मथुरा शाही ईदगाह सर्वे के हाई कोर्ट के आदेश के मुखालिफ मस्जिद कमेटी ने किया सुप्रीम कोर्ट का रुख, 9 जनवरी को करेगी अदालत सुनवाई

शफी उस्मानी

डेस्क: मथुरा की शाही ईदगाह मस्जिद की प्रबंधन समिति ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के एक हालिया आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। उच्च न्यायालय ने मथुरा में कृष्ण जन्मभूमि मंदिर से सटे शाही ईदगाह का अदालत की निगरानी में सर्वेक्षण के लिए अनुमति दी थी। कोर्ट के इस आदेश को मस्जिद समिति ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।

उच्च न्यायालय बीते वर्ष 14 दिसंबर को मस्जिद परिसर के सर्वेक्षण की निगरानी के लिए एक अधिवक्ता आयुक्त की नियुक्ति पर सहमत हुआ था। मामले में हिंदू पक्ष का दावा है कि ऐसे संकेत हैं जिससे पता चलता है कि एक समय यह एक हिंदू मंदिर था। हिन्दू पक्ष ने इस परिसर के एएसआई सर्वेक्षण की मांग की थी, जिस पर हाईकोर्ट ने अनुमति दे दी है।

क्या है मामला

दरअसल, ये पूरा मामला श्री कृष्ण जन्मभूमि और ईदगाह परिसर  की 13।37 एकड़ जमीन के मालिकाना हक से जुड़ा हुआ है। इसमें करीब 11 एकड़ की ज़मीन पर श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर बना हुआ है और 2।37 एकड़ जमनी पर शाही ईदगाह मस्जिद बनी हुई है। हिन्दू पक्ष का दावा है कि जिस जमीन पर मस्जिद बनी है वो कंस की कारागार हुआ करती थी, जहां श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था।

हिन्दू पक्ष पूरी ज़मीन पर दावा करता है वहीं मुस्लिम पक्ष का कहना है कि 1968 में हुए समझौते में ये भूमि मस्जिद के लिए दी गई थी। श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ शाही ईदगाह कमेटी के बीच हुए 1968 के समझौते को नहीं मानता है। उसका कहना है कि मुग़ल बादशाह औरंगजेब ने अपने शासन काल में कई मंदिरों को तोड़ा था, जिसमें श्रीकृष्ण जन्मस्थान मंदिर भी शामिल है। मस्जिद में मंदिर के अवशेष आज भी मौजूद हैं।

क्या दायर किया मस्जिद कमेटी ने याचिका

ट्रस्ट शाही मस्जिद ईदगाह की प्रबंधन समिति ने हाई कोर्ट के आदेश को औपचारिक रूप से चुनौती देने के लिए अपील दायर की है। यह याचिका उच्चतम न्यायालय द्वारा 15 दिसंबर को मुस्लिम पक्ष की मौखिक याचिका खारिज करने के बाद दायर की गई है। उस वक्त सुप्रीम कोर्ट ने शाही ईदगाह के अदालत की निगरानी में सर्वेक्षण की अनुमति देने वाले फैसले पर रोक लगाने से इंकार कर दिया था और मुस्लिम पक्ष को अपील के माध्यम से आदेश को चुनौती देने के लिए कहा था। मस्जिद समिति ने अपनी याचिका में कहा है कि उच्च न्यायालय को मामले में किसी भी अन्य आवेदन पर निर्णय लेने से पहले उसकी याचिका पर विचार करना चाहिए था।

इसके पहले हाईकोर्ट के आदेश के अगले दिन 15 दिसंबर को मस्जिद पक्ष ने मामला सुप्रीम कोर्ट के सामने उठाया था लेकिन तब शीर्ष अदालत ने कहा था कि वह औपचारिक रूप से फैसले को चुनौती दिए बिना कोई आदेश नहीं पारित करेगा। सुप्रीम कोर्ट ने यह जरूर कहा था कि वह 9 जनवरी को श्रीकृष्ण जन्मभूमि से संबंधित मामलों की सुनवाई करेगा। मुस्लिम पक्ष चाहे तो इसकी जानकारी हाईकोर्ट को दे सकता है। मस्जिद पक्ष ने 18 दिसंबर की सुनवाई में हाईकोर्ट को यह जानकारी दी। इसके बाद हाईकोर्ट ने कोर्ट कमिश्नर नियुक्त करने का फैसला 11 जनवरी तक टाल दिया।

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