क्रिकेट वर्ल्ड कप फ़ाइनल मैच के बाद भारत की हार पर जश्न मनाने और कथित रूप से ‘पाक समर्थित’ नारे लगाने के आरोप में अदालत ने दिया कश्मीरी छात्रो को ज़मानत
निसार शाहीन शाह
जम्मू: मध्य कश्मीर के गांदरबल जिले की एक अदालत ने कल शनिवार 2 दिसंबर को शेर-ए-कश्मीर यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चर साइंस एंड टेक्नोलॉजी (एसकेयूएएसटी) के सात छात्रों को अंतरिम जमानत दे दी है। इन छात्रो पर आरोप था कि उन्होंने विश्वकप फाइनल में भारत पर ऑस्ट्रेलिया की जीत का कथित रूप से जश्न मनाया था और पकिस्तान समर्थित नारे लगाये थे। बताते चले कि उक्त आरोप में पुलिस ने छात्रो को गिरफ्तार किया था। मगर बाद में पुलिस ने छात्रों के खिलाफ आतंक के आरोप भी हटा दिए हैं।
यहां पढ़ने वाले पंजाब के एक छात्र द्वारा दायर की गई शिकायत में आरोप लगाया गया था कि विश्वविद्यालय के एक हॉस्टल ब्लॉक में रहने वाले कश्मीरी छात्रों द्वारा पाकिस्तान समर्थक नारे लगाए गए थे और गैर-स्थानीय छात्रों को भी भारत के पक्ष में न होने की चेतावनी दी गई थी। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार एफआईआर में कहा गया है कि शिकायतकर्ता छात्र सचिन बैंस के साथ कथित तौर पर कश्मीरी छात्रों द्वारा दुर्व्यवहार किया गया और धमकाया गया, जिन्होंने ‘जीवे जीवे पाकिस्तान’ जैसे पाक समर्थक नारे कथित रूप से लगाये, जिससे विश्वविद्यालय में गैर-स्थानीय छात्रों के बीच भय का माहौल पैदा हो गया।
शिकायत मिलने के बाद पुलिस ने छात्रों के खिलाफ गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम, 1967 (यूएपीए) की धारा 13 (किसी भी गैरकानूनी गतिविधि की वकालत करना या उकसाना) और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 505 (सांप्रदायिक हिंसा भड़काना) और 506 (आपराधिक धमकी) के तहत मामला दर्ज किया था। आतंक के आरोप लगाने वाली इस एफआईआर ने हंगामा खड़ा कर दिया था, कश्मीरी छात्रों के परिवारों के साथ-साथ राजनीतिक दलों और आम लोगों ने मांग की थी कि पुलिस को ये आरोप हटा देना चाहिए और छात्रों को अपनी पढ़ाई जारी रखने का दूसरा मौका देना चाहिए।
हालांकि, जम्मू कश्मीर पुलिस ने इस घटना को ‘आतंकवादी’ और ‘असामान्य’ करार देते हुए, आतंकवाद विरोधी एफआईआर का बचाव करते हुए कहा था कि ऐसी हरकतें अतीत में ‘ज्यादातर अलगाववादी और आतंकवादी नेटवर्क के समर्थन’ में यह दिखाने के लिए की गई हैं कि कश्मीर में ‘हर कोई भारत से नफरत करता है’। बुधवार (28 नवंबर) को बयान में कहा गया था, ‘उद्देश्य किसी विशेष खेल टीम की व्यक्तिगत पसंद को प्रसारित करना नहीं है। यह असहमति या अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के बारे में नहीं है। ये उन लोगों को आतंकित करने के बारे में है जो भारत समर्थक भावना रखते हैं या पाकिस्तान विरोधी भावना से सहमत हो सकते हैं।’