें पुरुष एक महत्वपूर्ण एवं हिंसा मुक्त व्यवहार से नई भूमिका निभाए।
डॉ0 प्रेमनारायण श्रीवास्तव और सतीश चंद्र सिंह संवाद कार्यक्रम में बच्चों की प्रस्तुति के निर्णायक मंडल में रहे। कार्यक्रम का संचालन सुनील कुमार सेठ ने किया। कुल 380 विद्यार्थी इस कार्यक्रम में प्रतिभाग किए। कार्यक्रम को सफल बनाने में सक्रिय रूप से साहिल, अनुज, अश्विनि, सरिता, अनन्या और आयुष शामिल रहे।