ज्ञानवापी मस्जिद प्रकरण: मस्जिद पक्ष ने कहा ‘बगैर हलफनामा किसी भी पक्ष को न दे ASI रिपोर्ट’, वादिनी पक्ष के अधिवक्ता विष्णु जैन ने कहा ‘सील बंद लिफाफे में ASI का रिपोर्ट पेश करना है अदालत की अवमानना’
ए0 जावेद
वाराणसी: वाराणसी की जिला जज अदालत में कल ASI ने अपनी रिपोर्ट पेश कर दिया है। सील बंद लिफाफे में पेश हुई रिपोर्ट पर जहा वादिनी पक्ष ने आपत्ति दर्ज करवाया है और कहा है कि यह अदालत के हुक्म की उदूली हा, वही मस्जिद पक्ष ने मांग किया है कि किसी को भी बगैर हलफनामा यह रिपोर्ट ने दिया जाए। इस मामले में अदालत अपना फैसला 21 दिसम्बर को सूना सकती है।
कल रिपोर्ट जमा होने के पूर्व ही मुस्लिम पक्ष अंजुमन इंतेज़ामिया मसाजिद कमेटी की तरफ से एक प्रार्थना पत्र जिला न्यायालय में दिया गया जिसमें यह अपील की गयी है कि किसी भी पक्ष को बगैर हलफनामा दिए रिपोर्ट की प्रति न दी जाय, ऐसा पिछले वर्ष हुए कोर्ट सर्वे से संबंधित जानकारियों के सार्वजनिक होने के बाद किया गया है। मुस्लिम पक्ष का मानना है कि चूँकि मामला संवेदनशील है और लाखों लोगों की भावनायें इससे जुड़ी हैं ऐसे में रिपोर्ट या उससे संबंधित कोई भी जानकारी सार्वजनिक होने से सामाजिक ताने बाने पर असर पड़ सकता है।
मुस्लिम पक्ष के अधिवक्ता एखलाक अहमद ने बताया कि याचिका में यह मांग भी की गई है कि रिपोर्ट में ज्ञानवापी को लेकर जो भी विवरण दिए गए हैं, उसकी जानकारी मुस्लिम पक्ष को भी दी जाए। यदि यह जानकारी किसी भी तरह सार्वजनिक होती है तो उसके पहले रिपोर्ट की सूचीबद्ध जानकारी उन्हें प्राप्त होनी चाहिए ताकि उन्हें यह पता चल सके कि सर्वे में एएसआई ने जिन तथ्यों को डाला है उसमें क्या विवरण हैं।
जबकि हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा, ‘रिपोर्ट सील बंद लिफाफे में सौंपी गयी है। अंजुमन इंतेज़ामिया का कहना है कि इस रिपोर्ट के बारे में किसी से बात न की जाए। और मीडिया को ये रिपोर्ट न दिखाई जाए। माननीय अदालत ने इसके लिए अगली तारीख़ 21 दिसंबर निर्धारित की है, जब दोनों पक्षों को सुनने के बाद अगला आदेश पारित किया जाएगा।’ जैन ने एएसआई के इस कदम को सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन बताया है।
उन्होंने कहा, ‘एएसआई ने इस रिपोर्ट को सील बंद लिफाफे में पेश करके सुप्रीम कोर्ट के ऑर्डर का उल्लंघन किया है। ये रिपोर्ट सील बंद लिफाफे में पेश ही नहीं हो सकती थी। हमने प्रार्थना पत्र दिया है कि रिपोर्ट की कॉपी हमें ईमेल पर उपलब्ध कराई जाए।’ जैन ने एएसआई के इस कदम को सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन बताया है।
उन्होंने कहा, ‘एएसआई ने इस रिपोर्ट को सील बंद लिफाफे में पेश करके सुप्रीम कोर्ट के ऑर्डर का उल्लंघन किया है। ये रिपोर्ट सील बंद लिफाफे में पेश ही नहीं हो सकती थी। हमने प्रार्थना पत्र दिया है कि रिपोर्ट की कॉपी हमें ईमेल पर उपलब्ध कराई जाए।’