ज्ञानवापी मस्जिद प्रकरण: ASI ने दाखिल किया अदालत में बंद लिफ़ाफ़े में रिपोर्ट, मस्जिद कमेटी के एसएम यासीन ने तस्वीर जारी कर कहा ‘ASI ने गैरकानूनी काम किया, मगर हमारे बुज़ुर्गान की यह दोनों कब्रे साफ़ हो गई, इंशाअल्लाह जल्द होगा इनका उर्स’
तारिक़ आज़मी
वाराणसी: भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (एएसआई) ने सोमवार को ज्ञानवापी मस्जिद से जुड़ी अपनी सर्वे रिपोर्ट वाराणसी ज़िला अदालत को सौंप दी है। ज्ञानवापी मस्जिद का इंतज़ाम देखने वाली संस्था अंजुमन इंतेज़ामिया मसाजिद कमेटी के वक़ील अख़लाक़ अहमद ने बताया कि ‘एएसआई की पूर्ण रिपोर्ट एक सील बंद लिफाफे में सौंपी गयी है। अदालत 21 दिसंबर को फ़ैसला जारी करके बताएगी कि ये रिपोर्ट दोनों पक्षों के साथ किस तरह साझा की जाएगी।’
वही साथ ही अंजुमन इन्तेजामियाँ मसाजिद कमेटी के संयुक्त सचिव एसएम यासीन ने हमसे बात करते हुवे बताया कि हमारे जानिब से अदालत में अर्जी दाखिल किया गया है कि जिसको भी सर्वे रिपोर्ट की प्रति देने से पूर्व शपथ पत्र लिया जाए। इस मामले में अदालत अब 21 दिसंबर को सुनवाई करेगी और फैसला जारी करेगी कि रिपोर्ट दोनों पक्षों को साझा करने की क्या शरायत रहेगी। फिलहाल अदालत में सील बंद लिफाफे में यह रिपोर्ट जमा है।
बताते चले कि ज्ञानवापी मस्जिद से सम्बन्धित इस मामले में दायर की गयी कई याचिकाओं में दावा किया गया है कि इस ‘मस्जिद को भगवान शिव के मंदिर की जगह पर बनाया गया है।’ और हिंदू पक्ष ने इस मस्जिद में पूजा करने की इजाज़त मांगी है। पिछले साल मई में अदालत की ओर से गठित एक आयोग ने मस्जिद का कमिश्नर सर्वे किया था। सर्वे के दरमियान वज़ूखाने में मिली आकृति को वादिनी पक्ष ने दावा किया कि वह शिवलिंग है। जबकि मस्जिद कमेटी ने उसे अपने हौज़ का फव्वारा होने का दावा किया। जिसके बाद अदालत के आदेश पर वजूखाने को सील कर दिया गया।
इसके बाद इस साल जुलाई में वाराणसी की एक अदालत ने एएसआई को मस्जिद की वैज्ञानिक ढंग से जांच करने का निर्देश दिया ताकि ये पता लगाया जा सके कि ये मस्जिद एक मंदिर पर बनाई गई थी या नहीं। यह मामला हाई कोर्ट होते हुवे सुप्रीम कोर्ट की दहलीज़ तक पंहुचा और मामले में अदालतों के हुक्म पर विभिन्न शरायतो के साथ सर्वे का हुक्म ASI को दिया। शर्तो और अदालत में दिले ASI के शपथ पत्र के अनुसार सर्वे के दरमियान किसी तरीके की खुदाई या तोड़फोड़ नही होगी। समस्त सर्वे साइंटिफिक होगा और ‘NonInvasive’ होगा। मगर मस्जिद कमेटी द्वारा जारी किये गए समय समय पर तस्वीरे इसकी पुष्टि करती रही कि ASI शरायत के मुखालिफ है।
बोले एसएम यासीन ‘उनके गलत कामो ने भी हमारे बुज़ुर्गान की दो कब्रों को ज़ाहिर कर दिया’
आज ज्ञानवापी मस्जिद की देख रेख करने वाली संस्था अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी के संयुक्त सचिव एसएम यासीन ने दो तस्वीरे उन मजारो की जारी किया है। जो मलबो के नीचे दब गई थी। सैकड़ो वर्ष पुराने यह दोनों मजारे मस्जिद के चारदीवारी के पीछे है। एसएम यासीन ने तस्वीरो को जारी करते हुवे कहा है कि अल्लाह हर तरीके से हमारे साथ है। ASI ने गलत काम किया, मगर हमारे दोनों बुज़ुर्गान की मजारे ज़ाहिर हो गई और हम सब यहाँ अब अक्सर हाजिरी लगाते है। इंशा अल्लाह जल्द ही उर्स भी शुरू होगा।
एसएम यासीन ने तस्वीर जारी करते हुवे लिखा है कि ‘हर शर में खैर का पहलू होता है। ऐसा भी धर्म के मानने वालों का मानना हैं और हमारा तो यक़ीन है। एएसआई ने अपने शपथ-पत्र और माननीय सर्वोच्च न्यायालय के स्पष्ट आदेश कि समस्त सर्वे साइंटिफिक होगा और ”NonInvasive” होगा, लेकिन सम्पूर्ण सर्वे के दौरान सम्पूर्ण उलंघन करते दिखाई दी।’
एसएम यासीन ने लिखा है कि ‘बहरहाल यह सब अदालत देखेगी। हम उनके साथ मुकदमा दाखिल करने वालों के भी शुक्रगुज़ार हैं कि उनके कारण हमारे दो बुजुर्गान की क़बरे, जो सैकड़ों वर्षो से मस्जिद की पश्चिमी दीवार के पास मिट्टी में दफन थीं, वह खुदाई में स्पष्ट हो गई। पहले उर्स होता था, अंग्रेजों ने बन्द करा दिया। हालांकि अदालत ने हमारे अधिकार को स्वीकार किया है। हम उर्स का अधिकार लेकर रहेंगे।‘
उन्होंने लिखा कि ‘कब्रों को इस शक्ल में देख कर हमारे हाथ बख्तियार दुआ के लिए उठ गये। जानकारों का मानना है कि यह दो बुजुर्गान लगभग 435 साल पहले दफ्न हुए थे। आप जहां भी हों दुआ जरूर करें। हो सकता है हम इन बुजुर्गों के फैज से मुकदमात में कामयाब हो जाएं।‘ अंत में उन्होंने मिर्ज़ा ग़ालिब का कलाम लिखा है कि “बना कर फकीरों का हम भेस ग़ालिब, तमाशा-ए-अहले-करम देखते हैं।“