आज आएगा ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के एएसआई सर्वे की रिपोर्ट सार्वजनिक करने के सम्बन्ध में फैसला, मथुरा शाही ईदगाह हिन्दुओ को सौपे जाने की मांग वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट ने किया ख़ारिज
मिस्बाह बनारसी
वाराणसी: ज्ञानवापी मस्जिद प्रकरण में आज आने वाला फैसला एक दिन और टल गया है पहले ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के एएसआई सर्वे की सीलबंद रिपोर्ट को सार्वजनिक करने का फ़ैसला आज शुक्रवार को आना था। मगर अब वाराणसी की ज़िला अदालत इस मामले का फ़ैसला शनिवार को करेगी।
ज़िला जज ने कहा कि आदेश टाइप न होने के कारण फ़ैसला शनिवार तक के लिए टाला जा रहा है। इससे पहले बुधवार (3 जनवरी) को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने अदालत से अनुरोध किया था कि ज्ञानवापी पर उसकी ओर से सीलबंद लिफाफे में दाखिल की गयी रिपोर्ट को चार हफ़्ते तक सार्वजनिक न किया जाए।
एएसआई ने हाई कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए यह मांग की थी। हाईकोर्ट ने 19 दिसंबर को 1991 के मूल मुक़दमे को फिर से चलाने का आदेश दिया था। हालांकि ज़िला अदालत ने बुधवार को दोनों पक्षों को सुनने के बाद अपना फ़ैसला सुरक्षित रख लिया था। इससे पहले, एएसआई ने 18 दिसंबर को एक सीलबंद लिफाफे में अदालत को अपनी सर्वे रिपोर्ट कोर्ट को सौंपी थी। इसके बाद से जहां एक ओर हिंदू पक्ष इस रिपोर्ट को हासिल करने की कोशिश कर रहा है। वहीं, मुस्लिम पक्ष की ओर से इस रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किए जाने का आग्रह किया जा रहा है।
मथुरा शाही ईदगाह हिन्दुओ को सौपे जाने की मांग वाली याचिका किया सुप्रीम कोर्ट ने ख़ारिज
डेस्क: सुप्रीम कोर्ट ने मथुरा ईदगाह मामले पर इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ अपील खारिज कर दी है। अक्टूबर 2023 में हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश प्रीतिंकर दिवाकर और न्यायमूर्ति आशुतोष श्रीवास्तव की खंडपीठ ने मामले की योग्यता पर विचार किए बिना जनहित याचिका को खारिज कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि याचिका में उठाए गए मुद्दे पहले से ही अदालत के समक्ष विचाराधीन हैं।
Supreme Court dismisses an appeal against the Allahabad High Court order which rejected a PIL seeking recognition of Mathura's Shahi Idgah Mosque site as Krishna Janmabhoomi.
Supreme Court says the issues raised in the plea are already pending consideration before the court. pic.twitter.com/vMu2Xb1a22
— ANI (@ANI) January 5, 2024
अक्टूबर, 2023 में हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश प्रीतिंकर दिवाकर और न्यायमूर्ति आशुतोष श्रीवास्तव की खंडपीठ ने मामले की योग्यता पर विचार किए बिना, जनहित याचिका को खारिज कर दिया था। चूंकि वर्तमान रिट (पीआईएल) में शामिल मुद्दे पहले से ही उचित कार्यवाही (यानी, लंबित मुकदमों) में अदालत का ध्यान आकर्षित कर रहे हैं, हम तत्काल पीआईएल याचिका पर विचार करने के इच्छुक नहीं हैं और इसे तदनुसार खारिज कर दिया गया है।